- निजीकरण का विरोध कर रहे कर्मचारियों पर तेज़ी से चल रहा है प्रशासनिक चाबुक
- पूर्वांचल एवं पश्चिमांचल विभाग मिलाकर 100 से ज़्यादा इंजीनियर हो चुके हैं निलम्बित
- सैकड़ों कर्चमारियों को मिल चुकी है चार्जशीट, चेयरमैन पर प्रताड़ित करने का बड़ा आरोप
भौमेंद्र शुक्ल
लखनऊ। निजीकरण की लटकती तलवार के बीच बिजली विभाग पर प्रशासन का डंडा भी तेजी से पड़ रहा है। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम (PUVVNL) में करीब 72 इंजीनियरों के सस्पेंशन के बाद अब पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम (PVVNL) की प्रबंध निदेशक (MD) ईशा दुहन ने 27 लोगों को निलंबित कर दिया। इनमें एक अधीक्षण अभियंता (SE), चार अधिशाषी अभियंता (ExEn) और 22 जूनियर इंजीनियर शामिल हैं। कर्मचारी नेता शैलेंद्र दुबे ने दो टूक लहजे में कहा कि तंत्र निजीकरण कराने के लिए बिजली कर्मचारियों पर बेजा दबाव बनाकर प्रताड़ित करने पर आमादा है।
मिली जानकारी के मुताबिक PVVNL की MD IAS ईशा दुहन ने लापरवाह बिजली अफसरों पर बड़ा एक्शन लिया और 27 इंजीनियरों को सस्पेंड कर दिया। इनमें एक अधीक्षण अभियंता, चार अधिशासी अभियंता, 22 जूनियर इंजीनियर भी शामिल हैं। साथ ही MD ने 11 उपखंड अधिकारियों को चार्जशीट किया है। सस्पेंड अफसरों में सहारनपुर SE महेश अहिरवार, गढ़ मुक्तेश्वर, बबराला, शिकारपुर और नकुड़ के अधिशासी अभियंता सस्पेंड हुए हैं। इन सभी अफ़सरों पर राजस्व वसूली (OTS योजना) में लापरवाह बताया गया है।
इसके पहले पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक शम्भू कुमार ने जौनपुर के तीन अधिशासी अभियंताओं को निलम्बित कर दिया। इन तीनों पर OTS में लापरवाही का मामला बताया जा रहा है। जिनमें ExEn द्वितीय रमेश चंद्रा, मछलीशहर के रामसनेही यादव और ExEn चतुर्थ प्रफुल्ल त्यागी का नाम शामिल है। इन तीनों पर एकमुश्त समाधान योजना में लापरवाही बरतने का आरोप चस्पाँ हुआ है। वहीं एक जेई और संविदा लाइनमैंन पर भी गाज गिरी है।
जानकारों का कहना है कि उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) प्रबंधन ने एकमुश्त समाधान योजना (OTS) में लापरवाही को लेकर तीन दिनों के भीतर 48 अभियंता निलंबित कर दिए हैं। यह अनायास नहीं है, इसके पीछे की मंशा भी साफ़ है। सरकार चाहती है कि बिजली विभाग के अफ़सर प्रताड़ना से टूट जाएँ और निजीकरण स्वीकार कर लें। इसी क्रम में कुछ दिनों पहले 24 से अधिक अभियंताओं को चार्जशीट दी गई थी। UPPCL के चेयरमैन आशीष गोयल ने सभी बिजली निगमों के प्रबंध निदेशकों से बात की और उन्हीं के निर्देश पर सभी निगमों ने कार्रवाई तेज कर दी है। इसी को लेकर नया विवाद शुरू हो गया है। हालाँकि नया लुक ने जब पॉवर कॉरपोरेशन के चेयरमैन से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने फ़ोन कट कर दिया।
वहीं बिजली कर्मचारियों के हितों के लिए संघर्ष कर रही विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने UPPCL के अध्यक्ष और शीर्ष प्रबंधन पर आरोप लगाया है कि बड़े पैमाने पर बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं पर उत्पीड़न की कार्यवाही कर कार्पोरेशन प्रबंधन ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति का वातावरण उत्पन्न कर रहा है। संघर्ष समिति ने चेतावनी देते हुए कहा है कि ऐसा लगता है पावर कार्पोरेशन प्रबंधन महाकुंभ के पहले प्रदेश की बिजली व्यवस्था पटरी से उतार देने पर आतुर है, किंतु बिजलीकर्मी इस साजिश को सफल नहीं होने देंगे। समिति ने कहा कि इतने बड़े पैमाने पर पॉवर कार्पोरेशन द्वारा की जा रही उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियां ऊर्जा निगमों में भय का वातावरण बनाकर निजीकरण की योजना को आगे बढ़ाने की कोशिश मानी जा रही है।
प्रदेश के बिजली कर्मचारी महाकुंभ के दौरान प्रदेश की बिजली व्यवस्था में अपना श्रेष्ठतम योगदान देना चाह रहे हैं। ऐसे में UPPCL के चेयरमैन और PUVVNL के प्रबन्ध निदेशक का यह टकराव और रवैया चौंकाने वाला है। संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली कर्मचारियों ने प्रदेश में सर्वाधिक बिजली की आपूर्ति 30618 मेगावॉट का कीर्तिमान बनाकर प्रदेश का नाम सारे देश में रौशन किया। बिजली व्यवस्था में निरन्तर सुधार हेतु मा मुख्यमंत्री जी बिजली कर्मियों को धन्यवाद देते रहे है, ऐसी परिस्थितियों में बिजली कर्मियों पर मनमाने ढंग से उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियों का क्या औचित्य है?
संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री से प्रभावी हस्तक्षेप करने की अपील की है, जिससे बिजली कर्मचारियों का अनावश्यक उत्पीड़न समाप्त हो और वे पूरे मनोयोग से बिजली व्यवस्था के सुधार में पूर्ववत लगे रह सकें। संघर्ष समिति ने कहा कि उनका सुधार और संघर्ष का मूल मंत्र है और इस आधार पर विद्युत व्यवस्था में लगातार सुधार जारी रखते हुए बिजली पंचायत के माध्यम से बिजली कर्मियों का निजीकरण का विरोध अभियान भी जारी रहेगा।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, सुहैल आबिद, पी.के.दीक्षित, राजेंद्र घिल्डियाल, चंद्र भूषण उपाध्याय, आर वाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, देवेन्द्र पाण्डेय, आर बी सिंह, राम कृपाल यादव, मो वसीम, मायाशंकर तिवारी, राम चरण सिंह, मो इलियास, श्रीचन्द, सरजू त्रिवेदी, योगेन्द्र कुमार, ए.के. श्रीवास्तव, के.एस. रावत, रफीक अहमद, पी एस बाजपेई, जी.पी. सिंह, राम सहारे वर्मा, प्रेम नाथ राय, विशम्भर सिंह एवं राम निवास त्यागी ने
बताया कि विगत कुछ दिनों में जब से बिजली कर्मियों ने निजीकरण के निर्णय का मुखर विरोध करना शुरू किया है, प्रबन्धन बड़े पैमाने पर उत्पीड़नात्मक कार्यवाही करने पर उतारू हो गया है। उन्होंने बताया कि कुछ दिनों में ही एक मुश्त समाधान योजना की आड़ लेकर एक अधीक्षण अभियंता, 12 अधिशासी अभियंताओं, 05 सहायक अभियंताओं, 30 जूनियर इंजीनियरों कुल 48 लोगों को निलम्बित किया गया है। इस दौरान 129 लाइन मैंन और 85 मीटर रीडर जो संविदा पर काम कर रहे थे, उन्हें जबरन हटा दिया गया है तथा दर्जनों अभियंताओं और जूनियर इंजीनियरों को चार्ज शीट दी गई है।