- ध्यान-एनर्जी को संग्रहीत करने का सुगम उपाय
- स्वस्थ रहें मस्त रहें
- शून्य से यात्रा अनंत की
पाश्चात्य या भारतीय किसी भी जीवन शैली में हम जियें,ईश्वर की प्राप्ति हम कर सकते हैं। सरल शांत और आध्यात्मिक जीवन हम जी सकते हैं। अध्यात्म में तनाव मुक्त होने की सुविधा है। वर्तमान समय में हमारी जीवन चर्या इस तरह बिगड़ चुकी है कि अनावश्यक तनाव में जीना पड़ रहा है,जिसके कारण बीपी-हाईपरटेंशन, हृदय रोग, शुगर और मनोरोग आदि विभिन्न प्रकार के लोगों के हम शिकार होकर अल्पायु होरहे हैं। यह बड़ी भयावह स्थिति है। इसके लिए हमें अपनी जीवन शैली में थोड़ा सा सुधार करना होगा।
नशामुक्त सीधी सादी जीवनशैली,नियमित जीवन चर्या,समय से सोना और जगना..हल्का-फुल्का आसन व व्यायाम तथा संतुलित भोजन करने की आदत डालें। थोड़ी देर सभी कार्यों से विरत होकर ध्यान भी करें। “ध्यान निर्विषयम् मन:” मन भी इस दौरान किसी प्रकार का चिन्तन न करें। यदि हो सके तो कोई ईश्वर का नाम स्मरण करें। हृदय या भृकुटी मध्य में प्रणव ॐ का ध्यान कर सकते हैं। यदि कोई दृश्य या घटना स्मृति पटल पर अरहा है,तो द्रष्टा बन कर उसे देंखें। यह ठीक उसी प्रकार हो जैसे कोई नदीके तट पर बैठ कर नदी का प्रवास देखता हो या समुद्र के किनारे बैठ कर उसके जल को देखे।
यह ध्यान हमें कुछ ही देर में शून्य स्थिति में पहुंचा देगा। इस अवस्था में कुछ देर रहें।यह प्रक्रिया नित्य एक निश्चित समय पर करें। लगातार ध्यान करने से चित्त प्रसन्न और दिन भर संतुष्ट रहेगा। ध्यान के लिए पद्मासन या सिद्धासन सबसे श्रेष्ठ है वैसे कुर्सी पर भी बैठ कर हो सकता हैं। क्योंकि कुछ लोग आसन पर बैठकर ध्यान कर पाने में असमर्थ होंगे।
शून्य से अनंत की यात्रा
ध्यान मे मन का निर्विषय होना ही शून्य की ओर जाना है। उस शून्य से हम ईश्वर की अनंत सत्ता मे प्रवेश कर सकते हैं। पर इस यात्रा मे जो अपार शांति और आनंद की अनुभूति होगी,वह हमे अध्यात्म के आकाश मे प्रवेश करा देगी। इस प्रकार यह यात्रा शुन्य से अंनंत की होगी और हम असीमित आनंद की अनुभूति करेंगे।