- स्थानांतरण के बाद भी उन्हीं जेलों पर जमे दर्जनों जेलकर्मी
- मुख्यालय में पटल परिवर्तन के बाद भी पुराने अनुभाग में काम कर रहा बाबू
- जेल मुखिया का मातहत कर्मियों पर नहीं कोई नियंत्रण
लखनऊ। कारागार विभाग के डीजी पुलिस व IG जेल का मातहत अधिकारियों और कर्मचारियों पर कोई नियंत्रण नहीं है। यह बात सुनने में भले ही अटपटी लगे लेकिन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की कार्यप्रणाली ने इसे सच साबित कर दिया है। इस विभाग में अधिकारी और कर्मचारी स्थानांतरण होने के बाद कार्यमुक्त होने के बजाए वह उन्हीं स्थानों पर जमे रहते है। छह माह पूर्व स्थानांतरण सत्र के दौरान स्थानांतरित किए गए दर्जनों कर्मियों आज तक रिलीव नहीं किया गया है। दिलचस्प बात यह है कि विभाग के आला अफसर सब कुछ जानकार अंजान बने हुए हैं। हकीकत यह है कि इस विभाग में स्थानांतरण सिर्फ दिखावे के लिए ही किए जाते है। विभाग में इनका कोई मायने ही नहीं रह गया है।
मिली जानकारी के मुताबिक बीती 31 जुलाई 2024 को IG जेल के निर्देश पर AIG जेल प्रशासन ने कारागार मुख्यालय में तैनात कई बाबुओं का पटल परिवर्तन किया था। इसमें लंबे समय से आधुनिकीकरण अनुभाग में तैनात बाबू शांतनु वशिष्ठ को आधुनिकीकरण अनुभाग से हटाकर टेक्निकल सेल भेजा गया था। AIG का यह आदेश कागजों में ही सिमट कर रह गया। शांतनु वशिष्ठ छह माह पूर्व हुए पटल परिवर्तन होने के बाद भी आज भी आधुनिकीकरण अनुभाग में ही काम कर रहा है। इसकी पुष्टि अनुभाग के दस्तावेजों से की जा सकती है।
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इसी प्रकार वाराणसी सेंट्रल जेल में तैनात वार्डर आशुतोष का दो बार तबादला होने के बाद आज भी वह उसी जेल पर बना हुआ है। बताया गया है कि वर्ष-2023 में इस वार्डर का तबादला गाजीपुर और वर्ष-2024 में इसका तबादला संत कबीरनगर किया गया था लेकिन इसको आज तक रिलीव नहीं किया गया है। दो बार स्थानांतरण होने के बाद भी यह वाराणसी सेंट्रल जेल पर ही जमा हुआ है। बताया गया है कि इस जेल में ही इसका एक रिश्तेदार आजीवन कारावास की सजा भी काट रहा है। यह तो सिर्फ बानगी है इसी प्रकार मुरादाबाद, सीतापुर, बाराबंकी, आगरा, बुलंदशहर, वाराणसी, हरदोई सहित दर्जनों जेलों से स्थानांतरित किए गए अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों को आज तक रिलीव नहीं किया गया। यह अधिकारी और कर्मचारी स्थानांतरण के बाद भी उन्हीं जेलों पर जमे हुए है। उधर इस संबंध में जब डीजी पुलिस व IG जेल पीवी रामाशास्त्री से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो कई प्रयासों के बाद भी उनसे संपर्क नहीं हो सका।
विभाग में प्रमोशन के बाद भी नहीं होते तबादले
कारागार विभाग में अधिकारियों और कर्मियों के प्रमोशन के बाद भी तबादले नहीं होते है। ऐसा तब हो रहा है जब प्रमोशन आदेश पर स्पष्ट लिखा जाता है कि जल्दी ही इन्हें अन्यत्र स्थानांतरित किया जाएगा। आगरा और बरेली जेल परिक्षेत्र में तैनात रंजना कमलेश और स्नेहा शर्मा के दो-दो प्रमोशन किए गए। प्रमोशन के बाद आज तक इनका तबादला नहीं किया गया। यह दोनों ही बाबू पिछले 18-20 साल से प्रमोशन के बाद भी उसी जगह पर तैनात है। इसी प्रकार कई जेल अधिकारियों का भी प्रमोशन के बाद तबादला नहीं किया जाता है। इस विभाग में जेलों पर 10-15 साल से तैनात बाबुओं को तो स्थानांतरित ही नहीं किया जाता है।
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