शाश्वत तिवारी
नई दिल्ली। मध्य अफ्रीकी देश कैमरून में फंसे 11 प्रवासी कामगारों की घर वापसी सुनिश्चित हुई है। विदेश मंत्रालय और झारखंड के मुख्यमंत्री से सहायता मांगने के बाद झारखंड के रहने वाले इन श्रमिकों को वापस लाने का काम तेजी से किया गया। कामगारों ने बताया कि जिस कंपनी में वे काम करते थे, वहां से उनका वेतन रोक दिया गया था, जिसके बाद केंद्र और राज्य के अधिकारियों ने उन्हें वापस लाने के लिए समन्वित प्रयास किए।
यह समूह झारखंड के 47 कामगारों के एक बड़े दल का हिस्सा है, जिन्होंने लंबे समय से इसी तरह की चुनौतियों का सामना किया है। शेष 36 कामगारों के जनवरी में भारत लौटने की उम्मीद है। ये कामगार तीन जिलों हजारीबाग, बोकारो और गिरिडीह से हैं। वापस लाए गए लोगों में हजारीबाग के रेवतलाल महतो, बोकारो के खिधर महतो और गिरिडीह के मुकेश महतो ने रांची के बिरसा मुंडा हवाई अड्डे पर पहुंचने पर राहत महसूस की और केंद्र तथा राज्य सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया।
इन कामगारों को मुंबई स्थित एक फर्म से जुड़े पांच बिचौलियों के जरिए कैमरून भेजा गया था। हालांकि, फर्म अंतरराज्यीय प्रवासी श्रमिक अधिनियम, 1979 के तहत अनिवार्य कानूनी आवश्यकताओं का पालन करने में विफल रही, जिसमें श्रमिक पंजीकरण और आवश्यक लाइसेंस प्राप्त करना शामिल है। राज्य श्रम आयोग ने इसके उल्लंघन और श्रमिकों के वेतन को रोकने के लिए फर्म के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष ने नियोक्ताओं के साथ बातचीत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और साथ ही श्रमिकों के 39.77 लाख रुपये बकाया का भुगतान भी सुनिश्चित कराया। कैमरून में स्थित भारतीय उच्चायोग जनवरी में उनकी सुरक्षित वापसी तक शेष 36 श्रमिकों को निरंतर सहायता प्रदान कर रहा है।