- दहशत के साये में गुजर रही इलाकाई लोगों की रातें
- 28 दिनों के ऑपरेशन के बाद भी वन विभाग के हाथ खाली
ए अहमद सौदागर
लखनऊ। काकोरी, माल व मलिहाबाद क्षेत्र में इन दिनों बाघ की आमद पर स्थानीय लोग दहशत के साये से गुजर रहे हैं। किसान अपने-अपने खेतों में जाने के लिए जंगल की झाड़ियों के बीच होकर कैसे पहुंच सकेंगे। इसको लेकर परेशान हैं, वहीं जंगल में कहां बाघ हो सकता है इसे सुनते ही खेती-बारी करने वाले किसान सहम उठते हैं।
खेतों पर जाने के लिए किसान भरसक प्रयास करते नजर आ रहे हैं लेकिन वनराज का नाम सुनते ही उनके कदम पीछे हट जाते हैं। वन विभाग 28 दिनों में बाघ को पकड़ने के लिए कई बार सर्च ऑपरेशन चलाया, अभी तक कामयाबी नहीं मिल सकी। यही नहीं पिंजरे में बंद एक भैंस के बच्चे की जान भी चली गई। दिलासा देते हुए वन विभाग के आलाधिकारियों एवं कर्मचारियों ने किसानों से अपने-अपने खेतों पर जाने के लिए कहा, लेकिन किसानों ने कहा.. ना बाबा ना…
काकोरी, माल व मलिहाबाद क्षेत्र के दर्जन भर इलाके ऐसे हैं जहां पर आजकल बाघ का आतंक बना हुआ है। मलिहाबाद, माल व काकोरी सीमा पर बसे गांवों में जहां बाघ को लेकर लोग भयभीत व परेशान हैं। इसमें सबसे प्रमुख किसान हैं जो अपनी फसलों की देखरेख नहीं कर पा रहे हैं। बाग या फिर जंगल झाड़ियों के बीच से होकर जाने वाले लोग दहशत में हैं कि कहीं बाघ न झपट्टा मार दे। स्थानीय लोगों का कहना है कि वह पिछले 27 – 28 दिनों वैसे ही घरों में कैद होकर रह गए हैं । बच्चे घरों में दुबके रहते हैं स्कूल आना-जाना मुश्किल है। फिलहाल वन विभाग के चंगुल में अभी तक बाघ नहीं लग पाया है।