लखनऊ। वास्तु शास्त्र में घर की दिशाओं का जीवन पर गहरा प्रभाव माना गया है। हर दिशा एक विशेष ऊर्जा से जुड़ी होती है, जिसका असर हमारे दैनिक जीवन और संबंधों पर पड़ता है। उत्तर-पूर्व दिशा, जिसे ईशान कोण कहा जाता है, को देवताओं और ब्रह्म का स्थान माना जाता है। यह दिशा गुरु बृहस्पति के अधीन है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक मानी जाती है। हालांकि, इस दिशा में शयनकक्ष होने से कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
पति-पत्नी के रिश्तों पर प्रभाव
वास्तु शास्त्र के अनुसार, ईशान कोण में शयनकक्ष होने से गुरु और शुक्र के प्रभाव में कमी आती है। इसके कारण पति-पत्नी के बीच आपसी प्रेम और समझ में गिरावट आती है, और तकरार की स्थिति पैदा हो सकती है। यह दिशा शयन सुख के लिए भी उचित नहीं मानी जाती, जिससे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
किसके लिए उपयुक्त है ईशान कोण का शयनकक्ष?
बताया गया है कि ईशान कोण दिशा का शयनकक्ष बच्चों और वृद्धजनों के लिए लाभदायक माना जाता है। 17-18 साल तक के बच्चों के लिए इस दिशा में शयनकक्ष होने से वे अनुशासित और मर्यादित रहते हैं। वहीं, घर के वृद्ध सदस्यों के लिए भी यह दिशा आत्मिक शांति और ध्यान के लिए उपयुक्त है।
सही दिशा का चयन है जरूरी
पति-पत्नी के रिश्ते और घर में सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने के लिए वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करना महत्वपूर्ण है। शयनकक्ष के लिए सही दिशा का चयन न केवल सुख-समृद्धि बढ़ाता है, बल्कि रिश्तों को भी मजबूत करता है।