महाराजगंज : बंगाल और असम के प्रवासी किरायेदारों को पुलिस ने 24 घंटे में घर खाली करने का आदेश दिया

दिव्यांशू जायसवाल

महाराजगंज। जिले में बंगाली और आसामी मूल के लोगों को पुलिस द्वारा 24 घंटे के भीतर किराए के मकान खाली करने का आदेश दिया गया है। पुलिस ने कहा कि यह जिला प्रशासन के निर्देशों के अनुसार हो रहा है। आदेश के तहत, यदि वे समय पर मकान खाली नहीं करते, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

प्रवासी समुदाय में हड़कंप

पुलिस के अचानक आए इस आदेश से बंगाल और असम के प्रवासी किरायेदारों में दहशत का माहौल है। कई लोगों ने इस आदेश को अन्यायपूर्ण बताते हुए सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, “हम अपनी रोजी-रोटी के लिए यहां रहते हैं। अचानक से हमें मकान खाली करने और वापस जाने के लिए कह दिया गया है। यह हमारे परिवारों पर गंभीर प्रभाव डालेगा।”

पुलिस का जवाब

जब प्रवासियों ने पुलिस से पूछा कि उनके खिलाफ यह कार्रवाई क्यों की जा रही है, तो पुलिस का कहना था कि यह आदेश महाराजगंज जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) का है। पुलिस ने बताया कि आदेश में कहा गया है कि असम और बंगाल के लोग “उपद्रवी तत्व” हैं और उनकी उपस्थिति जिले की शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है।

प्रशासन का पक्ष

सूत्रों के अनुसार, जिला मजिस्ट्रेट ने यह फैसला कुछ हालिया घटनाओं के बाद लिया, जिनमें बाहरी प्रवासियों पर कानून-व्यवस्था बिगाड़ने के आरोप लगे थे। हालांकि, प्रशासन ने इस आदेश की औपचारिक जानकारी या लिखित आदेश अभी तक सार्वजनिक नहीं किया है।

प्रवासी समुदाय की अपील

प्रवासियों ने जिला प्रशासन से अपील की है कि उन्हें रहने और काम करने की अनुमति दी जाए। उन्होंने प्रशासन से कहा, “हम यहां मेहनत-मजदूरी कर अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं। हमें ‘उपद्रवी’ कहना न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि यह हमारी गरिमा का अपमान भी है।”

मानवाधिकार संगठनों की प्रतिक्रिया

मानवाधिकार संगठनों ने इस कार्रवाई की कड़ी आलोचना की है। उनका कहना है कि यह आदेश न केवल असंवैधानिक है, बल्कि इससे प्रवासी समुदाय के मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है।

कानूनी विशेषज्ञों की राय

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 के तहत हर नागरिक को देश में कहीं भी रहने और काम करने का अधिकार है। यदि प्रशासन के पास इन लोगों के खिलाफ ठोस सबूत नहीं हैं, तो यह आदेश कानूनी रूप से टिक नहीं पाएगा।

स्थानीय निवासियों की मिली-जुली प्रतिक्रिया

स्थानीय निवासियों का इस मामले पर विभाजित रुख है। कुछ लोग इसे कानून-व्यवस्था बनाए रखने का सही कदम मानते हैं, जबकि अन्य इसे मानवता और सह-अस्तित्व के खिलाफ मानते हैं।

निष्कर्ष : यह मामला अब जिले में एक संवेदनशील मुद्दा बन चुका है। जिला प्रशासन को इस मामले पर जल्द से जल्द स्पष्टता प्रदान करनी चाहिए। बिना ठोस आधार के किसी भी समुदाय के खिलाफ ऐसी कार्रवाई समाज में अस्थिरता पैदा कर सकती है। मामले की जांच और संवाद ही इस समस्या का समाधान हो सकता है।

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