सूबे समेत देश में तेज़ी से बस रहे विदेशी, अब जनता के भी मन की बात सुनो, मोदी-योगी जी?

  • काश दिल्ली जैसा चुनाव यूपी मे भी होता तो यहां भी विदेशियों की जांच होती?
  • नेपालियों, रोहिंग्याओं, बांग्लादेशियों से देश-प्रदेश का कोना-कोना भरा जा रहा है?
  • वहां के हिंदुओं को बचाने हेतु यहां के विदेशियों को बाहर निकालो?

विजय श्रीवास्तव

लखनऊ। भारत की आबादी इतनी तेज़ी से नहीं बढ़ी जितनी आँकड़ों में दिखती है। यहाँ लोग रोजी-रोटी के जुगाड़ में आते हैं, फिर यहीं बस जाते हैं। यहाँ के लोग चंद पैसों के चलते उनका आधार बनवा देते हैं और वो ख़ुद को भारतीय मूल का मानने लगते हैं। इनमें भारी संख्या बांग्लादेशियों, नेपालियों और रोंहिग्या शामिल है। उच्च पदस्थ सूत्र बताते हैं कि देश में बहुतायत संख्या में पाकिस्तानी भी आ गए। वो आए तो वीज़ा लेकर लेकिन यहाँ दिमाग़ लगाया और अपने रिश्तेदारों के साथ मिलकर ख़ुद को भारतीय साबित कर दिया। चिंताजनक स्थिति यह है कि देश के अल्पसंख्यक भी उनका साथ दे रहे हैं, वो केवल चंद फ़ायदे और वोट की ख़ातिर उन्हें अपने देश में बसाने की गलती कर रहे हैं। यही रवायत चली तो आने वाले दिनों में यूपी के कई इलाक़े में यह बहुतायत हो जाएँगे और जब इन्हें निकाला जाएगा तो यह बड़ा बवाल पैदा कर सकते हैं। ग़ौरतलब है कि रेलवे लाइन के किनारे, बस स्टेशन के पास, टैक्सी स्टैंड से सटे और नदी-नालों के किनारे पड़ी सरकारी ज़मीनों पर यह तेज़ी से क़ब्ज़ा कर रहे हैं और सरकारी अस्पतालों में भी भारी संख्या में इलाज कराने पहुँच रहे हैं। ये सारा सरकारी फ़ायदा उठा रहे हैं, जिससे देख के वास्तविक निवासी वंचित हो रहे हैं।

बात नेपाल से आने वालों की करें तो नेपाल-भारत की 1951की संधि के अनुसार दोनों देशों के आवागमन पर वीजा पासपोर्ट का विधान नही किया गया था, जो अब तक चला आ रहा है। नेपाल-भारत के रक्सौल, सोनौली, खुनुवा, बढनी, कोयलाबासा, रूपईडीहा, वीरगंज, नेपालगंज आदि नगरों की खुली सीमा का फायदा उठाकर बिना रोक-टोक प्रतिदिन हजारों नेपाली भारत मे रोजी-रोटी के तलाश के बहाने देश प्रदेश के कोने-कोने मे आते हैं। नौकरी, दुकान करते-करते जुगाड से फर्जी आधार कार्ड बनवाते हैं और भारत के नागरिक बन बैठते हैं। लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, अयोध्या आदि यूपी के बड़े शहरों मे ही इनकी व इनके जैसे बांग्लादेशियों की संख्या अब लाखों मे बताई जाती है।

यूपी के सिद्धार्थनगर की 68 किमी की खुली सीमा पर अकेले बढनी से ही यूपी परिवहन निगम की दर्जनों बसें प्रतिदिन नेपालियों को लेकर दिल्ली सहित प्रदेश के दर्जनों शहरों मे रोजी-रोटी के बहाने लेकर जाती हैं। इनमें से कितने वापस नेपाल लौटे, कितने भारत में हमेशा के लिए बस गये, भारत सरकार के कस्टम, एसएसबी सहित बॉर्डर के किसी विभाग के पास कोई रजिस्टर्ड डाटा रिकॉर्ड नही है। इसी प्रकार बांग्लादेश सीमा पर 1971 के बाद से ही चली आ रही आवागमन की लचर व्यवस्था को और दुरूस्त करने व घुसपैठ कराने वाले जिम्मेदार अधिकारियों और विभागों पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चलाने की पुरजोर मांग उठने लगी है। आधार कार्ड असली है य नकली पता लगाने की सुलभ विधि बैंकों, रजिस्ट्री खानों, सायबर दुकानों, थानों में केंद्र सरकार को उपलब्ध करवानी चाहिए। जिससे किराए पर कमरा देने वाले मकान मालिकों को भी आधार कार्ड की सत्यता का आसानी से पता लग सके।

बांग्लादेश के रोहिंग्या और सामान्य मुसलमान भारत में उसी जगह को अपना बसेरा बनाता है, जहां बहुतायत में मुसलमान बसते हैं। वहाँ जाकर ये आसानी से आधार कार्ड, वोटर कार्ड आदि की सुविधा हासिल कर लेते हैं और वहाँ के स्थानीय वोट के लालच में इनका पूरा सपोर्ट भी करते हैं। ज़्यादा संख्या में रोहिंग्या बस गए तो आसानी से नगर पंचायत का चेयरमैन और ग्राम प्रधान बना जा सकता, इसी लालच में उन्हें बसाने में भारतीय मुसलमान भी मदद कर रहे हैं। लेकिन एक बात उनके दिमाग़ में नहीं आ रही है कि इनके आने से देश की जनसंख्या वृद्धि व संसाधनों के वितरण प्रणाली ध्वस्त हो रही है। उस पर नियंत्रण कर इनकी जांच कर दिल्ली जैसा इन्हें इनके मूल देश में वापस भेज देने की मांग जोर पकड रही है।

कई रिटायर फौजियों की सरकार से गुहार है कि देश भर के अल्पसंख्यकों का सम्मेलन और कार्यशाला कराकर उन्हें देश के प्रति वफादार व राष्ट्र प्रेमी बने रहने का अभियान पाठ्यक्रम चलाना चाहिए। साथ ही उनके सहयोगा से विदेशियों की पहचान करके उन्हें तत्काल देश बाहर कर देना चाहिए। एक वाक़या लखनऊ का बता रहा हूँ। इंदिरा नगर में रह रहे रोहिंग्या एक दिन आक्रामक हुए और नगर निगम की टीम पर हमला बोल दिया। यह ख़बर जब महापौर सुषमा खर्कवाल के कानों तक गई, तब उन्होंने पुलिस को बुलाया और मामले को शांत कराया। बताते चलें कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुकरैल नाले के किनारे अवैध रूप से बसे सभी बांग्लादेशियों को उजाड़ फेंका है।

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