- पटल परिवर्तन के बाद भी अभी तक उसी अनुभाग में जमा बाबू
- मुख्यालय में बैठे आला अफसरों के कान पर नहीं रेंगी जूं
लखनऊ। कारागार विभाग में स्थानांतरण के बाद उन्हीं जेलों पर जमे सुरक्षाकर्मियों की खबर का बड़ा असर हुआ है। विभाग में दिखावे के लिए होते तबादलों शीर्षक से प्रकाशित हुई खबर के बाद स्थानांतरित एक हेड वार्डर समेत तीन वार्डर को तत्काल कार्यमुक्त कर दिया गया है। सभी वार्डरो को तत्काल स्थानांतरित जेलों पर कार्यभार ग्रहण करने का निर्देश दिया गया। यह अलग बात है इस खबर का मुख्यालय में बैठे अफसरों पर कोई असर नहीं पड़ा है। पटल परिवर्तन के बाद आधुनिकीकरण अनुभाग में अवैध तरीके से काम कर रहे बाबू समेत अन्य स्थानांतरित कर्मियों और अधिकारियों को अभी तक नहीं हटाया गया है।
बीती 30 दिसंबर को “कारागार विभाग में दिखावे के लिए होते तबादले” शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। इस खबर के प्रकाशित होने के बाद प्रदेश के जेल अधिकारियों में हड़कंप मच गया। हरकत में आए वाराणसी जेल अधीक्षक ने आनन फानन में स्थानांतरित हेड वार्डर विक्रम राम सिंह, वार्डर विक्रम सिंह, प्रवीण सिंह, नवीन सिंह और आशुतोष सिंह को स्थानांतरित जनपदों की जेलों के लिए तत्काल प्रभाव से कार्यमुक्त कर दिया है। इस सुरक्षाकर्मियों को तत्काल प्रभार संभालने के निर्देश दिए गए हैं।
प्रकाशित खबर में 31 जुलाई को आईजी जेल के निर्देश पर एआईजी मुख्यालय प्रशासन ने कई बाबुओं के पटल परिवर्तन किए थे। इसमें आधुनिकीकरण अनुभाग में लंबे समय से जमे बाबू शांतनु वशिष्ठ को तकनीकी सेल में भेजा गया था। पटल परिवर्तन के बाद भी यह बाबू आज भी आधुनिकीकरण अनुभाग में ही काम कर रहा है। मुख्यालय के आला अफसरों ने इस मामले में अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की है। यही नहीं प्रदेश की विभिन्न जेलों पर तैनात सुरक्षाकर्मी और अधिकारी आज भी स्थानांतरण के बाद भी उन्हीं जेलों पर जमे हुए है। इन्हें कब कार्यमुक्त किया जाएगा। यह सवाल विभागीय अधिकारियों और कर्मियों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसको लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
स्थानांतरित कर्मियों की सूचना नहीं मांगता जेल मुख्यालय!
कारागार मुख्यालय से आए दिन प्रदेश की जेलों से तमाम तरह की सूचनाएं मांगी जाती है। बंदियों की समयपूर्व रिहाई समेत अन्य तमाम सूचनाएं तो मांगी जाती है किंतु जेलों से स्थानांतरित अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों की सूचनाएं नहीं मांगी जाती है। सूत्रों की माने तो प्रदेश की जेलों में सैकड़ों की संख्या में स्थानांतरित कर्मियों को तबादलों के छह माह बाद भी कार्यमुक्त नहीं किया गया। प्रमोशन के बाद जेल परिक्षेत्रों में जमे बाबुओं को भी स्थानांतरित नहीं किया जा रहा है। आगरा और बरेली परिक्षेत्र कार्यालय इसका जीता जगता उदाहरण बना हुआ है। मुख्यालय के आला अफसर भ्रष्टाचार में लिप्त इन बाबुओं को हटाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं?