- शिक्षक गया प्रसाद तिवारी के बेटे और बहू ने ब्यूरोक्रेसी में रचा कीर्तिमान
उमेश चन्द्र त्रिपाठी
लखनऊ/महराजगंज । यूपी के एक छोटे से शहर महोबा से निकलकर एक ब्राह्मण परिवार ने अपनी मेहनत, लगन और ईमानदारी से प्रशासनिक सेवाओं में मिसाल कायम की है। यह प्रेरणादायक कहानी है शिक्षक गया प्रसाद तिवारी के परिवार की, जिनके तीन बेटे और बहू ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में अपनी धाक जमाई है। गया प्रसाद तिवारी, जिन्होंने महोबा में शिक्षक और प्रधानाचार्य के रूप में अपनी सेवाएं दीं, ने अपने बच्चों को शिक्षा का महत्व सिखाया। उनकी मेहनत और संस्कारों ने उनके तीन बेटों को देश की सबसे प्रतिष्ठित सेवा, भारतीय प्रशासनिक सेवा, में प्रवेश दिलाया।
गया प्रसाद के सबसे बड़े बेटे, देवेंद्र कुमार तिवारी, झारखंड के मुख्य सचिव रह चुके हैं और वर्तमान में राज्य निर्वाचन आयुक्त के पद पर कार्यरत हैं। उनकी प्रशासनिक क्षमता और ईमानदारी ने उन्हें झारखंड में एक प्रतिष्ठित अधिकारी के रूप में स्थापित किया। दूसरे बेटे, राजेंद्र कुमार तिवारी, 1985 बैच के यूपी कैडर के आईएएस अधिकारी रहे हैं। उन्होंने अगस्त 2019 से दिसंबर 2021 तक उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव के रूप में अपनी सेवाएं दीं। उनके कार्यकाल को प्रदेश में प्रभावी प्रशासन के लिए याद किया जाता है।
सबसे छोटे बेटे, धीरेंद्र कुमार तिवारी, 1994 बैच के पंजाब कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। मौजूदा समय में वह अपर मुख्य सचिव के पद पर तैनात हैं और मुख्य सचिव बनने की कतार में हैं। इस परिवार की प्रेरणादायक गाथा यहीं खत्म नहीं होती। देवेंद्र कुमार तिवारी की पत्नी, अलका तिवारी, झारखंड की नई मुख्य सचिव बनी हैं। उनका कार्यकाल सितंबर 2025 तक रहेगा।
गया प्रसाद तिवारी का परिवार इस बात का प्रतीक है कि शिक्षा, मेहनत और संस्कार के बल पर सफलता के शिखर को छुआ जा सकता है। यह परिवार न केवल प्रशासनिक सेवाओं में योगदान दे रहा है, बल्कि युवाओं को प्रेरणा भी दे रहा है कि सपने किसी भी पृष्ठभूमि से आकर पूरे किए जा सकते हैं। गया प्रसाद तिवारी का जीवन और उनके बच्चों की उपलब्धियां यह साबित करती हैं कि समर्पण और दृढ़ संकल्प से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है।