Exclusive News : योगी की ‘तपस्या’ का महाकुंभ

संजय सक्सेना

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीब आठ वर्ष के शासनकाल में राज्य की ‘तस्वीर’ काफी बदल गई है। इस बदलाव का आगाज 2017 से उनके पहली बार सीएम बनने के बाद दिखने लगा था जो आज नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया है। खास बात यह है कि पिछले आठ वर्षो में योगी की कार्यशैली और तेवर में कोई बदलाव नहीं आया है। न वह रूके हैं,न थके हैं। लॉ एंड आर्डर, महिलाओं का सम्मान और सुरक्षा, अपराध और भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस, आज भी उनकी प्राथमिकता में है। बुलडोजर को उनकी दूसरी इनिंग में भी आराम नहीं दिया गया था। यह सब तो प्रशासनिक स्तर पर हो रहा है, वहीं योगी, प्रधानमंत्री मोदी के साथ प्रदेश की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को भी वह अपने अंदाज में नया आयाम दे रहे हैं। योगी के पहले कार्यकाल में 2019 में प्रयागराज में शानदार अर्धकुंभ का आयोजन और वाराणसी में बाबा विश्वनाथ के मंदिर का जीर्णोधार खास रहा तो 05 अगस्त 2020 को उनका प्रधानमंत्री के साथ अयोध्या में प्रभु श्री रामलला के मंदिर की आधारशिला रखना भी सनातन प्रेमियों के लिये ‘मिल का पत्थर’ साबित हुआ। इसके करीब सवा साल बाद 13 दिसंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के फेज-1 का उद्घाटन किया तो इस मौके पर भी योगी, पीएम मोदी के साथ कंधे से कंधा मिलाये खड़े नजर आये। हिंदू धर्म के लिहाज से देखें तो काशी का ज्योतिर्लिंग 12 में सबसे महत्वपूर्ण है। इस कॉरिडोर की नींव खुद पीएम मोदी ने 8 मार्च 2019 को रखी थी।

बात दूसरे कार्यकाल की कि जाये तो यह भी शानदार चल रहा है। 22 जनवरी 2024 को रामलाल के मंदिर का उदघाटन करके मोदी के साथ-साथ योगी ने भी करोड़ों सतातन प्रेमियों रामभक्त हिन्दुओं का दिल जीत लिया। अभी कुछ दिनों पूर्व ही योगी ने प्रदेश के पांच जिलों के मंदिरों के विकास का ऐलान किया है। इसमें लखीमपुर खीरी से उन्नाव हरदोई फर्रुखाबाद जैसे पांच बड़े जिलों के मंदिरों को शामिल किया गया है। इसके लिए करोड़ों रुपये का बजट घोषित किया गया है, ताकि मथुरा, काशी और अयोध्या जैसा भव्य स्वरूप इन धार्मिक स्थलों को दिया जा सके। मगर सबसे खास है प्रयागराज में होने जा रहा महाकंुभ-2025,जिसका वर्णन हिंदू पौराणिक कथाओं में निहित है। यह दुनिया का सबसे बड़ा सार्वजनिक समागम और आस्था का सामूहिक आयोजन है। इस समागम में मुख्य रूप से तपस्वी, संत, साधु, साध्वियाँ, कल्पवासी और सभी क्षेत्रों के तीर्थयात्री शामिल होते हैं। कुंभ मेला एक ऐसा आयोजन है जो आंतरिक रूप से खगोल विज्ञान, ज्योतिष, आध्यात्मिकता, अनुष्ठानिक परंपराओं और सामाजिक-सांस्कृतिक रीति-रिवाजों और प्रथाओं के विज्ञान को समाहित करता है, जिससे यह ज्ञान में बेहद समृद्ध हो जाता है।

वैसे तो महाकुंभ मेला-2025 प्रयागराज में 13 जनवरी, 2025 से 26 फरवरी, 2025 तक आयोजित होने रहा है,लेकिन इसकी तैयारियां तीन साल पहले योगी सरकार ने 2022 में दूसरी बार सरकार बनाने के साथ ही शुरू कर दी थी। योगी ने महाकुंभ को भव्य बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ी है। इधर तो शायद ही कोई दिन ऐसा गया होगा जब योगी ने महाकुंभ के कार्यो की समीक्षा नहीं की होगी। इस कुंभ को योगी की तीन साल की तपस्या का महाकुंभ कहा जाये तो गलत नहीं होगा।महाकुंभ की तैयारियां अब अंतिम पड़ाव पर हैं।

योगी ने जारी किया महाकुंभ का प्रतीक चिन्ह

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 06 अक्टूबर 2024 को प्रयागराज में महाकुंभ-2025 के प्रतीक चिन्ह (लोगो) का अनावरण साथ ही वेबसाइट और ऐप को भी लॉन्च किया। महाकुंभ के लोगो का उपयोग महाकुंभ की वेबसाइट और ऐप के साथ अन्य प्रचार माध्यमों में किया जाएगा। वेबसाइट और ऐप श्रद्धालुओं और पर्यटकों के वायु, रेल और सड़क मार्ग से महाकुंभ पहुंचने में काफी कारगर रहने वाला है। इसके माध्यम से प्रयागराज में आवास, स्थानीय परिवहन, पार्किंग, घाटों तक पहुंचने के दिशा-निर्देश आदि की जानकारी मिल सकेगी। इसमें स्थानीय और आसपास के पर्यटन स्थलों की भी जानकारी होगी. मेला स्थल और धार्मिक गतिविधियों से जुड़ी हुई जानकारी इसके जरिए दी जाएगी।

महाकुंभ से पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

पर्यटन के क्षेत्र में शीर्ष पर पहुंचने की योगी सरकार की उम्मीदों का आधार इस बार प्रयागराज में लगने वाला महाकुंभ बनता दिख रहा है। पिछले डेढ़ दशक के पन्ने पलटे तो यूपी में सबसे अधिक 58 करोड़ से अधिक पर्यटन 2019 में यूपी में आए थे। इसमें 24 करोड़ से अधिक की हिस्सेदारी लगभग डेढ़ महीने तक चले प्रयागराज कुंभ की थी। इसलिए, 13 जनवरी से शुरू हो रहे प्रयागराज महाकुंभ में लगने वाली आस्था की डुबकी से यूपी की अर्थव्यवस्था को ‘अर्थ’ के अमृत की आस है। माना जा रहा है कि महाकुंभ में इस बार 40 से 45 करोड़ श्रद्धालु आएंगे। मानवता की इस सबसे बड़ी जुटान के भरोसे प्रदेश में 2025 में कुल पर्यटन की संख्या 65 से 70 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। महाकुंभ में व्यवस्थागत तैयारियों पर 7 हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए जा रहे हैं। अलग-अलग देशों में भी ब्रांडिंग का असर यह है कि यूरोपीय देश के नागरिक भी महाकुंभ आने या जानकारी हासिल करने के लिये उत्साहित नजर आ रहे हैं। वहीं महाकुंभ की आभा पर मां गंगा की कृपा बरसने लगी है। संगम पर गंगा मैइया ने लगभग 300 मीटर स्नान घाट के विस्तार का अवसर दे दिया। ठीक संगम नोज के सामने यह जगह मिल गई है। इससे संगम का स्नान घाट लगभग पांच हजार रनिंग फीट हो जाएगा, जो पहले लगभग साढ़े तीन हजार रनिंग फीट तक ही हो पा रहा था।

फेक न्यूज रोकने को डिजिटल वारियर्स

महाकुंभ में कोई व्यवधान नहीं खड़ा कर पाये इसलिये फेक न्यूज के खिलाफ अभियान चलाने,साइबर अपराध के प्रति जागरूकता एवं पुलिस के सराहनीय कार्यों को इंटरनेट मीडिया के विभिन प्लेटफार्म पर प्रसारित करने के लिए डिजिटल वारियर्स को तैनात किया गया है। इसके लिए युवा पीढ़ी के इंटरनेट मीडिया इन्फ्लूएंसर्स एवं कालेज के छात्रों को जोड़ा गया है। वहीं महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की सटीक गिनती के लिए एआई से लैस कैमरे लगाए गये हैं। योगी सरकार का कहना है कि प्रयागराज में हर 6 साल पर होने वाले कुम्भ या 12 साल पर होने वाले महाकुम्भ में श्रद्धालुओं की सही संख्या गिनने की अभी तक कोई सटीक तकनीक नहीं थी।

अस्त्र-शस्त्र संग आवाहन अखाड़े का छावनी प्रवेश

महाकुंभ का आगाज नजर आने लगा है। सुसज्जित रथों, बग्घियों पर सवार नागाओं, संगम की रेती पर 22 दिंसबर 2025 को श्रीपंच दशनाम आवाहन अखाड़े के महामंडलेश्वरों, श्रीमहंतों, नागा सन्यासियों की छावनी प्रवेश शोभायात्रा निकली तो उनकी एक झलक पाने के लिए लोग उमड़ पड़े। विविध रूप वाले बाबाओं को देखने के लिए लोग कतारबद्ध खड़े रहे। रास्ते भर नागा सन्यासियों के दल शस्त्रों, लाठियों से कलाबाजियां भी करते रहे। छतों, बारजों से पुष्पों की वर्षा होती रही। मड़ौका उपरहार से दिन के 12 बजे भगवान सिद्ध गणेश के पूजन के साथ रथों, बग्घियों, सुसज्जित घोड़ों पर सवार होकर आवाहन अखाड़े के संतों की छावनी प्रवेश शोभायात्रा निकली।

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यूनेस्को से कुंभ को मान्यता

वर्ष 2017 में कुंभ मेले को यूनेस्को ने ‘मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर’ का दर्जा दिया था। महाकुंभ का आयोजन हर 144 साल में यानी 12 पूर्ण कुंभ मेलों के बाद होता है। पूर्ण कुंभ मेला हर 12 साल में आता है और इसे इन चारों जगहों पर बारी-बारी से आयोजित किया जाता है। इसके अलावा, हर छह साल में दो जगहों हरिद्वार और प्रयागराज में अर्ध कुंभ मेला भी लगता है। अर्ध कुंभ, पूर्ण कुंभ के बीच में आता है।

सरकार मीडिया को देर रही महाकुंभ कवरेज की टिप्स

मीडिया कवरेज के लिए अंग्रेजी और हिंदी में छपे यूपी सरकार के एक ब्रोशर में पत्रकारों और संपादकों को बताया गया है कि महाकुंभ 2025 को कैसे कवर किया जाए, उन्हें किस तरह की स्टोरी करनी चाहिए और इसके लिए वे किससे बातचीत करें व किसका साक्षात्कार लें.महाकुंभ 2025 की तैयारियां 2022 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक के साथ शुरू हुईं. तब से मुख्यमंत्री ने योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज के कई दौरे किए। आयोजन से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने स्वयं तैयारियों का जायजा लिया और कई प्रमुख परियोजनाओं का उद्घाटन किया. दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक समागम की मेजबानी करने के लिए एक अस्थायी शहर, ‘महाकुंभ नगर’ बसाने के लिए यह जरूरी था। इस नए शहर को बनाने के लिए 50,000 से ज़्यादा मज़दूरों ने दिन-रात खुद को समर्पित कर दिया। जहां स्थायी पुल समय पर नहीं बन पाए, वहां अस्थायी चार लेन वाले स्टील पुल बनाए गए. प्रयागराज की ओर जाने वाली सड़कों को चौड़ा किया गया और तीर्थयात्रियों की आमद को ध्यान में रखते हुए उनका सौंदर्यीकरण किया गया। डबल इंजन वाली सरकार ने बेहतर तालमेल के साथ काम किया और यह सुनिश्चित किया कि रेलवे पुल और अन्य बुनियादी ढांचे इस आयोजन की मांगों को पूरा करें।

…..जब साक्षी महाराज को कुंभ में नहीं आने दिया गया

निर्मल अखाड़ा अपनी नीति-नियम के प्रति सख्त व समर्पित है। पद भले कितना बड़ा हो, लेकिन गलत कार्य करने वाले को क्षमा नहीं किया जाता। यही कारण है कि बीजेपी सांसद साक्षी महाराज को भी कार्रवाई का सामना करना पड़ा था। साक्षी महाराज निर्मल अखाड़ा के महामंडलेश्वर हैं। 10 फरवरी 1997 में भाजपा के चर्चित नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी की फर्रुखाबाद में गोली मारकर हत्या कर दी गई। हत्याकांड में साक्षी महाराज का नाम जुड़ गया। इस पर अखाड़े ने उन्हें समस्त पदों से हटा दिया। वर्ष 2001 से 2007 तक हुए कुंभ-महाकुंभ में उन्हें शामिल नहीं किया। कोर्ट से बरी होने के बाद पुनः अखाड़े में शामिल किया गया।

महाकुंभ पर आतंक का भी साया

एक तरफ केंद्र की मोदी और यूपी की योगी सरकार महाकुंभ को यादगार बनाने में जुटी हैं तो दूसरी तरफ कट्टरपंथियों की जमातें चुपचाप पर्दे के पीछे से महाकुंभ में षड्यंत्र का जाल बिछा रहे हैं।खुफिया जानकारी के अनुसार महाकुंभ में अप्रिय घटनाओं को अंजाम देने के लिए सीमा पार से भारत के मीर जाफरों की फौज को सक्रिय कर दिया गया है, जो समाज के विभिन्न क्षेत्रों में छद्म वेष धारण करके राष्ट्र विरोधी, मानवता विरोधी और समाज विरोधी कार्यों को अपने आकाओं के आदेशों पर निरंतर सम्पन्न कर रहे हैं। आतंक के आकाओं की विध्वंसात्मक सरगर्मियों की जानकारी होते ही शासन ने प्रयागराज में सीबीआई टीम गठित कर दी है जो केमिकल अटैक से निपटने में सक्षम बताई जाती है। इसी तरह बम निरोधी दस्तों की संख्याओं में भी इजाफा किया गया है। साइबर अटैक से निपटने के लिए विशेषज्ञों की सेवाएं सुनिश्चित की गई है। एनआईए द्वारा विशेष चौकसी बरतने हेतु गुप्त स्थान निर्धारित किये जा चुके है जहां से आयोजन स्थल पर पूरी तरह से निगरानी की जा सकेगी।

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