- वायरल वीडियो ने खोली जेल में चल रहे भ्रष्टाचार की पोल
- पूर्व में वाराणसी अधिवक्ताओं के लगाए आरोपों की हुई पुष्टि
- वीडियो में जेल के अंदर बंदियों को बेची जा रही नशीली वस्तुएं
लखनऊ। वाराणसी जिला जेल अधीक्षक की मुसीबतें थमने का नाम नहीं ले रही है। वाराणसी अधिवक्ताओं की जेल प्रशासन पर भ्रष्टाचार और अवैध वसूली की शिकायत के बाद एक वायरल वीडियो ने धूम मचा दी है। इस वीडियो में जेल के अंदर अनाधिकृत मुलाकात के साथ जेल कैंटीन में हो रही नशीले पदार्थों की बिक्री की पुल खोलकर रख दी है। उधर प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र के अधिवक्ताओ की शिकायत और वायरल वीडियो होने के बाद भी शासन और मुख्यालय दोषी अधीक्षक के खिलाफ कार्यवाही करने के बजाए उसे बचाने में जुटा हुआ है।
वाराणसी जिला जेल के वायरल वीडियो में दिखाया गया है कि जिस स्थान पर केवल महिला बंदी ही मुलाकात कर सकती हैं उस स्थान पर खुलेआम पुरुषों की मुलाकात कराई जा रही है। इसके साथ ही वीडियो में जेल केंद्र कोल्डड्रिंक्स जाते हुए भी दिखाई गया है। जेल के अंदर की कैंटीन में गुटखा, बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू समेत नशे के अन्य सामान बिकते दिखाई पड़ रहे है।इस वीडियो के वायरल होने से जेल प्रशासन के सुरक्षा दावों के साथ ही जेल में चल रहे भ्रष्टाचार और अवैध वसूली के कारनामों की पोल खुल गई है।
उल्लेखनीय है कि मुरादाबाद जेल पर तैनाती के दौरान जेल अधीक्षक पर वही तैनात रहे एक अधिकारी ने कई गंभीर आरोप लगाए थे। इस अधिकारी ने अधीक्षक पर जेल में बंदियों से अवैध वसूली करने के साथ जेल में सट्टा बाजार चलाने के मय साक्ष्य आरोप लगाए थे। अधिकारी ने शिकायत में कहा था कि जेल में अधीक्षक की तानाशाही से अराजकता का माहौल बन गया है। बंदियों की बैरेक बदलने के लिए मोटी रकम वसूल की जा रही है। इसके अलावा बंदियों का तरह तरह से आर्थिक शोषण किया जा रहा है।इसके बाद वाराणसी के अधिवक्ताओ ने जिलाधिकारी, जिला एवं सत्र न्यायाधीश से लिखित शिकायत की है। शिकायत में अधिवक्ताओ ने अधीक्षक पर बंदियों से अवैध वसूली और उत्पीड़न के दर्जनों गंभीर आरोप लगाये थे। इसके बावजूद दोषी अधीक्षक के खिलाफ आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है। उधर इस संबंध में जब आईजी जेल पीवी रामाशास्त्री से बात करने का प्रयास किया गया तो कई प्रयासों के बाद भी उनसे संपर्क नहीं हो पाया।
सेटिंग गेटिंग वाले अफसरों पर नहीं होती कार्यवाही
कारागार विभाग में ऊंची पहुंच और शासन मुख्यालय में सेटिंग गेटिंग रखने वाले अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती है। रायबरेली, झांसी, मैनपुरी, प्रयागराज और इटावा जेल इसका उदाहरण है। इन जेलों पर बड़ी घटनाएं होने के बाद कोई कार्यवाही नहीं की गई। राजधानी की जिला जेल के गल्ला गोदाम में 35 लाख की बरामदगी और साइन सिटी मामले में निलंबन की संस्तुति के बाद कार्यवाही नहीं होने पर तत्कालीन डीआईजी को सूचना आयोग की शरण में जाने के लिए विवश होना पड़ा।
वाराणसी अधिवक्ताओं ने लगाए यह गंभीर आरोप
गांजा और कैंटीन का ठेका
जेल में गांजा बेचने का ठेका एक कैदी को दिया गया है। जो इसके बदले अधीक्षक को हर महीने 2.5 लाख रुपये अदा करता है। इसी प्रकार, कैंटीन संचालन का ठेका भी एक दोषसिद्ध बंदी को दिया गया है, जिससे अधीक्षक को प्रतिदिन 80,000 रुपये मिलते हैं। कैंटीन से पान, गुटखा, और अन्य सामग्री महंगे दामों पर बंदियों को बेची जाती हैं।
मुलाकात और पीसीओ में रिश्वतखोरी
शिकायत में यह भी बताया गया कि बंदियों और उनके परिजनों की मुलाकात के लिए 250 रुपये अतिरिक्त वसूले जाते हैं। पीसीओ सुविधा के नाम पर भी बंदियों से 100 से 2000 रुपये तक लिए जाते हैं, और इसका ठेका एक दोषसिद्ध बंदी को दिया गया है।
स्वास्थ्य सुविधाओं में घोर लापरवाही का आरोप
शिकायत में कहा गया कि बीमार बंदियों को अस्पताल भेजने के लिए रिश्वत मांगी जाती है। कई बार इलाज में देरी के कारण बंदियों की मौत हो चुकी है, जिसे हार्ट अटैक का बहाना बनाकर दिखाया जाता है।
सीसीटीवी किया जा रहा नजरअंदाज
शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया कि पूर्व में तैनात दो महिला डिप्टी जेलरो ने छेड़खानी के आरोप लगाए थे, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। जेल में लगे सीसीटीवी कैमरों के सामने बंदी खुलेआम चिलम और गांजा पीते हैं, लेकिन अधिकारियों ने अब तक इसे नजरअंदाज किया है।