मकर संक्रांति का पर्व 14 को मठों, मंदिरों और आश्रमों में चढ़ती है खिचड़ी

  • हर घर मे स्नान के बाद होगा दान पुण्य
  • संक्रातिके एक दिन पहले 13 को लोहिड़ी
  • सूर्य के उत्तरायण होने पर शुरु होगा देवताओं का दिन
  • मोक्ष प्रद होता है उत्तरायण,शुरू होंगे शुभ कार्य
बलराम कुमार मणि त्रिपाठी

मकर राशि मे सूर्य की संक्रांति 14जनवरी को दिन मे 3.26पर होगी। इसी के साथ सूर्य का उत्तरायण में प्रवेश होगा। उसी के साथ देवताओं का दिन शुरु होगा ,जो छ: तक रहेगा। इन दिनों सभी तरह के मंगलकार्य किए जायेंगे। उत्तरायण मे नूतन गृहप्रवेश, यज्ञोपवीत, मंत्र -दीक्षाग्रहण, भूमिपूजन,विवाह,चौल कर्म आदि तो होते ही है, मृत्यु भी मोक्षकारक माना जाता है। भीष्मपितामह ने वाणशय्या पर रहते हुए उत्तरायण की प्रतीक्षा कर प्राणोत्सर्ग किया था। अर्जुन के इस प्रश्न पर कि योगसाधन करने वाला यदि योगभ्रष्ट होजाय तो उसकी गति कैसी होती है ?श्रीकृष्ण ने जवाब दिया-
“शुक्लेपक्षे गते ह्येषाम् षण्मासा उत्तरायणम्।”बहुधा पुण्यवान, सिद्ध, साधक,तपस्वी,योगी उत्तरायण मे मृत्यु प्राप्त करते हैं और मुक्त होजाते हैं। यदि किन्ही कारणो से मुक्त नहीं हुए तो मृत्यु के पश्चात् जन्म भी लेते हैं तो ‘ सतानाम् श्रीमताम् गेहे योगभ्रष्टोऽभिजायते। अथवा योगिनामेव कुले भवति धीमताम्…।’ अर्थात वे सज्जनों -श्रीमानों के घर जन्म लेते हैं,अथवा योगियों के घर पैदा होते हैं। ‘तत्र तं बुद्धि संयोगं लभते पूर्व देहिकम्।’ जहां पूर्व जन्म की स्मृतियां जल्द ही पा लेते हैं और फिर साधना पथ पर उससे आगे बढ़ जाते हैं। किंतु ऐसा जन्म भी दुर्लभतर होता है।

उत्तरायण के शुभारंभ की यह तिथि ही सूर्य के धनुराशि से मकर मे जाने पर मकर संक्राति कहलाती है। इस दिन नई फसल का धान कूट कर उसका चावल और उड़द के दाल की खिचड़ी संतों महात्माओं के मठों,मंदिरों और आश्रमों मे चढ़ाया जाता है। हर परिवार का प्रत्येक सदस्य दान करता है‌। तिल के लड़डू का भी दान करता है और दक्षिणा देता है। मौसम के परिवर्तन का काल होने से माघ मास मे खिचड़ी खाने की भी परंपरा है। संक्रांति के एक दिन पहले पंजाब आदि प्रांतों मे लोहिड़ी का पर्व मनाया जाता है। जिसमें साल भर के भीतर किसी घर मे विवाह,पुत्र जन्म या शुभ कार्य होने पर वह आग के चारो तरफ नृत्य गीत के साथ लोहिड़ी का पर्व मनाया जाता है।

संक्राति पर्व पर लगता है मेला

गोरखनाथ मंदिर- कबीर आश्रम मगहर मे इस अवसर पर बड़ा मेला लगता है।जहां श्रद्धालु खिचड़ी चढ़ाने दूर दूर से आते हैं। इसके अलावा हर मठ मंदिरो मे श्रद्धालु खिचड़ी चढ़ाते हैं।

महाकुंभ पर संगम नगरी प्रयाग मे

प्रयागराज में इस साल महाकुंभ लग रहा है। पौष पूर्णिमा से शुरु कर मकर संक्रांति के स्नान के साथ माघ माह मे हर साल की तरह इस साल भी लाखों की संख्या में श्रद्धालु कल्पवास करते हें। मकरसंक्राति,गणेश चौथ,मौनी अमावस्या वसंत पंचमी,पूर्णिमा से लेकर शिवरात्रि तक स्नानार्थियों की विशेष भीड़ उपस्थित होती है।

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