दो टूक : वक्फ बोर्ड में माफिया कौन है और उनकी नियुक्ति कौन करता है

राजेश श्रीवास्तव

प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन हो रहा है। इसके भव्य आयोजन की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। भक्तों का जमावड़ा भी लगने लगा है। इन सबके बीच यह दावा किया गया कि कुंभ के आयोजन के लिए वक्फ की 55 बीघा जमीन का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ ने भी प्रतिक्रिया दी। मुख्यमंत्री ने मुस्लिम नेताओं के अलग-अलग बयानों के परिपेक्ष्य में कहा कि वक्फ बोर्ड को भूमाफिया बोर्ड न बनाएं। महाकुंभ मनुष्य के ज्ञात इतिहास में सबसे पुरातन और जीवंत परंपरा है। इसका विवरण सभी प्राचीन ग्रंथों में तब से है जब धरती पर इस्लाम आया भी नहीं होगा। इस तरह के दावों को गहराई से देखने की जरूरत है। योगी आदित्यनाथ ने जो कहा है कि ये वक्फ बोर्ड है या भूमाफियाओं का बोर्ड है। ये बिलकुल सही कहा है। जो लोग देश के कानून और परंपरा को ताक पर रखकर इस तरह से पेश आते हैं उन सभी से सरकार सही तरीके से पेश आएगी। इस तरह की बात करने वालों को अब तक कानून के कठघरे में खड़ा कर देना चाहिए था।

लेकिन यह बयान और इस पर अमल इतना आसान भी नहीं है। इसी वजह से सरकार वक्फ बिल लेकर आयी थी, अभी तो यह जेपीसी में चला गया है। मुझे लग रहा है कि जल्द ही वो बिल आएगा और सरकार भूमाफियाओं के कब्जे से जमीनों को लेने की शुरुआत कर देगी। कुंभ को लेकर जिस तरह से विवादित बयान दिया गया है। मुझे लगता है कि उसे लेकर योगी आदित्यनाथ ने समुचित जवाब दे दिया है। उन्होंने अपने बयान से संदेश साफ कर दिया है। यह एक अद्भुत आयोजन है। इसे दुनिया के लोग देखने आएंगे। इसका स्वागत होना चाहिए। मुझे लगता है कि कुछ लोग इसमें अपना स्वार्थ देखने की कोशिश कर रहे हैं। इस बयान को तूल नहीं देना चाहिए।

ये भी पढ़ें

पिछले 10 से 15 साल में वक्फ की संपत्ति का आंकलन करें और सच्चर कमेटी की रिपोर्ट देखें तो वो कहती है कि देश का मुस्लिम बहुत गरीब है। और वक्फ बोर्ड अमीर होता चला गया। ये विसंगति दूर करने का समय आ गया है। इसलिए इस तरह के बयान दिए जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश ऐसा राज्य है, जहां वक्फ बोर्ड ने सबसे ज्यादा सरकारी तरीके से अतिक्रमण किया है।
दरअसल धर्म और राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर सबसे ज्यादा लूट-खसोट भारत में चल रही है और इसमें सबसे आगे होते हैं सभी धर्मों के राजनीतिक ठेकेदार। भारत सरकार संसद में वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक कर चुकी है। कहा जा रहा है कि इस बिल के पास होने के बाद इस पर कार्रवाई हो सकेगी। अब जब मुख्यमंत्री ने कहा कि वक्फ बोर्ड माफियाओं की चंगुल में है। अब यह माफिया दरअसल कौन है? इस सवाल का सीधा सा जवाब यह है कि वक्फ एक्ट 1945 में आया था। इस पर 1995 में संशोधन किया गया। जिसके मुताबिक, इस बोर्ड का अध्यक्ष एक केंद्रीय मंत्री होता है। इसके अन्य तीन सदस्य राष्ट्रीय स्तर के मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधि होते हैं और उनका चुनाव सरकार करती है। बोर्ड के अन्य चार सदस्य राष्ट्रीय स्तर के विद्बान, मैनेजमेंट, एकाउंट और कानून के विशेषज्ञ होते हैं और उनकी नियुक्ति सरकार करती है।

इसके अन्य तीन सदस्यों में दो लोकसभा और एक राज्यसभा सदस्य होते हैं और सरकार द्बारा नियुक्त किए जाते हैं। इसके अलावा, अन्य दो सदस्य हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश होते हैं। अब सवाल यह है कि अगर देश के मौजूदा कानून मंत्री को लगता है कि ये सभी लोग माफिया हैं, चोर हैं तो जिम्मेदार कौन है और सरकार ऐसे मान्यवर माफियाओं को वक्फ बोर्ड में क्यों नियुक्त कर रही है? वक्फ बोर्ड के सूत्र पूरी तरह सरकार के हाथ में हैं। वक्फ बोर्ड के पास बड़ी मात्रा में जमीन, संपत्ति है और उसका नियम है कि इसका इस्तेमाल धार्मिक और सामाजिक उद्देश्यों के लिए किया जाना चाहिए। यदि इन नियमों को तोड़ा गया है और सरकार प्रायोजित माफियाओं द्बारा भ्रष्टाचार किया गया है, तो सरकार ने उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की है? वक्फ बोर्ड की जमीनों में ‘फ़ेरबदल’ किया गया और उन पर कब्जा कर लिया गया। उन पर आलीशान महल बनाने वाले कौन हैं? सरकारी स्तर पर किसने किस तरह मदद की? लोगों को इस माफियागीरी के बारे में जानकारी मिलनी चाहिए। ऐसी जमीन पर कई फाइव स्टार होटल खड़े हैं और उनमें से कई गैर-मुस्लिम हैं। सरकार वक्फ बोर्ड एक्ट में संशोधन करना चाहती है और इसके लिए नया बिल लाया जा रहा है।

ये भी पढ़ें

यदि यह सब धार्मिक भूमि की हेराफ़ेरी है, तो इस हिदू, जैन, पारसी धार्मिक संस्थानों में हेराफ़ेरी और माफियागीरी पर सरकार ने क्या कठोर कदम उठाए? ये सभी मुद्दे गंभीर हैं, लेकिन सरकार लोगों को गुमराह कर उनका ध्यान वक्फ बोर्ड की ओर भटका रही है। सरकार वास्तव में किसकी खुशामदी करना चाहती है? धर्म के ठेकेदारों और धर्म के नाम पर माफियागीरी करने वालों पर नकेल कसनी चाहिए, लेकिन अगर यह ठेकेदारी और माफियागीरी खुद सरकार करे तो धर्म बदनाम होता है। मूलत: वक्फ बोर्ड कानून को लेकर सरकार में एक राय नहीं है। चंद्रबाबू नायडू ने इस कानून का विरोध किया तो नीतीश कुमार इस सवाल पर कमर की धोती सिर पर लपेट कर तटस्थता की ‘बांग’बाजी करने लगे हैं। इसलिए नया वक्फ बोर्ड कानून चर्चा के लिए संसद की संयुक्त समिति के पास गया। फिर भी सवाल मुंह बाए खड़ा है। वक्फ बोर्ड में माफिया कौन है और उनकी नियुक्ति कौन करता है?

Raj Dharm UP

अब भिखारियों की कुंडली खंगालेगी पुलिस, कमिश्नर ने दिए सूची तैयार करने के आदेश

हनुमान सेतु मंदिर के बाहर प्रसाद वितरण के दौरान हुई घटना के बाद जागी पुलिस इससे पहले भी हो चुकी हैं कई घटनाएं, लेकिन तब कुम्भकरणी नींद सो रहा था प्रशासन ए अहमद सौदागर लखनऊ। राजधानी लखनऊ की मशहूर हनुमान सेतु मंदिर के बाहर मंगलवार को प्रसाद लेने वालों की भीड़ लगी थी। इसी दौरान […]

Read More
Raj Dharm UP

नहीं रहे सीतारामः मौत का दोषी कौन, लॉरी… डॉ. रविकांत या सिस्टम?

लाख जतन के बाद आखिरकार रात 10 बजे लग पाया था पेसमेकर तड़के सुबह पांच बजे के आसपास लॉरी में ही ली अंतिम सांस भौमेंद्र शुक्ल लखनऊ। संतकबीर नगर निवासी सीताराम पांडेय की मौत रविवार की अलसुबह हो गई। वो हृदय रोग की गम्भीर बीमारी के चलते राजधानी लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) […]

Read More
Raj Dharm UP

सड़क सुरक्षा के दावे फेल: खिलौना बनी ज़िन्दगी

सड़क हादसों में आए दिन जा रही हैं जानें ए अहमद सौदागर लखनऊ। यूपी के अलावा अन्य राज्यों में सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए सरकारों ने अनगिनत योजनाएं शुरू की, लेकिन योजनाओं की लेट-लतीफी, अव्यवस्था, सड़क पर वाहनों की बढ़ती भीड़ और बेतरतीब रफ्तार ने जिन्दगी को खिलौना बना दिया है। आए दिन […]

Read More