संगम की रेती पर आस्था का सैलाब,डेढ़ करोड़ ने लगायी पवित्र डुबकी

महाकुंभनगर। दुनिया के सबसे बड़े सनातन समागम महाकुंभ का भव्य शुभारंभ सोमवार को पहले स्नान पर्व पौष पूर्णिमा के साथ हो गया। इस अवसर पर डेढ़ करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने पतित पाविनी गंगा,श्यामल वर्ण यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों के संगम पर अमृत स्नान किया। इसके साथ ही महाकुम्भ की विशिष्ट परंपरा कल्पवास की भी शुरुआत हो गई है। पद्म पुराण और महाभारत के अनुसार संगम तट पर माघ मास में कल्पवास करने से सौ वर्षों तक तपस्या करने के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। विधि-विधान के अनुसार लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने संगम तट पर केला,तुलसी और जौं रोपकर एक महा व्रत और संयम का पालन करते हुए कल्पवास की शुरुआत की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक्स पर पोस्ट किया कि मानवता के मंगलपर्व ‘महाकुम्भ 2025’ में ‘पौष पूर्णिमा’ के शुभ अवसर पर संगम स्नान का सौभाग्य प्राप्त करने वाले सभी संतगणों, कल्पवासियों, श्रद्धालुओं का हार्दिक अभिनंदन। प्रथम स्नान पर्व पर आज 1.50 करोड़ सनातन आस्थावानों ने अविरल-निर्मल त्रिवेणी में स्नान का पुण्य लाभ अर्जित किया। प्रथम स्नान पर्व को सकुशल संपन्न कराने में सहभागी महाकुम्भ मेला प्रशासन, प्रयागराज प्रशासन,पुलिस, नगर निगम प्रयागराज, स्वच्छाग्रहियों, गंगा सेवा दूतों, कुम्भ सहायकों, धार्मिक-सामाजिक संगठनों, विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों तथा मीडिया जगत के बंधुओं सहित महाकुम्भ से जुड़े केंद्र व प्रदेश सरकार के सभी विभागों को हृदय से साधुवाद। पुण्य फलें, महाकुम्भ चलें।

संगम की रेती पर बसे भव्य एवं सुरम्य अस्थायी जिले में महाकुंभ में उमड़ते जनसैलाब के विहंगम दृश्य के साक्षी अमेरिका, रूस, जर्मनी, इटली, इक्वाडोर समेत तमाम देशों से आये विदेशी श्रद्धालु भी बने। मेला प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार शाम चार बजे तक एक करोड़ 60 लाख लोग संगम में पवित्र डुबकी लगा चुके थे। स्नान करने का सिलसिला देर शाम तक जारी रहने का अनुमान है। पहले स्नान पर्व पौष पूर्णिमा के अवसर पर सोमवार को पुलिस के जवान चप्पे चप्पे पर सतर्क निगाहों के साथ अपने कर्तव्य का निर्वहन करते दिखे। इस दौरान देश दुनिया के कोने कोने से आये श्रद्धालुओं के प्रति उनका विनम्र व्यवहार आकर्षण का केंद्र बना। पांटून ब्रिज हो या सेक्टर, श्रद्धालु जब भी पुलिस बल से कहीं भी जाने की राह पूछते तो पुलिस कर्मी उन्हें पूरी विनम्रता के साथ उनके गंतव्य के लिए राह दिखा देते। पुलिस की यह विनम्रता देखकर श्रद्धालु भी बेहद खुश नजर आए। आस्था के महासंगम में चहुंओर सारा दिन हर-हर गंगे के जयकारे गूंजते रहे। साधु संतों की उपस्थिति से वातावरण भक्ति रस से ओतप्रोत बना रहा। गरीब अमीर, जाति धर्म से परे आस्था का यह समागम देश की एकता और अखंडता का प्रतीक बन कर दुनिया भर में अपनी आभा फैला रहा था।महाकुंभ सनातन धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक पर्व है। इसका आयोजन हर 12 सालों के बाद किया जाता है। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम तट पर श्रद्धालुओं का अद्भुत नजारा देखने को मिला। आधी रात से ही श्रद्धालु और कल्पवासी संगम तट पर जुटने लगे थे। हर-हर गंगे और जय श्रीराम के गगनभेदी जयकारों से पूरा मेला क्षेत्र गूंज उठा। विदेशी श्रद्धालुओं ने भी पावन स्नान किया।

वैदिक पंचांग के अनुसार प्रथम स्नान स्नान के लिए सुबह 5.27 से लेकर सुबह 6.21 तक का सबसे शुभ माना गया है। लेकिन श्रद्धालु आधी रात के बाद से आस्था की डुबकी लगानी शुरू कर दी। बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं तड़के से ही संगम स्नान के लिए पहुंचने लगे। आस्था का ऐसा आलम था कि सिर पर गठरी का वजन भी उनके उत्साह को कम नहीं कर सका। संगम नोज, एरावत घाट और वीआईपी घाट समेत समस्त घाटों पर सुबह से ही श्रद्धालु स्नान करते नजर आए। युवाओं में सनातन संस्कृति और आध्यात्मिकता के प्रति खासा उत्साह देखने को मिला। संगम स्नान और दान-पुण्य में बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने पवित्र संगम तट पर पूजा-अर्चना और दान कर पुण्य लाभ अर्जित किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर मेला क्षेत्र में सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतजाम किए गए। इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से चप्पे-चप्पे की निगरानी की जा रही थी। डीआईजी और एसएसपी खुद चक्रमण कर रहे थे। भीड़ प्रबंधन के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया। आधी रात और सुबह तड़के से ही पुलिस बल पूरी तरह मुस्तैद नजर आया। पहले स्नान पर्व के दौरान इंद्रदेव ने भी अपनी कृपा बरसाई। एक दिन पहले रविवार को हुई हल्की बारिश के बाद ठंडी हवा और हल्की हवा के बीच श्रद्धालुओं ने पवित्र स्नान का आनंद लिया। संगम क्षेत्र में आस्था का ऐसा अद्भुत संगम देखने को मिला, जिसने सनातन संस्कृति और आस्था के प्रति गौरव की अनुभूति कराई।

संगम तट पर पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ कल्पवास की शुरूआत हो गई। महाकुम्भ में कल्पवास करना विशेष फलदायी माना जाता है। इसलिये इस वर्ष अनुमान के मुताबिक 10 लाख से अधिक लोग संगम तट पर पूरे एक माह का कल्पवास करेंगे। कल्पवास के विधान और महात्म के बारे में तीर्थपुरोहित श्याम सुंदर पाण्डेय कहते हैं कि कल्पवास का शाब्दिक अर्थ है कि एक कल्प अर्थात एक निश्चित समयावधि में संगम तट पर निवास करना। पौराणिक मान्यता के अनुसार माघ मास में पौष पूर्णिमा से माघ पूर्णिमा तक कल्पवास करने का विधान है। श्रद्धालु अपनी शारीरिक और मानसिक स्थित के अनुरूप तीन दिन, पांच दिन, ग्यारह दिन आदि का संकल्प लेकर भी कल्पवास करते हैं। पूरी तरह विधि-विधान से कल्पवास करने वाले साधक बारह वर्ष लगातार कल्पवास कर महाकुम्भ के अवसर पर इसका पारण करते हैं, जो कि शास्त्रों में विशेष फलदायी और मोक्षदायक माना गया है।

पौराणिक मान्यता और शास्त्रों के अनुसार पौष पूर्णिमा के दिन श्रद्धालुओं ने ब्रह्म मुहूर्त में संगम स्नान कर, भगवान शालिग्रमा और तुलसी की स्थापना कर, उनका पूजन किया। सभी कल्पवासियों को उनके तीर्थपुरोहितों ने पूजन करवा कर हाथ में गंगा जल और कुशा लेकर कल्पवास का संकल्प करवाया। इसके साथ ही कल्पवासियों ने अपने टेंट के पास विधिपूर्वक जौं और केला को भी रोंपा। सनातन परंपरा में केले को भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है। कल्पवासी पूरे माघ मास केला और तुलसी का पूजन करेंगे। तीनों काल में सभी कल्पवासी नियम पूर्वक गंगा स्नान, जप, तप, ध्यान, सत्संग और पूजन करेंगे। कल्पवास के काल में साधु-संन्यसियों के सत्संग और भजन-कीर्तन करने का विधान है। कल्पवासी अपने मन को सांसरिक मोह से विरक्त कर आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग की ओर ले जाता है। महाकुम्भ का संगम घाट इस बार दुनिया के लिए बड़ा आकर्षण का केंद्र बना गया है।अमेरिका, रूस, जर्मनी, इटली, इक्वाडोर समेत तमाम देशों के लोग सनातन संस्कृति से अभिभूत नजर आए और सभी ने संगम में डुबकी लगाई और माथे पर तिलक लगाकर संगम की रेती पर निकल पड़े। इस दौरान स्पेनिश, जर्मन, रशियन और फ्रेंच समेत कई विदेशी भाषाओं में जय श्रीराम और हर हर गंगे के जयकारों से संगम का वातावरण गूंज उठा। विदेशी श्रद्धालुओं ने इसे आध्यात्मिक अनुभव का केंद्र बताया है।

अमेरिका के न्यू मैक्सिको में जन्मे बाबा मोक्षपुरी ने पवित्र संगम पर अपनी उपस्थिति से सभी का ध्यान खींचा। कभी अमेरिकी सेना में सैनिक रहे माइकल अब बाबा मोक्षपुरी बन गये हैं। उन्होंने आध्यात्मिक यात्रा और सनातन धर्म से जुड़ने की कहानी साझा की। उन्होने कहा “ मैं भी कभी साधारण व्यक्ति था। परिवार और पत्नी के साथ समय बिताना और घूमना मुझे पसंद था। सेना में भी शामिल हुआ। लेकिन एक समय ऐसा आया जब मैंने महसूस किया कि जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं है। तभी मैंने मोक्ष की तलाश में इस अनंत यात्रा की शुरुआत की।” आज वे जूना अखाड़े से जुड़े हैं और अपना पूरा जीवन सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित कर चुके हैं। अमेरिका में जन्मे बाबा मोक्षपुरी ने साल 2000 में पहली बार अपने परिवार (पत्नी और बेटे) के साथ भारत यात्रा की। वह बताते हैं, कि वह यात्रा मेरे जीवन की सबसे यादगार घटना थी। इसी दौरान मैंने ध्यान और योग को जाना और पहली बार सनातन धर्म के बारे में समझा। भारतीय संस्कृति और परंपराओं ने मुझे गहराई से प्रभावित किया। यह मेरी आध्यात्मिक जागृति का प्रारंभ था, जिसे मैं अब ईश्वर का आह्वान मानता हूं। जर्मनी की रहने वाली क्रिस्टीना ने कहा कि यहां आकर आत्मा को शांति मिलती है। मैंने महाकुम्भ के बारे में सुना जरूर था, लेकिन यहां आकर ऐसा लगा कि यह अनुभव अविस्मरणीय है।” क्रिस्टीना का जन्म इक्वाडोर में हुआ था। बाद में इनके माता पिता जर्मनी में बस गए। इक्वाडोर के निवासी उनके साथी भी भारत की आध्यात्मिकता से अभिभूत नजर आए। उनका कहना था कि गंगा में डुबकी लगाकर ऐसा महसूस हुआ, जैसे सभी पाप धुल गए हों।

न्यूयॉर्क से आए फैशन डिजाइनर कॉबी हेल्परिन ने कहा, भारत की संस्कृति और परंपराओं को इतने भव्य रूप में देखना मेरे लिए एक नया अनुभव है। महाकुम्भ ने मुझे भारतीय संस्कृति को गहराई से समझने का अवसर दिया। यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी प्रेरणादायक है। यहां आकर उन्हें गौरव का अहसास हो रहा है। रूस से आए मिखाइल और उनके दोस्तों ने संगम घाट पर गंगा स्नान कर हर हर गंगे के जयकारे लगाए। उन्होंने कहा, मैंने महाकुम्भ के बारे में पढ़ा था, लेकिन यहां आकर इसकी विशालता और दिव्यता को महसूस करना मेरे जीवन का सबसे खूबसूरत अनुभव है। यह हम सभी के लिए कभी न भूलने वाला क्षण है। (वार्ता)

Raj Dharm UP

हाथों में तिरंगा थामे अमृत स्नान करने महाकुम्भ पहुंचा झारखंड से आया जत्था

जत्थे में शामिल लोगों ने संगम तट पर लगाए भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारे मनोज श्रीवास्तव की अगुवाई में झारखंड से आया जत्था राष्ट्रीय एकता का संदेश देता दिखा मेले में आ रहे श्रद्धालु सामाजिक और राष्ट्रीय एकता का संदेश भी कर रहे प्रसारित  महाकुम्भ नगर। महाकुम्भ के मकर संक्रांति स्नान […]

Read More
Raj Dharm UP

कुंभ में दो युवा प्रतिभाओं ने ग्रहण किया संन्यास

स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती से दीक्षा लेकर सनातन की सेवा का संकल्प विशेष संवाददाता प्रयागराज।  सनातन आस्था और महाविज्ञान से प्रभावित होकर दो प्रतिभाशाली युवाओं ने आज पौष पूर्णिमा के अवसर पर संन्यास ग्रहण किया है। अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री , दंडीस्वामी पूज्य स्वामी जीतेंद्रानंद  सरस्वती ने इन दोनों युवाओं को मंत्र दीक्षा […]

Read More
Raj Dharm UP

जौनपुर जेल अधीक्षक को हटाए जाने का मामला

पुलिस का सहयोग नहीं करने के लिए अटैच किए गए अधीक्षक! आईजी जेल की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में डिप्टी जेलर बैठाना तो सिर्फ बहाना कारागार मुख्यालय से संबद्ध किए गए जेल अधीक्षक लखनऊ। आईजी जेल की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में डिप्टी जेलर का बैठना तो सिर्फ एक बहाना है। जौनपुर जेल के अधीक्षक को पुलिस का सहयोग […]

Read More