- वाणी पर संयम विचारों की व्यापकता जरूरी
- कुछ बातों की उपेक्षा कुछ पर रखें विशेष ध्यान
- तीखी जुबान पर लगायें विराम
विवाह का लगन मकर संक्रांति के साथ शुरु हुआ। बहुत से लड़के लड़कियां वैवाहिक सूत्र वंधन मे वंधेंगे। पर अचानक उन्मुक्त जीवन से दाम्पत्य सूत्र वंधन मे पड़ कर असंतुलित जीवन पद्धति के शिकार होजाते हैं। उन्हें यह नहीं पता होता है,किन बातो मे सावधानी बरती जानी चाहिए और किन बातों को उपेक्षित( इग्नोर) करना जरुरी होता है। यह बात अच्छी तरह समझ ले विवाह सिर्फ भोग भोगने के लिए नहीं,एक सफल गृहस्थ जीवन जीने के लिए है। जिससे हमें लोक और परलोक दोनो सुधारना होता है। दुल्हन बनकर ससुराल पहुंचते ही उन्मुक्त जीवन पर विराम लग जाता है और हर आचरण और व्यवहार पर लोगों की पैनी नजर होने लगती है। याद रखें थोड़ी सी लापरवाही जिंदगी भर की टीस बन जयेगी। वहीं सावधानी पूरी जिंदगी को खुशहाल कर देगी। आपसे जुड़े अब सिर्फ मायके वाले नहीं रह गए। ससुराल के देवर-देवरानी,जेठ -जिठानी ,सास और ससुर के अलावा ननद और ननदोई,बुआ और फूफा जी भी है।
यही हाल दुल्हे के लिए भी है। लड़का ससुराल से अपने घर आता है,तो ससुराल कभी कभी जाएगा। पर घर पर बहन भाई ,माता -पिता,बहन जीजा सभी होंगे। सबके साथ उसे सावधानी से व्यवहार करना होगा। अन्यथा आप पर लेवेल चस्पा कर लोग दोषारोपी सिद्ध करने मे चूकेंगे नहीं।सबका कारण आपकी पत्नी को मान कर एक गलत धारणा बना लेंगे। जिससे उबरने मे आपको जीवन भर लग जाएगा। यह व्यवहार का पाठ है.. यदि सबके सामने उत्तेजित होकर आपने पत्नी को डांटा या कहीं हाथ उठा लिया तो जिंदगी भर के लिए यह आप पर धब्बा लग जाएगी। तीखी जुबान दोनो के लिए उचित नहीं। कड़वी बात पर पत्नी जिंदगी भर उलाहना देगी और जिसके कहने पर या जिसके लिए उस पर डांट या मार पड़ी है, वह उसका गुप्त दुश्मन बन जाएगी। जिसे वह कभी माफ नहीं करेगी।
हर बात मायके न पहुंचाएं
ससुराल आने पर आपका अनुभव, सास-ससुर, देवरानी देवर,जेठ जेठानी और ननद भौजाई के व्यवहार के बारे मे आपकी मां,बहन और सहेलियों को उत्सुकता होगी। वे रोज फोन कर कुशल क्षेम के बहाने सब कुछ जानना चाहेंगी। इससे आपके और ससुराल के लोगो का आंकलन कर धारणा बनायेंगी। आपसे नमक मिर्च लगा कर पूछेंगी भी.. सलाह भी देंगी। किंतु आप समझ लें यहां ससुराल की बुराई एक बहुत बड़ी चूक साबित होगी। इसमे बहुत सावधानी बरतें अन्यथा हमेशा के लिए ससुराल और पति से संबंध खराब होसकते हैं।
मायके की प्रशंसा और ससुराल की निंदा न करें
एक बात बता दें। भूलकर भी अपने मायके की प्रशंसा और ससुराल की निंदा न करें। क्यों कि मायके की प्रशंसा और ससुराल की मीन मेख किसी को पसंद नहीं आएगा। आपको मायके के खराब संस्कार का हवाला देते हुए लोग मजाक उड़ायेंगे, उनके प्रति सही धारणा सिर्फ आपके व्यवहार से बनेगी…..आपके कथन से नहीं।