- जेलर को दिए डीडीओ के इस्तेमाल पर एआईजी जेल ने लगाई रोक
- मुरादाबाद जेल में नए अधीक्षक की तैनाती से पहले मुख्यालय अफसरों का कारनामा
लखनऊ। कारागार विभाग में आहरण वितरण (डीडीओ) को लेकर घमासान मचने का एक मामला प्रकाश में आया है। मुरादाबाद जेल अधीक्षक के निलंबन के बाद करीब पच्चीस दिन बाद जेलर को डीडीओ को आवंटन तो किया गया। आवंटन के कुछ समय बाद ही जेलर को डीडीओ का इस्तेमाल नहीं करने का निर्देश दे दिया गया। यह मामला विभागीय अफसरों में चर्चा का विषय बना हुआ है। चर्चा है कि तैनात होने वाले अधीक्षक ने मोटा कमीशन हासिल करने के लिए डीडीओ के इस्तेमाल पर रोक लगवा दी गई। उधर इस मसले को लेकर विभागीय अधिकारी कोई भी टिप्पणी करने से बचते नजर आए।
मामला मुरादाबाद जेल का है। बीते दिनों जेल में अनाधिकृत मुलाकात का वीडियो वायरल होने के बाद हरकत में आए कारागार मुख्यालय ने पहले जेलर विजय विक्रम यादव और मुलाकात प्रभारी डिप्टी जेलर प्रवीण सिंह को तत्काल निलंबित कर दिया। इस कार्यवाही के कुछ समय बाद ही शासन ने मुरादाबाद जेल के वरिष्ठ अधीक्षक पवन प्रताप सिंह को भी निलंबित कर दिया गया। तीन अधिकारियों के निलंबन के बाद नई तैनाती तक जेल का प्रभार एक अन्य जेलर के सुपुर्द कर दिया गया।
सूत्रों का कहना है कि इसी दौरान कारागार मंत्री जेल का दौरा करने पहुंच गए। जेल के प्रभारी जेलर ने जेल मंत्री से रोजमर्रा आने वाली वस्तुओं का भुगतान नहीं होने की बात कहकर डीडीओ दिलाए जाने का आग्रह किया। मंत्री के निर्देश के बाद एआईजी जेल प्रशासन ने बीती 23 दिसम्बर शाम करीब साढ़े पांच बजे मुरादाबाद जेल के प्रभारी जेलर को डीडीओ आवंटित किए जाने का आदेश भेजा। आदेश भेजने के करीब एक घंटे बाद ही एआईजी प्रशासन के निजी सचिव ने जेलर को फोन करके एआईजी का हवाला देते हुए डीडीओ का इस्तेमाल नहीं करने का निर्देश दिया। इसके कुछ समय बाद ही एआईजी प्रशासन ने भी जेलर को फोन करके डीडीओ का इस्तेमाल नहीं करने का आदेश दिया। यह मामला विभागीय अधिकारियों में चर्चा का विषय बना हुआ है।
सूत्र बताते है कि जेल में रोजमर्रा मंगाई जाने वाली वस्तुएं (गेहूं, चावल, दाल, सब्जी, दूध, फल समेत सैकड़ों सामग्री) का भुगतान डीडीओ के माध्यम से ही होता है। अनाप शनाप दामों पर मंगाई गई इन वस्तुओं के भुगतान के एवज में लाखों रुपए की धनराशि कमिशन के तौर पर मिलती है। एक अनुमान के मुताबिक मुरादाबाद जेल में प्रति माह लाखों रूपये का भुगतान किया जाता है। इस भुगतान के एवज में जेल के मुखिया को लाखों रुपए बतौर कमिशन मिलता है। विभाग में चर्चा है कि लाखों के मोटे कमिशन की खातिर ही डीडीओ को रुकवाया गया होगा। उधर जब इस संबंध में कारागार मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों से बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने इस मामले में कोई भी टिप्पणी करने से साफ मना कर दिया।
अब मुरादाबाद जेल में मचेगी लूट!
मुरादाबाद जेल में नए अधीक्षक की तैनाती को लेकर विभाग के अधिकारियों में तमाम तरह की चर्चाएं आम हो गई है। प्रदेश की पश्चिम सर्वाधिक सुर्खियों में रहने वाली गाजियाबाद जेल से छह माह पूर्व अधीक्षक आलोक सिंह को बांदा जेल पर स्थानांतरित किया गया था। छह माह बाद ही इन्हें मुरादाबाद जेल भेज दिया गया। चर्चा है कि करीब साढ़े तीन-तीन साल अलीगढ़, गाजियाबाद के बाद अब मुरादाबाद में धूम मचेगी।