नई दिल्ली। भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पदभार ग्रहण करने के बाद भारत के प्रति अमेरिकी नीति में किसी बड़े बदलाव की संभावना को खारिज करते हुये कहा कि ट्रंप के शब्दों को धमकी नहीं, अवसर के रूप में देखा जाना चाहिये। गार्सेटी ने कहा कि हाल ट्रंप सरकार में ध्यान आव्रजन और व्यापार के मुद्दों पर केंद्रित होगा। साथ ही उन्होंने हाल के वर्षोँ में विभिन्न क्षेतों में सहयोग के नये करारों और बढ़ते द्विपक्षीय व्यापार का जिक्र करते हुए विश्वास जताया है कि आने वाले समय में दोनों देशों के बीच सहयोग और बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के लिये कि सहयोग से काम करने पर संभावनायें असीम हैं। उन्होंने कहा है कि मुंबई बम धमाकों के आरोपी तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण का काम (मुकदमे के लिये अमेरिका से भारत लागे की कार्रवाई) इस वर्ष की पहली छमाही में हो जायेगा। निवर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन से पहले राष्ट्रपति रह चुके ट्रंप 20 जून को दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। ट्रंप के सत्ता संभालने से पहले गार्सेटी ने यहां ‘यूएनआई उर्दू’ के साथ यहां एक विशेष बातचीत में कहा, कि मेरा मानना है कि बाइडेन हमारे इतिहास में सबसे अधिक भारत समर्थक राष्ट्रपति रहे हैं, और मैं जानता हूं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो अमेरिका के बहुत करीब हैं। मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप एक-दूसरे से प्रेम करते हैं, तथा विदेश मंत्री पद के लिये उनके (ट्रंप के द्वारा) नामित किये गये मार्को रुबियो भारत के बहुत समर्थक हैं।
अमेरिकी राजदूत ने कहा कि ट्रम्प द्वारा मनोनीत राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइकल वाल्ट्ज दो वर्ष पहले गणतंत्र दिवस पर भारत आये थे, कि और इसलिये मुझे आशा है कि संबंध और भी मजबूत होंगे। गार्सेटी ने साथ में यह भी कहा कि लेकिन कुछ चीजें बदलेंगी। इसमें आव्रजन पर ध्यान जायेगा, व्यापार पर ध्यान केन्द्रित किया जायेगा, रक्षा पर निरन्तर ध्यान केन्द्रित किया जायेगा तथा संभवतः यह अमेरिका और भारत के लिये व्यापार के बारे में बहुत ही स्पष्ट बातचीत करने का अवसर होगा। उन्होंने सलाह दी, कि राष्ट्रपति ट्रंप के शब्दों को धमकी के रूप में न लें, उन्हें अवसर के रूप में लें और देखें कि क्या हम कोई समझौता कर सकते हैं। भारत और अमेरिका के बीच मौजूदा संबंधों के बारे में पूछे गये एक सवाल पर गार्सेटी ने कहा,कि आप जानते हैं, भारत और अमेरिका के बीच संबंध आज जितने मजबूत हैं, उतने पहले कभी नहीं रहे। समुद्र की तलहटी से लेकर सितारों तक, हम अंतरिक्ष में, रक्षा में, संस्कृति, शिक्षा के क्षेत्र में मिल कर काम कर रहे हैं, हम व्यापार को बढ़ाने और नये कीर्तिमान स्थापित करने पर काम कर रहे हैं, व्यापार, वीजा, छात्र, सैन्य अभ्यास और अंतरिक्ष सहयोग के क्षेत्र में अब तक के सबसे ऊंचे कीर्तिमान स्थापित किये गये हैं। हैं। एक पीढ़ी पहले किसी ने भी नहीं सोचा होगा कि अमेरिका और भारत इतने करीब होंगे।
व्यापार, निवेश और आर्थिक साझेदारी बढ़ाने की पहल के बारे में गार्सेटी ने कहा कि हमने पिछले दो वर्षों में व्यापार के रिकॉर्ड स्तर हासिल किये हैं। मैं समझता हूं कि अगला कार्य ऐसा रास्ता ढूंढना है, जिससे हम अन्य देशों की कम्पनियों से निवेश को अधिक तेजी से अमेरिका और भारत में ला सकें। हम एक साथ उच्च इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर, सौर पैनल, इलेक्ट्रिक वाहन कैसे बना सकते हैं? उदाहरण के लिये, आज हम मिलकर अपनी सेनाओं के लिये हेलीकॉप्टर और विमान बनाते हैं। हम एक भारतीय कंपनी के साथ मिलकर अमेरिका में इस्पात विनिर्माण के अवसर तलाश रहे हैं। अमेरिकी कंपनियां यहां उपभोक्ता विनिर्माण क्षेत्र में नौकरियां उपलब्ध कराती हैं। उन्होंने कहा कि जब हम एक-दूसरे के देश में निवेश करते हैं, तो हम दोनों पक्षों के लिये अधिक नौकरियां पैदा करते हैं, लेकिन मुझे लगता है कि हम वास्तव में सेमीकंडक्टर, दूरसंचार सहित प्रमुख प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि परस्पर सहयोग के क्षेत्रों में संचार, क्वांटम और कृत्रिम बुद्धिमत्ता, तथा रक्षा और अंतरिक्ष को भी शामिल किया गया है। फार्मास्युटिकल्स, बायोटेक और ऊर्जा, ये प्रमुख क्षेत्र हैं जो दोनों देशों के भविष्य को परिभाषित करेंगे। उन्होंने कहा कि भारत अपने दम पर एक सीमा ही तक कर सकता है, अमेरिका अपने दम पर एक सीमा तक ही कर सकता है, लेकिन साथ मिलकर काम करने पर संभावनायें असीम हैं।
चीन के बारे में पूछे जाने पर अमेरिकी राजदूत ने कहा कि जहां तक चीन की बात है तो हम चीन के साथ बेहतर संबंध चाहते हैं, जैसा कि भारत ने हाल ही में हासिल किया है, लेकिन हमारा मानना है कि अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों को केवल एक देश द्वारा नहीं, बल्कि सभी देशों द्वारा मिलकर निर्धारित किया जाना चाहिये और देशों को विकास के लिये कर्ज में नहीं फंसाया जाना चाहिये, बल्कि उन्हें किफायती तरीके से बुनियादी ढांचे का निर्माण करने में मदद की जानी चाहिये। क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों और आतंकवाद-विरोध के संबंध में गार्सेटी ने कहा कि अमेरिका आतंकवाद का मुकाबला करने से संबंधित रणनीतियों को साझा करता है। उन्होंने कहा कि उन्हें तहव्वुर राणा (मुंबई बम धमाकों के अभियुक्त) के प्रत्यर्पण पर काम करने पर उन्हें बहुत गर्व है, और उम्मीद है कि अगले कुछ हफ्तों में, या इस साल की पहली छमाही में, उसे 26/11 के मुंबई हमलों के लिये न्याय का सामना करने के लिए प्रत्यर्पित किया जायेगा। अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन की हाल की भारत यात्रा और दोनों देशों के बीच गैर-सैन्य परमाणु प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग में प्रगति के बारे में पूछे जाने पर अमेरिकी राजदूत ने कहा कि हमें यह घोषणा करते हुये बहुत गर्व हो रहा है कि तीन भारतीय कंपनियों को सूची से हटा दिया गया है, और अब उन्हें एक साथ व्यापार करने की अनुमति है। मैंने कांग्रेस पार्टी के सदस्यों और भाजपा पार्टी के सदस्यों से बात की है, दोनों का कहना है कि हम समझते हैं कि अमेरिकी परमाणु कम्पनियों को यहां कारोबार करने की अनुमति देने के लिये कानून में बदलाव करना उचित है। (वार्ता)