यूँ नहीं दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता नहीं बने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

  • ‘मन की बात’ सुनते इस शख़्स को देखकर आप भी जान जाएँगे उनकी लोकप्रियता
  • झारखंड के देवघर से क़रीब पाँच किमी. दूर नंदन-वन पर्वत में मिला मोदी का ‘भक्त’
अतुल गुप्ता
  अतुल गुप्ता

राँची। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूदा वक़्त में सबसे लोकप्रिय नेता हैं, इस बात में कोई शक-सुबहा और संदेह नहीं है। लेकिन बार-बार, कदम-दर-कदम यह सही भी साबित होता है। इस बात पर पक्की मोहर लगती दिखी झारखंड की राजधानी राँची के क़रीब सवा दो सौ किमी दूर देवघर के नंदन पर्वत पर। जहां बिना चप्पल, जूते और फटे-पुराने कपड़े में बैठा एक शख़्स रेडियो पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ सुन रहा था। वो ध्यानमग्न था। मैंने फ़ोटो खींचने की गुज़ारिश की तो वो हौले से मुस्कुराया और फिर से रेडियो की तरफ़ ध्यानस्थ हो गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकप्रियता की बात करें तो साल 2023 में आए मॉर्निंग कंसल्ट के एक सर्वे के अनुसार पीएम मोदी को लोकप्रियता के मामले में 76 फीसदी रेटिंग मिली थी। बताते चलें कि इस सर्वे में अमेरिका और इटली समेत कई देशों के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति का नाम शामिल था। तब भी मोदी को तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जो-बाइडन से ज़्यादा रेटिंग मिली थी। वह महज़ 41 परसेंट रेटिंग पा सके थे। वहीं इटली की पीएम जार्जिया मैलोनी को छठा रैंक मिला था। जबकि मोदी के बाद नम्बर-2 पर मैक्सिको के राष्ट्रपति ओब्राडोर थे, जिन्हें क़रीब 66 प्रतिशत रेटिंग मिली थी।

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राजनीति के जानकार बताते हैं कि पीएम मोदी की लोकप्रियता अभी भी भारतीय जनमानस के दिलो-दिमाग में बरकरार है। उसका ताज़ा उदाहरण वो हाल ही में सम्पन्न हुए हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव को मानते हैं। एक जानकार के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी अपने प्रभाव का इस्तेमाल जनता के बीच सही ढंग से कर लेते हैं। एक सर्वे एजेंसी ने दोनों चुनावों के बीच मतदाताओं की भावनाओं में बदलाव पर भी प्रकाश डाला। यह सर्वेक्षण 25 नवंबर, 2024 से 14 दिसंबर, 2024 के बीच किया गया था, जिसमें महाराष्ट्र में 76 हज़ार 830 और हरियाणा में 53 हज़ार 647 लोगों ने हिस्सा लिया। सर्वे के अनुसार कांग्रेस द्वारा ‘संवैधानिक परिवर्तन’ के नैरेटिव को भुनाने की कोशिश विधानसभा चुनावों में की गई थी, जो पूरी तरह से विफल रही। वहीं नरेंद्र मोदी अपने प्रभावी व्यक्तित्व के बूते दोनों जगह सरकार बनवाने में सफल रहे। ‘बंटोगे तो कटोगे और एक हैं तो सेफ़ हैं’ का नारा पूरी तरह से वहाँ कारगर साबित हुआ। जानकारों का कहना है कि आज के जागरूक लोग झूठे नैरेटिव को जल्दी पकड़ लेते हैं और उस पर बहस भी चालू कर देते हैं।

वहीं अगस्त 2024 में जारी नए इप्सोस इंडिया बस पीएम अप्रूवल रेटिंग सर्वे के अनुसार पीएम नरेंद्र मोदी ने 70 प्रतिशत की प्रभावशाली अप्रूवल रेटिंग हासिल की है। यह उनके मई के सर्वेक्षण में प्राप्त रेटिंग से मेल खाती है। सर्वे में शामिल अधिकांश लोग पीएम के रूप में उनके प्रदर्शन से खुश हैं और उनको बेहतर नम्बर पर नम्बर दिए जा रहे हैं। एजेंसी के सर्वे से यह साफ हो गया है कि मोदी 3.0 गठबंधन सरकार के प्रमुख के रूप में पीएम मोदी की लोकप्रियता में कमी नहीं हुई है। उनकी लोकप्रियता कुछ क्षेत्रों, विशेषकर उत्तर भारत के राज्यों और टियर-1 शहरों में अभी भी अधिक है। इसका ताज़ा उदाहरण 19 जनवरी को झारखंड राज्य के देवघर ज़िले में देखने को मिला। भोला बेरुआ नाम का एक शख़्स बैट्री से चलने वाले रेडियो पर पीएम मोदी के मन की बात सुन रहा था। वो उनकी बातों को सुनने में इतना तल्लीन था कि पहले फ़ोटो खींचने की उसे भनक तक नहीं लगी।

लेकिन बीच में रोककर जब उससे फ़ोटो खिंचाने की बात कहीं गई तो उसने कहां- पाँच मिनट रुको, कोई बात अधूरी रह गई तो…। इसके साथ ही वह क़रीब 10 मिनट तक ‘मन की बात’ सुनता रहा, फिर उसने फ़ोटो खिंचाया और वक़्त दिया।
उसके हुलिए की बात करें तो वो फटे-पुराने कपड़े में था। पैर में पहनने के लिए न जूते थे और न चप्पल। लेकिन उसे इसकी तनिक भी परवाह नहीं थी। वो देश चिंता में डूबा हुआ था। उसने मोदी की कई अच्छाइयाँ गिना डाली। देश की राह में आने वाले रोड़े को गिना दिया। साथ ही घुसपैठियों और रोहिंग्या की परेशानियों को उठाया। आपके पास कोई व्यवस्था नहीं है और तब भी आप इस तरह देश की चिंता करते हो, तो दो टूक लहजे में जवाब दिया- ‘साहब देश है तो हम हैं, देश नहीं तो कुछ भी नहीं…’ । बाक़ी मेरे हालत की बात आप पूछ रहे हैं तो सुनिये मैं मुफ़्त की रेवड़ी नहीं लेता। ज़्यादा मेहनत की उम्र नहीं बची, इसलिए अपनी ख्वाहिशों को समेट लिया और जो है, जैसा है उसमें खुश रहता हूँ। हाँ, प्रधानमंत्री मोदी की बातें लोगों में फैलाता रहता हूँ। बस, इसी कारण लोग मुझे भक्त कहते हैं और मुझे भक्त कहलाने में अच्छा भी लगता है।

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