ट्रम्प प्रशासन पर प्रभाव अधिक रहेगा तेलुगुभाषी का !!

के. विक्रम राव 

भारतीयों का दबदबा रहेगा ट्रंप प्रशासन पर। मनचले डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति की शपथ लेते वक्त कहा : “मेरी इच्छा थी कि हसीन उषा बाला चिलकूरी वान्स को अपना उपराष्ट्रपति प्रत्याशी नामित करूं।” ट्रंप का कथन था : “उषा प्रथम एशियन-अमेरिकी सनातनी-विप्र महिला हैं। निर्वाचित उपराष्ट्रपति वांस से कहीं अधिक विवेकशील और चुंबकीय हैं।” उनकी ब्याहता उषा हैं। मगर संविधान के नियम के तहत केवल अमेरिका में जन्मा ही चुनाव लड़ सकता है। चालीस-वर्षीय लेखक, वकील और पूर्व सैनिक (ईराक़ युद्ध में थे) जेम्स डेविड वान्स ने तेलुगुभाषी, आंध्र माता-पिता की संतान उषा से पिछले दशक (2014) में विवाह किया। दोनों तब ओहयो राज्य के विधि विश्वविद्यालय में सहपाठी थे। उषा के माता-पिता चेन्नई में वैज्ञानिक थे। उषा के मित्र उन्हें “किताबी कीड़ा” और “नेता” कहते थे। वे पत्रकार भी रहीं। येल “लॉ जर्नल” की संपादक थीं। मीडिया की स्वतंत्रता के संघर्ष में सक्रिय थीं।

उषा का परिवार ब्राह्मण विद्वानों का है। उनके दादा पंडित चिलुकुरी बुच्चिपापय्या शास्त्री कृष्णा जिला के साईपुरम ग्राम में संस्कृत पंडित और वेदशास्त्री रहे। उनकी विशाखापत्तनमवासी दादी ने भगवदगीता का अंग्रेज़ी अनुवाद किया था। वकील उषा के मुवक्किलों में पैरामाउंट फिल्म तथा वाल्ट डिज्नी हैं। उषा की शादी 2014 में केंटक्की हुई जब वे अमरीका के उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स की सहायिका थीं। निवर्तमान उपराष्ट्रपति कमला हैरिस से उषा का साम्य बस इतना है कि पड़ोसी राज्य तमिलनाडु की श्यामला हैरिस की इस पुत्री की तरह उषा भी दक्षिण भारतीय मूल की हैं। फर्क इतना कि कमला के पिता अफ्रीकी मूल के अश्वेत थे जब कि उषा के माता-पिता तेलुगू विप्र वर्ण के हैं। ईसाई से विवाह करने के बावजूद उषा के परिवार में वरलक्ष्मी व्रत रखा जाता है। यह करवाचौथ और छठ के समकक्ष है। एक खास विषमता और। कमला ने अपनी (चेन्नई में जन्मी) मां श्यामला से इडली-दोसा बनाना सीखा था। बाइडेन के चुनाव-अभियान में कार्यकर्ताओं को परोसा था।

शपथ ग्रहण के उत्सव में डोनाल्ड ट्रंप ने टिप्पणी की थी कि उषा अपने पति से कहीं अधिक चतुर और क्रियाशील हैं। इसका आधारभूत कारण भी है। उषा के पूर्वज थे अठारहवीं सदी में पश्चिम गोदावरी तटीय वडलूरू ग्राम के चिलुकुरी चातुष्टय पंडित भ्रातावर्ग अद्वितीय विद्वान थे। अर्थात् ट्रंप-प्रशासन को आंध्र के विप्र समाज का ज्ञान भी प्राप्त होगा। भारत भी लाभान्वित रहेगा।

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