मजिस्ट्रियल जांच में दोषी जेलर को मिला आईजी का स्वर्ण पदक

  • बंदियों को पीट पीट कर वसूली किए जाने की हुई पुष्टि
  • बंदी के मौत की मजिस्ट्रियल जांच रिपोर्ट से हुआ खुलासा
  • झांसी जेल में विचाराधीन बंदी की मौत का मामला

लखनऊ। गणतंत्र दिवस पर कारागार विभाग में पदक के लिए चयनित किए गए दागदार नामों की पुष्टि हो गई। आईजी जेल का स्वर्ण पदक पाने वाले अधिकारी को मारपीट कर बंदियों से वसूली करने का दोषी ठहराया गया है। इस सच का खुलासा झांसी जेल में बंदी के आत्महत्या करने के बाद ही मजिस्ट्रियल जांच में हुआ है। इस घटना के लिए जेलर समेत दो डिप्टी जेलर का भी दोषी बताया गया है। जांच रिपोर्ट आने के बाद कारागार विभाग के अधिकारियों में खलबली मची हुई है। यह अलग बात है कि आला अफसर इस गंभीर मामले पर कुछ भी बोलने से बच रहे है।

मिली जानकारी के मुताबिक बीती 10 अक्टूबर 2024 को झांसी जिला जेल में विचाराधीन बंदी करन कुशवाहा (26) पुत्र दयाराम कुशवाहा ने जेल के अंदर बरगद के पेड़ पर गमछे से लटकर आत्महत्या कर ली थी। घटना के बाद परिजनों ने बवाल करते हुए जेल प्रशासन के अधिकारियों पर उत्पीड़न करने के साथ अवैध वसूली के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाया था। मामला बढ़ता देख डीएम झांसी ने घटना की मजिस्ट्रियल जांच कराए जाने का आदेश दिया। जांच किशोर न्याय बोर्ड झांसी की प्रधान न्यायाधीश हर्षिता सिंह को सौंपी गई।

सूत्रों का कहना है कि करीब चार माह तक चली जांच के बाद जो रिपोर्ट सामने आई है उसने जेल प्रशासन के भ्रष्टाचार की पोल खोल दी है। रिपोर्ट में जांच अधिकारी ने जेल प्रशासन के अधिकारियों, सुरक्षाकर्मियों, जेल डॉक्टर, फार्मासिस्ट के साथ मृतक बंदी के परिजनों समेत कुल 28 लोगों से घटना के संबंध में विस्तार से पूछताछ की। लंबी जांच प्रक्रिया पूरी होने के 35 पन्नों की डीएम झांसी को प्रेषित की गई जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि साक्ष्य एवं दस्तावेजी साक्ष्य से मृतक बंदी करन साहू की मौत झांसी जेल प्रशासन के जेलर कस्तूरी लाल गुप्ता, डिप्टी जेलर जगवीर सिंह चौहान एवं डिप्टी जेलर रामनाथ मिश्रा द्वारा राइटर से संबंधित पैसों को लेकर दबाव बनाने, प्रताड़ित करने, धमकी देने एवं आत्महत्या के लिए प्रेरित करने के कारण होना प्रतीत होता है।

इसके अलावा जांच में जेल प्रशासन के अधिकारियों द्वारा राइटर बनने के लिए बंदियों से पैसे लेने, उन पर अनावश्यक दबाव बनाने, बंदियों के साथ मारपीट करने जैसे तथ्य सामने आए हैं। जो यह दर्शाते है कि “समर्थिंग इज रोटेन इन डिस्टिक जेल झांसी”। मालूम हो कि दो दिन पहले आईजी जेल ने गणतंत्र दिवस पर अधिकारियों और कर्मियों को उत्कृष्ट सेवा प्रदान करने के लिए 170 कर्मियों की लिस्ट जारी की। इस लिस्ट में झांसी जेल के जेलर कस्तूरी लाल गुप्ता को स्वर्ण पदक दिया है। इसके अलावा कुछ अन्य दागी अधिकारियों को भी आईजी का स्वर्ण पदक दिया गया है। इससे स्पष्ट है कि कारागार मुख्यालय ने दागी एवं भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों का उत्साहवर्धन किया है।

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