आरोपी अधीक्षक को एक बार फिर मिला लूट का मौका!

  • फतेहगढ़ सेंट्रल जेल अधीक्षक को मिला जिला जेल का आहरण वितरण
  • मुख्यालय में तीन अधीक्षक होने के बाद भी आरोपी को दिया प्रभार

लखनऊ। प्रदेश कारागार मुख्यालय के पक्षपातपूर्ण निर्णयों की वजह से जेलों के व्यवस्थाएं सुधरने के बजाए बिगड़ती जा रही है। प्रदेश के बहुचर्चित साइन सिटी मामले की पावर ऑफ अटॉर्नी देने के मामले में निलंबन की संस्तुति और गलत रिहाई के मामले में जिस अधिकारी को नोटिस दिया गया है उसी अधिकारी को फतेहगढ़ जिला जेल का अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया है। यह मामला विभागीय अधिकारियों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसको लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। चर्चा है कि इस दागदार अफसर पर मुख्यालय की मेहरबानी का यह नतीजा है कि गलतियों करने वाले अफसर को सजा के बजाए तोहफा दिया जा रहा है।  बीते सप्ताह कानपुर जेल परिक्षेत्र की फतेहगढ़ जिला जेल में किसी विवाद होने को लेकर जेल के अधीक्षक भीमसेन मुकुंद और जेलर गिरीश को अचानक हटा दिया गया। इस करवाई के तहत अधीक्षक को संत कबीरनगर जिला जेल और जेलर को तीन माह के कारागार मुख्यालय से संबद्ध कर दिया। इसके बाद आगरा जिला जेल में तैनात नागेश कुमार को फतेहगढ़ जिला जेल में जेलर का प्रभार सौंपा गया। जेल के अधीक्षक का प्रभार विवादों के घिरे फतेहगढ़ सेंट्रल जेल के अधीक्षक आशीष तिवारी को सौंपा गया हैं।

सूत्रों का कहना है कि यह कार्रवाई एक सोची समझी साजिश के तहत की गई है। जेलों में वित्तीय वर्ष के अंतिम समय में शेष बच बजट की बंदरबाट होती है। बचे हुए बजट को अनाप शनाप तरीके से खर्च कर ठेकेदारों से मोटी रकम वसूल की जाती है। इस कार्य को अंजाम देने के लिए लखनऊ जेल बहुचर्चित साइन सिटी मामले की पावर ऑफ अटॉर्नी जेल से बाहर आने की जांच में तत्कालीन परिक्षेत्र के डीआईजी ने अधीक्षक समेत अन्य अधिकारियों को दोषी ठहराते हुए उन्हें निलंबित किए जाने की संस्तुति की थी। इनमें कई मामले शासन की फाइलों में दबे हुए हैं। शासन को गुमराह कर अधीक्षक ने अपना तबादला फतेहगढ़ सेंट्रल जेल में करा लिया था। सूत्रों का कहना है कि सेंट्रल जेल फतेहगढ़ में तैनात होने के बाद इस अधीक्षक ने एक बंदी की गलत रिहाई कर दी। इस मामले में भी अधीक्षक को नोटिस दिया गया है। विवादों और भ्रष्टाचार में लिप्त अधीक्षक को जिला जेल फतेहगढ़ का अतिरिक्त प्रभार देने के साथ आहरण वितरण की जिम्मेदारी सौंपना एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। इसको लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही है। चर्चा है कि आरोपों से घिरे अधीक्षक को यह मौका सिर्फ लूट करने के लिए ही दिया गया है। उधर आगरा/कानपुर परिक्षेत्र के डीआईजी प्रेमनाथ पांडे से बात की गई तो उन्होंने जेल का अतिरिक्त प्रभार सेंट्रल जेल अधीक्षक आशीष तिवारी को सौंपे जाने की बात तो स्वीकार की लेकिन अन्य कोई सवालों के जवाब देने से उन्होंने साफ इनकार कर दिया।

हमेशा सुर्खियों में रहे सेंट्रल जेल फतेहगढ़ अधीक्षक

फतेहगढ़ सेंट्रल जेल अधीक्षक आशीष तिवारी का लूट और विवादों से काफी पुराना नाता रहा है। लखनऊ जेल में तैनाती के दौरान जेल के गल्ला गोदाम से 35 लाख रुपए की नगद बरामदगी, जेल से सपा के एक पूर्व मंत्री के मोबाइल फोन से वाराणसी के एक व्यवसाई को धमकी देने, सजायाफ्ता विदेशी कैदी की गलत रिहाई समेत कई अन्य सनसनीखेज मामलों को लेकर वह हमेशा सुर्खियों में रहे है। कारागार मुख्यालय ने आरोपी अधीक्षक को फतेहगढ़ जिला जेल का आहरण वितरण देकर उन्हें लूटने का एक और मौका दे दिया है। वर्तमान समय में इस अधीक्षक के पास फतेहगढ़ सेंट्रल जेल के साथ ओपन जेल और फतेहगढ़ जिला जेल का भी प्रभार है।

तीन अधीक्षक मुख्यालय में कर रहे बाबू गिरी

प्रदेश कारागार मुख्यालय में जेलों का प्रभार संभालने वाले तीन अधीक्षक बाबू गिरी कर रहे हैं। इस अधीक्षकों में किसी को फतेहगढ़ जिला जेल का अतिरिक्त प्रभार देने के बजाए आरोपी अधीक्षक को प्रभार दिया जाना विभागीय अधिकारियों को रास नहीं आ रहा है। नैनी सेंट्रल जेल से निलंबन के बाद बहाल हुए शशिकांत सिंह को मुख्यालय में वरिष्ठ अधीक्षक के पद पर और चित्रकूट से निलंबित होकर बहाल हुए अधीक्षक अशोक सागर को मुख्यालय में अधीक्षक के पद पर तैनात किया गया है। वही जौनपुर जेल में तैनात अधीक्षक विनय कुमार दूबे को पुलिस का सहयोग नहीं करने के आरोप में मुख्यालय से संबद्ध कर रखा गया है। यह तीनों ही अधीक्षक जेलों के बजाए मुख्यालय में लगे हुए हैं।

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