
- रायबरेली जेल अधीक्षक को तीन माह के लिए किया फतेहगढ़ जेल से संबद्ध
- अधीक्षक को हटाने के बजाए सेंट्रल जेल में लगाई गई अस्थाई ड्यूटी
- आत्महत्या के घटना के करीब दो माह बाद खुली जिम्मेदार अफसरों के नींद
लखनऊ। रायबरेली जेल नियमों को ताक पर रखकर संचालित हो रही है। जेल में अधीक्षक का न तो सुरक्षाकर्मियों पर कोई नियंत्रण है और न ही बंदियों पर कोई नियंत्रण है। इसकी पुष्टि देर से ही सही कारागार मुख्यालय के विभागाध्यक्ष आईजी जेल ने कर ही दी है। जेल में एक विचाराधीन बंदी की आत्महत्या के करीब दो माह बाद ही कार्रवाई में इस सच का खुलासा हुआ है। आईजी जेल ने रायबरेली जेल अधीक्षक का मातहतों पर शिथिल नियंत्रण होने के चलते उन्हें रायबरेली से हटाकर तीन माह के लिए फतेहगढ़ सेंट्रल जेल पर अस्थाई ड्यूटी पर लगा दिया गया है। यह अलग बात है कि कारागार मुख्यालय के मुखिया की नींद खुलने में दो माह का समय लग गया। मामला विभागीय अधिकारियों और कर्मियों में चर्चा का विषय बना हुआ है।
बीती पांच फरवरी 2025 को पुलिस महानिदेशक व महानिरीक्षक कारागार पीवी रामाशास्त्री ने रायबरेली जेल अधीक्षक अमन कुमार सिंह को जेल के अधिकारियों और कर्मचारियों पर शिथिल नियंत्रण होने तथा अधीक्षक पद के दायित्वों के निर्वहन में अपरिपक्व होने की वजह से उन्हें केंद्रीय कारागार फतेहगढ़ भेज दिया है। आईजी जेल ने गंभीर आरोपों से घिरे होने के बाद भी जेल अधीक्षक रायबरेली को स्थाई रूप से हटाने के बजाए उन्हें सिर्फ तीन माह के लिए केंद्रीय कारागार में खाली पड़े अधीक्षक के पर ड्यूटी लगाकर मामले को रफादफा कर दिया है। आईजी जेल के यह कार्रवाई विभाग के अधिकारियों और कर्मियों में चर्चा का विषय बनी हुई है। इसको लेकर तमाम तरह की चर्चाएं हो रही है। चर्चा तो यहां तक हो रही है कि ऊंची पहुंच और जुगाड़ होने की वजह से इस गंभीर मामले में कड़ी कार्रवाई करने के बजाए आईजी जेल ने सिर्फ चंद दिनों के लिए जेल से हटाकर मामले को रफादफा कर दिया।
बीते दो दिसम्बर 2024 को रायबरेली जिला जेल में चक्की कमान में काम करने वाले विचाराधीन बंदी वारिस ने अस्पताल और महिला बैरेक के बीच बनी दीवानी के सामने लगे पेड़ पर लटककर आत्महत्या कर ली थी। मौत से पहले वारिस और कैंटीन कमान के बंदी से किसी बात को लेकर नोंकझोंक हुई थी। इसी के कुछ समय बाद ही बंदी वारिस ने फांसी लगाकर जान दे दी थी। घटना के करीब दो माह बाद कारागार मुख्यालय के प्रभारी मुखिया आईजी जेल ने यह कार्रवाई की है। इस मामले में पूर्व में घटना की जांच मिलने वाले लखनऊ जेल परिक्षेत्र के डीआईजी रामधनी ने सिर्फ एक वार्डर को निलंबित और हेड वार्डर के खिलाफ विभागीय कार्यवाही की संस्तुति कर पूरे मामले को ही निपटा दिया था। उधर इस संबंध में जब लखनऊ परिक्षेत्र के डीआईजी रामधनी से बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने फोन ही नहीं उठाया।
रायबरेली जेलर को बचा ले गए आला अफसर!
कारागार विभाग के आला अफसर घटनाएं होने के बाद दोषी अधिकारियों को दंडित करने के बजाए बचा रहे है। यही वजह है कि अधिकारी बेलगाम हो गए हैं। इन अधिकारियों में कार्यवाही का भय ही खत्म हो गया है। रायबरेली जेल पर तैनात जेलर हिमांशु रौतेला प्रदेश के बहुचर्चित शाइन सिटी मामले की जांच के दौरान सुर्खियों में रहे। शाइन सिटी की पावर ऑफ अटॉर्नी जेल के बाहर जाने के मामले में जांच अधिकारी लखनऊ परिक्षेत्र के तत्कालीन डीआईजी ने जेलर को दोषी ठहराते हुए इनके निलंबन और विभागीय कार्रवाई करने की संस्तुति की थी। इस जांच रिपोर्ट के बाद शासन और मुख्यालय ने अभी तक किसी भी दोषी अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।रायबरेली जेल में भी आत्महत्या की घटना के बाद भी जेलर को बचाया जा रहा है। ऐसा तब किया जा रहा है जब जेल में बंदियों पर नियंत्रण रखने की पूरी जिम्मेदारी जेलर की होती है।