
- सिस्टम का हो रहा खुलेआम पोस्टमार्टम
- न वर्दी पहनते हैं चालक न ही होता है सत्यापन
- वारदात के बाद जागती है पुलिस
ए अहमद सौदागर
लखनऊ। यूपी पुलिस और ट्रांसपोर्ट कमिश्नर भले ही लाख दावे करें लेकिन राजधानी लखनऊ से न तो डग्गामार वाहनों की संख्या में कमी हो पा रही है और न ही बेलगाम ऑटो, टैम्पो, ई-रिक्शा पर कोई लगाम लग पा रहा है। आलम यह है कि इन्हीं के चलते लखनऊ के हर चौक-चौराहों पर जाम लगा रहता है। बात यहीं तक होता तो ठीक था, अब वो बहू-बेटियों की इज्जत पर हाथ डालने लगे हैं। मगर शर्मनाक यह कि लखनऊ पुलिस उन पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं कर पा रही है। ट्रांसपोर्ट कमिशनर बीके सिंह दलालों पर डीएम लखनऊ की पहल के बाद शिकंजा कसकर खुद को ‘शहंशाह’ साबित करने में जुटे हुए हैं। वहीं परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह पिछले दिनों गृहमंत्री अमित शाह से मिले और बड़े-बड़े कारनामे बता आए। खुद उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ यह जानकारी साझा की थी।
कुछ घटनाओं पर नजर डालिए, फिर सोचिएगा कि परिवहन विभाग और लखनऊ पुलिस इन घटनाओं पर क्या कर रही है और कितनी कारगर साबित हो रही है। जानकारों का कहना है कि पुलिस कमिश्नरेट बनने के बाद लखनऊ पुलिस की कार्रवाई और सुस्त हुई है।
- वर्ष 2023 में विभूतिखंड क्षेत्र में आटो में सफर करने के दौरान गैंगरेप।
- वर्ष 2023 बंथरा क्षेत्र में आटो में सवार होकर घर से इंटरव्यू देने निकली छात्रा की हत्या कर दी गई।
- वर्ष 2025 में इंटरव्यू देकर आटो में सवार होकर वापस लौट रही महिला की मलिहाबाद क्षेत्र में हत्या कर दी गई।
ये तीन घटनाएं तो बानगी भर है और भी कई बहू बेटियां बदमाशों का निशाना बन चुकी हैं।
इन वारदातों से आटो में अकेले महिलाओं एवं लड़कियों का सफर करना कितना सुरक्षित है, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। शहर में दौड़ रहे आटो वालों की निगरानी का कोई ठोस सिस्टम न पुलिस के पास है और न परिवहन विभाग के पास। बताते चलें कि कुछ साल पहले शहर के सभी आटो रिक्शा पर यूनिक आईडेंटिटी नंबर की व्यवस्था पुलिस शुरू की थी जो कुछ दिनों बाद फाइलों में दफन होकर रह गई।
पिछले दिनों हुई एक घटना पर नजर डालें तो इंदिरानगर क्षेत्र स्थित किराए के मकान में पालीटेक्निक छात्रा संस्कृति राय 21 जून की रात बादशाहनगर रेलवे स्टेशन के लिए निकली थी। रेलवे स्टेशन से उसे अपनी मित्र के साथ बलिया जाने के लिए ट्रेन पकड़नी थी। 22 जून को वह खून से लथपथ हालत में आईआईएम रोड के किनारे खेत में संदिग्ध हालात में मिली थी। अस्पताल ले जाते समय उसकी मौत हो गई थी। बताया जा रहा है कि उसकी लूटपाट के दौरान हत्या की गई थी। इस मामले में पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार भी किया था।
इस घटना के बाद तत्कालीन आईजी सुजीत पांडेय ने शहर भर के सभी आटो और टेपों के लिए अलग से चार डिजिट का यूनिक नंबर लगाने का फरमान जारी किया था। तब शहर के सभी आटो और टेपों पर पुलिस ने तीन तरफ़ बड़े-बड़े अक्षरों ने यूनिक नंबर पेंट से लिखवाए थे। इस यूनिक नंबर की मदद से आटो और टेपों की पूरी डिटेल पुलिस के पास मौजूद होती। यूनिक नंबर बताते ही मालिक से लेकर चालक तक की सारी जानकारी एक मिनट में पुलिस को मिल जाती थी।
कमिश्नरेट सिस्टम लागू हुआ और पुलिस अफसरों द्वारा बनाई गई सारी कवायद ठंडे बस्ते में चली गई। नतीजतन सिस्टम का पोस्टमार्टम होते ही एक बार फिर बेलगाम आटो चालक बेधड़क होकर आटो चलाने की आड़ में आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने शुरू कर दिए। इसका जीता-जागता उदाहरण बंथरा और मलिहाबाद क्षेत्र में हुई घटना। बंथरा और मलिहाबाद क्षेत्र में हुई घटना से साफ है कि पुलिस की कार्रवाई सिर्फ कागजों तक ही सीमित है।