
सड़क हादसों में आए दिन जा रही हैं जानें
ए अहमद सौदागर
लखनऊ। यूपी के अलावा अन्य राज्यों में सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए सरकारों ने अनगिनत योजनाएं शुरू की, लेकिन योजनाओं की लेट-लतीफी, अव्यवस्था, सड़क पर वाहनों की बढ़ती भीड़ और बेतरतीब रफ्तार ने जिन्दगी को खिलौना बना दिया है। आए दिन किसी न किसी राज्य के जिलों में सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या में गिरावट नहीं, बल्कि इजाफा होता नजर आ रहा है।
तीन दिन पहले राजस्थान राज्य के जयपुर के मनोहरपुर दौसा हाईवे पर राजधानी लखनऊ के ठाकुरगंज क्षेत्र स्थित मुसाहिबगंज निवासी सॉफ्टवेयर इंजीनियर 32 वर्षीय अभिषेक सिंह, उनकी 30 वर्षीय पत्नी प्रियांशी छह माह की बेटी श्री, 65 वर्षीय पिता सत्यप्रकाश व 63 वर्षीय उनकी मां रमादेवी की सड़क हादसे में मौत हो गई। वह परिवार के साथ कार में सवार होकर सभी लोग खाटू श्याम मंदिर दर्शन करने के लिए जा रहे थे। इसी दौरान गलत दिशा से आ रहे ट्रेलर से कार की टक्कर हो गई और दोनों वाहन सड़क किनारे खंती में जा गिरी।
एक ही परिवार के पांच लोगों की हुई मौत का मामला शांत भी नहीं पड़ा था कि इसी मंगलवार को बहराइच जिले के पयागपुर क्षेत्र में टेपों और डबल डेकर बस की भिड़ंत हो गई। इस हादसे में पांच लोगों की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई।
सड़क पर चलने वाले अधिकतर लोग कामकाजी होते हैं और उन पर बहुत जिम्मेदारियां होती हैं। उनके न होने का दंश घर-परिवार तो भुगतता ही है, समाज को भी अपूर्णीय क्षति होती है। साल-दो साल के आंकड़ों पर गौर करें तो लगातार सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या बढ़ी है। इन हादसों के लिए संबंधित विभाग या फिर पुलिस की कहीं न कहीं बेहद लापरवाही नजर आ रही है। तीन दिन के भीतर जिस तरह से एक दर्जन से हुई मौतों से लोगबाग डर महसूस कर रहे हैं।