राजेश श्रीवास्तव
शनिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर में थे और उन्होंने जब यह कहा कि अब माफियाओं की पैंट अदालत में गीली हो जाती है तो तालियों की गड़गड़ाहट से सारा पंडाल गूंज उठा। मुख्यमंत्री जब भी किसी जनसभा को संबोधित करते हैं तो उनके भाषण में माफियाओं पर नकेल कसने की बात वह जरूर जोर-शोर से उठाते हैं। उन्हें मालुम है कि उन्हें जो उत्तर प्रदेश मिला था उसमें दंगे, माफिया, गुंडई, हावी थी। लेकिन अब समय बदल चुका है। बड़े से बड़ा माफिया हो या खुद को डॉन समझने वाले गैंगस्टर, योगी राज में कई मिट्टी में मिला दिये गये और जो बचे हैं वह या तो खुद मिट्टी में मिल जायेंगे नहीं तो उनका भी हश्र वही होगा जोकि कानून के राज में अपराधियों का होता है।
जब माफिया का राज होता है तो जनता थर-थर कांपती है और जब कानून का राज होता है तो माफिया के हाथ पैर ही नहीं उसकी आत्मा भी कांपती है। माफिया डॉन अतीक अहमद पर सौ से भी ज्यादा केस दर्ज थे लेकिन आज से पहले उसे एक भी मामले में सजा नहीं हुई थी? सवाल उठता है कि इन माफियाओं का कानून से खेलने का हौसला और शौक किसने और क्यों बढ़ाया? क्या राजनीतिक दलों के लिए वोट बैंक पॉलिटिक्स ही सब कुछ हो गयी थी जो कि इन माफियाओं को पाला गया? यह बाहर रहते थे तो राजा की तरह रहते थे और जब मजबूरी में जेल में रहते थे तो घर जैसा आराम मिलता था। यह बाहर रह कर भी गोली मरवा सकते थे और जेल के अंदर रह कर भी किसी को गोली मरवाना इनके लिए उतना ही आसान था। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि क्यों पहले की सरकारों ने इन माफियाओं के विरुद्ध मामलों में सही तरह से पैरवी कर इन्हें सजा नहीं दिलाई। उमेश पाल के अपहरण मामले में सत्रह साल बाद फैसला आया, यदि पहले आ गया होता तो शायद आज उमेश पाल जिदा होता।
बहरहाल, अब समय बदल चुका है। बड़े से बड़ा माफिया हो या खुद को डॉन समझने वाले गैंगस्टर, योगी राज में कई मिट्टी में मिला दिये गये और जो बचे हैं वह या तो खुद मिट्टी में मिल जायेंगे नहीं तो उनका भी हश्र वही होगा जोकि कानून के राज में अपराधियों का होता है। अतीक अहमद जैसे माफिया को समाजवादी पार्टी ने विधायक और सांसद बनाकर आगे बढ़ाया और प्रशासन को उसके रौब के आगे झुकाया लेकिन आज वह हाथ जोड़ कर चलता दिख रहा है तो दिख रहा है कि यूपी में पूरी तरह कानून का राज है। साबरमती जेल से निकाल कर जब अतीक अहमद को प्रयागराज लाया जा रहा था तो पूरे रास्ते मौत का खौफ उसके चेहरे पर दिखता रहा। योगी राज में कानून का डर माफियाओं के मन में कितना गहरा हो गया है उसकी मिसाल है अतीक अहमद का उतरा चेहरा, यह कानून के राज से मिला हौसला ही तो है कि जब माफियाओं को पुलिस वाहनों में ले जाया जाता है तो जनता गाड़ी पलटने की दुआ करती है, जब माफियाओं को कोर्ट में पेश किया जाता है तो फांसी दो, फांसी दो के नारे लगते हैं। जब माफियाओं के घरों पर बुलडोजर चलता है तो जनता और आस-पड़ोस में रहने वाले लोग प्रशासन की कार्रवाई का विरोध नहीं करते बल्कि अपने मोबाइल से वीडियो बना कर उसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करती है ताकि फिर कोई अपराधी दुस्साहस नहीं कर सके।
सवाल यह भी उठता है कि आज उत्तर प्रदेश में अपराधी हाथ ऊपर करके अपने बीवी बच्चों के पीछे चलते हुए थाने पहुँच कर आत्मसमर्पण क्यों कर रहे हैं? आज अपराधी उत्तर प्रदेश में जमानत लेकर बाहर आने से क्यों कतराते हैं? आज दूसरे प्रदेश की जेलों में बंद अपराधी सुनवाई के लिए यूपी लाये जाते समय सड़क मार्ग से लाये जाने के विरोध में अदालत की शरण में क्यों जाते हैं? इसका जवाब है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सबको संदेश दे चुके हैं कि कानून से खिलवाड़ करने वालों को कतई बख्शा नहीं जायेगा। मुख्यमंत्री को भी यह पता है कि यही उनकी सरकार की कार्यश्ौली की टीआरपी है। यही उन्हें सत्ता में न केवल दोबारा लेकर आयी है बल्कि यूपी के इतिहास को भी पलटकर रख देती है। उन्हें यह भी पता है कि 2०24 के लोकसभा चुनाव में आपराधियों पर नकेल ही उन्हें 8० लोकसभा सीटों पर परचम लहराने में मदद करेगी। दरअसल उत्तर प्रदेश ने लंबे समय तक दबंगों, माफियाओं को सड़क पर राज करते देखा है इसीलिए अब जब वह इन माफियाओं की पेशानी पर बल पड़ते हुए देखती है। मुंह लटकाये देखती है तो खुश होती है। अतीक को कभी आंख उठाकर नहीं देखने की हिम्मत जुटाता था लेकिन इस बार इलाहाबाद में उस पर वकीलों ने हमला भी बोला, यह योगीराज की ही ताकत है।