अभिजित मुहूर्त 11.45 से 12.45 राहुकाल 05:23 से 06:58 जानें आज का हिन्दू पंचांग

डॉ उमाशंकर मिश्रा


हर दिन कुछ खास लेकर आता है। इस दिन क्या पर्व है और क्या तिथि है, इस बारे में जान लेने से हमें कई फायदे होते हैं। एक दिन के अंदर एक बार राहुकाल आता है, जो हमें कहता है कि इस समय आपको थोड़ी सावधानी बरतनी है। साथ ही पंचाग हमें ये भी बताता है कि आज किस दिशा की ओर दिशाशूल है। यदि हमें मजबूरन यात्रा भी करनी है, तो वह उसका निदान भी बताता है। इसलिए नया लुक आपको नित्य पंचाग देता है, देखिए और लाभ लीजिए।


दिनांक –                             16 अप्रैल 2023

दिन –                                  रविवार

विक्रम संवत –                    2080 (गुजरात – 2079)

शक संवत –                        1945

अयन –                             उत्तरायण

ऋतु –                               वसंत ॠतु

मास –                               वैशाख (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार चैत्र मास)

पक्ष –                                 कृष्ण

तिथि –                              एकादशी शाम 18:16 तक तत्पश्चात द्वादशी

नक्षत्र –                              शतभिषा रात्रि 28:07 तक तत्पश्चात पूर्वभाद्रपद

योग –                                शुक्ल रात्रि 25:00 तक तत्पश्चात ब्रह्म

राहुकाल-                            शाम 17:23 से शाम 18:58 तक

सूर्योदय-                            06:20

सूर्यास्त-                            18:56

दिशाशूल-                          पश्चिम दिशा में…

व्रत पर्व विवरण- आज वरुथिनी एकादशी व्रत है ।

विशेष – रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)

रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)

रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)

स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।

हर एकादशी को श्रीविष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है।    राम रामेति रामेति। रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं।राम नाम वरानने।।

आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है।

एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।

एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है। एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं अन्यथा पुत्र का नाश होता है।

जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।

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