डॉ उमाशंकर मिश्रा
हर दिन कुछ खास लेकर आता है। इस दिन क्या पर्व है और क्या तिथि है, इस बारे में जान लेने से हमें कई फायदे होते हैं। एक दिन के अंदर एक बार राहुकाल आता है, जो हमें कहता है कि इस समय आपको थोड़ी सावधानी बरतनी है। साथ ही पंचाग हमें ये भी बताता है कि आज किस दिशा की ओर दिशाशूल है। यदि हमें मजबूरन यात्रा भी करनी है, तो वह उसका निदान भी बताता है। इसलिए नया लुक आपको नित्य पंचाग देता है, देखिए और लाभ लीजिए।
दिन – गुरूवार
विक्रम संवत – 2080 (गुजरात – 2079)
शक संवत – 1945
अयन – उत्तरायण
ऋतु – ग्रीष्म ॠतु
मास – वैशाख (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार चैत्र मास)
पक्ष – कृष्ण
तिथि – अमावस्या सुबह 09:41 तक तत्पश्चात प्रतिपदा
नक्षत्र – अश्विनी रात्रि 23:12 तक तत्पश्चात भरणी
योग – विष्कुंभ दोपहर 13:01 तक तत्पश्चात प्रीति
राहुकाल- दोपहर 14:13 से शाम 15:49 तक
सूर्योदय- 06:17
सूर्यास्त- 18:58
दिशाशूल- दक्षिण दिशा में,
व्रत पर्व विवरण – वैशाख अमावस्या, ग्रीष्म ऋतु प्रारंभ ।
विशेष – अमावस्या और व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)