डॉ उमाशंकर मिश्रा
लखनऊ। हिन्दू धर्म में पीपल, आम, बड़, गूलर एवं पाकड़ के पत्तों को ही शुभ और पवित्र ‘पञ्चपल्लव’ कहा जाता है। किसी भी शुभ कार्य में इन पत्तों को कलश में स्थापित किया जाता है, या पूजा व अन्य मांगलित कार्यों में इनका अन्य तरीकों से उपयोग होता है। आम के पत्तों को भी शुभ माना गया है। आओ जानते हैं आम के पत्ते के 10 उपयोग।
क्या है शुभ :- ज्योतिष में आम के पेड़ को मंगल का कारक बताया गया है। यह मेष राशि का पेड़ माना जाता है। इसलिए इसके पत्तों को मांगलिक कार्य में उपयोग करने को शुभ माना गया है। इसके बगैर पूजा पाठ संपन्न नहीं होता है।
आम के पत्तों के 10 उपयोग…
- घर के मुख्य द्वार पर आम की पत्तियां लटकाने से घर में प्रवेश करने वाले हर व्यक्ति के प्रवेश करने के साथ ही सकारात्मक ऊर्जा घर में आती है।
- आप के पत्तों का उपयोग जल कलश में भी होता है। कलश के जल में आम के पत्ते रखकर उसके उपर नारियल रखा जाता है।
- यज्ञ की वेदी को सजाने में भी आम के पत्ते का उपयोग होता है।
- मंडप को सजाने के लिए भी आम के पत्तों का उपयोग होता है।
- घर के पूजा स्थल या मंदिरों को सजाने में भी आम के पत्तों का उपयोग होता है।
- तोरण, बांस के खंभे आदि में भी आम की पत्तियां लगाने की परंपरा है।
- दीवारों पर आम के पत्तों की लड़ लगाकर मांगलिक उत्सव के माहौल को धार्मिक और वातावरण को शुद्ध किया जाता है।
- आप के पत्ते से ही आरती या हवन के बाद जल छिड़का जाता है।
- आम के पत्तों की पत्तल और दोने बनाकर उस पर भोजन भी किया जाता है।
- वैज्ञानिक दृष्टि के अनुसार आम के पत्तों में डायबिटीज को दूर करने की क्षमता है। कैंसर और पाचन से संबंधित रोग में भी आम का पत्ता गुणकारी होता है। आम के रस से कई प्रकार के रोग दूर होते हैं।
आम के पेड़ का महत्व :- आम का फल बहुत ही अच्छा और सरभरा माना जाता है। इसे फलों का राजा कहा गया है। मांगलिक कार्यो में पंचफल का उपयोग किया जाता है जिसमें एक आम का फल भी होता है। इसके फल की हजारों किस्में हैं जिसे हर कोई खाना चाहेगा। इसके पत्ते और लकड़ियां भी उतती ही महत्वपूर्ण है। आम के पेड़ की लकड़ियों का उपयोग समिधा के रूप में वैदिक काल से ही किया जा रहा है। माना जाता है कि आम की लकड़ी, घी, हवन सामग्री आदि के हवन में प्रयोग से वातावरण में सकारात्मकता बढ़ती है। घर में आम की लकड़ी का फर्नीचर कम ही रखना चाहिए। आम की जगह पनस, सुपारी, नान, साल, शीशम, अखरोट या सागौन की लकड़ी का उपयोग करना चाहिए।