अंधता निवारण में ऑप्टो की भूमिका अहम

  • गोकुल अतिथि भवन में ऑप्टो मीट 2.0 का आयोजन
  • देश भर के जाने माने ऑप्टोमैट्रिस्ट व प्रशिक्षु छात्रों ने किया प्रतिभाग

गोरखपुर। देश से अंधता के निवारण में ऑप्टो यानी नेत्र परीक्षकों की भूमिका अहम है। नेत्र परीक्षण के क्षेत्र में नित नयी तकनीकियों का प्रवेश हो रहा है और इनके प्रति दक्ष होना नितांत आवश्यक है। एक दूसरे से तकनीक और स्किल को साझा करने में राष्ट्रीय स्तर का यह सम्मेलन अहम भूमिका निभाएगा। यह बातें गोरखपुर के सदर सांसद और सिने स्टार रवि किशन ने कहीं। वह शनिवार को द्वितीय राष्ट्रीय ऑप्टोमैट्री कांफ्रेंस ‘‘ऑप्टो 2.0’’ को बतौर मुख्य अतिथि शहर के गोकुल अतिथि भवन में सम्बोधित कर रहे थे। कांफ्रेंस में देश के जाने में ऑप्टोमैट्रिस्ट (नेत्र परीक्षक) व कई प्रशिक्षण संस्थानों के प्रशिक्षुओं ने भी प्रतिभाग किया।

ऑपथैल्मिक वेलफेयर सोसाइटी उत्तर प्रदेश के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में सदर सांसद को पत्रक देकर नेत्र परीक्षकों से जुड़े मुद्दे रखे गये। सांसद ने भरोसा दिया कि उनके मुद्दों को वह सदन में भी उठाएंगे । पैथालॉजिस्ट डॉ मंगलेश श्रीवास्तव ने भी संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि आंखों के ऐसे प्रशिक्षकों की तैनाती सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर अति आवश्यक है। क्योंकि इन ग्रामीण क्षेत्रों में आंखों के विशेषज्ञों न होने की वजह से बहुत सारे बच्चों, बड़ों की आंखें समय से पहले खराब होने लग रही है। यदि इन केंद्रों पर इनकी तैनाती होगी तो निश्चित रूप से जागरूकता आएगी और समय रहते हैं आंखों का उपचार किया जा सकता है।

आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं सचिव डॉ अजय कुमार चौरसिया ने बताया कि यह कांफ्रेंस IOF, IOA, GOWS और ऑप्टोमैट्री एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के सहयोग से किया गया। सम्मेलन में वैज्ञानिक सत्र, राष्ट्रीय संकायों द्वारा ऑप्टोमैट्री की विभिन्न अति विशिष्टताओं वाले व्याख्यान हुए। कार्यशाला का भी आयोजन किया गया जिसमें स्केलरस लेंस और मिनी स्क्लेरल, मायोपिया कंट्रोल एंड विजन थेरेपी और ऑक्यूलर प्रोस्थेसिस जैसे विषयों पर चर्चा हुई। सम्मेलन के दौरान प्रशिक्षु छात्रों के बीच पोस्टर और मौखिक प्रस्तुतियां भी हुईं जिनमें से उत्कृष्ट प्रस्तुतियों को पुरस्कृत किया गया।

मुख्य आयोजन सचिव डॉ गौरव दूबे ने बताया कि इस सम्मेलन से प्रशिक्षु छात्रों के ज्ञान और कौशल में वृद्धि होगी क्योंकि इसके जरिये उन्हें ऑप्टोमैट्री के क्षेत्र में अद्यतन जानकारियां मिली हैं। सम्मेलन के जरिये ऑप्टोमैट्री विशेषज्ञों, व्यावसायियों और अन्य संस्थानों के छात्रों को परस्पर संवाद करने का भी मौका मिला है। कार्यशाला के दौरान एएचपी बिल पर ‘‘क्या खोया क्या पाया’’ शीर्षक से पैनल डिस्कसन हुआ जिसमें आईओए अध्यक्ष सुबोध कुमार दीक्षित, आईओएफ अध्यक्ष संजय मिश्रा, आईओए सचिव डॉ राजीव प्रसाद  आदि उपस्थित रहे। कांफ्रेंस के अध्यक्ष डॉ अजय कुमार चौरसिया ने अतिथियों का स्वागत किया।

इन प्रतिनिधियों ने किया प्रतिभाग

अभय कुमार पाण्डेय, सुनील कुमार दीक्षित, महेश चंद्रा, विभा कुमारी, पवन कुमार, जमशेद अली, मोमिन खान, प्रतीक शर्मा, पंकज चौबे, सुनील गुप्ता विमल वर्मा, अभिनव मिश्रा, जितेंद्र सिंह, विशाल गुप्ता, दिनेश सिंह, नीतेश उपाध्याय, दीनदयाल चौरसिया, देवेंद्र यादव, राजकुमार सिंह, संदीप सिंह, संजय पटेल, संजय श्रीवास्तव, कार्तिकेयन, एसपी मिश्रा, आरके कश्यप, विकास, शाहिद, सामी अख्तर, अमित बरनवाल, अजय गिरी और अमित गौतम।

 

कई प्रख्यात चिकित्सकों ने किया प्रतिभाग

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्था एम्स दिल्ली समेत  देश और प्रदेश के कई जाने माने चिकित्सकों ने भी कांफ्रेंस में प्रतिभाग किया ।

35 विशेषज्ञों ने रखी अपनी बात

देश के विभिन्न राज्यों के जनपदों से इस संगोष्ठी में पधारे 35 विशेषज्ञों ने आंखों से संबंधित होने वाले बीमारी और बचाव के बारे में गंभीरता पूर्वक विचार विमर्श किया और अपनी बातों को रखा।

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