जयपुर से राजेंद्र गुप्ता
हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत प्रत्येक मास में दो बार रखा जाता है। वैशाख मास का अंतिम प्रदोष व्रत बुध प्रदोष व्रत के रूप में रखा जाएगा। वैशाख मास का अंतिम प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाएगा। बुधवार के दिन पड़ने के कारण इस व्रत को बुध प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है और जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती है।
बुध प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 02 मई 2023 को रात्रि 11 बजकर 17 मिनट पर होगा और इस तिथि का समापन 03 मई 2023 रात्रि 11 बजकर 49 मिनट पर होगा। ऐसे में यह व्रत 03 मई 2023, बुधवार के दिन रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार, प्रदोष पूजा मुहूर्त शाम 06 बजकर 57 मिनट से रात्रि 09 बजकर 06 मिनट तक रहेगा।
बुध प्रदोष व्रत के दिन शुभ योग
हिंदू पंचांग में बताया गया है कि बुध प्रदोष व्रत के दिन दो अत्यंत शुभ योग का निर्माण हो रहा है। एक सर्वार्थ सिद्धि योग और दूसरा रवि योग। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 05 बजकर 39 मिनट से रात्रि 08 बजकर 56 मिनट तक रहेगा। वहीं रवि योग रात्रि 08 बजकर 56 मिनट से अगली सुबह 05 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। मान्यता है कि इन दोनों शुभ योग में भगवान शिव एवं देवी-देवताओं की उपासना करने से सभी दुख दूर हो जाते हैं और साधना सफल होती है।
बुध प्रदोष व्रत के नियम
प्रदोष व्रत के दिन साधकों को सुबह जल्दी उठना चाहिए। साथ ही स्नान-ध्यान के बाद भगवान शिव की उपासना करनी चाहिए।
जो लोग व्रत का पालन करेंगे, उन्हें भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए। वह केवल फलाहार ग्रहण कर सकते हैं।
इस दिन गुस्सा और बुरे व्यवहार से बचना चाहिए। इसके साथ मन में किसी के लिए भी बुरे विचार ना लाएं।
प्रदोष व्रत के दिन ब्रह्मचर्य का पालन निश्चित रूप से करना चाहिए।
प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा से पहले एक बार पुनः स्नान करना चाहिए और फिर विधि – विधान से पूजा-अर्चना की जानी चाहिए।