कविता : बन्द मुट्ठी सवा लाख की,

कर्नल आदि शंकर मिश्र
कर्नल आदि शंकर मिश्र

बन्द मुट्ठी सवा लाख की,
खुल गयी तो ख़ाक की,
कहावत कितनी प्रसिद्ध है,
अपने आप से यह सिद्ध है।

बन्द मुट्ठी में जो कुछ भी होता है,
इंसान तभी तक गुप्त रख पाता है,
जब तक वह मुट्ठी नहीं खोलता है,
खुलने से सत्य पता चल जाता है।

बंद मुट्ठी पारिवारिक,सामाजिक
एकता की भी द्योतक होती है,
जब तक हम एक जुट रहते हैं,
सारी बाधाएँ पार कर लेते हैं।

एकता जैसे ख़त्म हो जाती है,
विरोधी शक्ति प्रबल हो जाती है,
पारिवारिक रिश्ते भी टूट जाते हैं,
सामाजिक ताने बाने बिखर जाते हैं।

छोटी छोटी बातों को तूल न दें,
आपस का सौहार्द बनाये रखें,
घर, परिवार, समाज और देश,
के सामने निहित स्वार्थ गौड़ रखें।

आदित्य एकता में जो ताक़त है,
अलग अलग होने में नहीं होती है,
एकल परिवार स्वार्थ आधारित हैं,
संयुक्त परिवार में सबका हित है।

 

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