राजेश श्रीवास्तव
यह अपने देश की विडंबना ही है कि राजनीति धर्म पर आकर थम जाती है। यह पहला मौका नहीं है जब भी किसी राज्य में चुनाव होते हैं तो सियासी दलों के अखाड़े में बजरंग बली को लपकने की कोशिश होती है। जिस तरह भगवान राम को भी बजरंग बली से उम्मीद थी कि उनकी मदद से वह सीता को खोज पाने में और रावण की लंका दहन करने में सफल हो सकेंगे उसी तरह इन दिनों कांग्रेस और BJP को भी बजरंग बली में अपनी सत्ता पाती हुई दिखने लगी है। शायद यही कारण है कि BJP और कांग्रेस दोनों ही कर्नाटक के चुनावी सभाओं, रैलियों में बजरंग बली को लेकर चर्चा जरूर कर रहे हैं। बजरंग बली के बहाने बजरंग दल पर आकर अब सियासत गरमा गयी है। जबकि बजरंग बली और बजरंग दल में जमीन-आसमान का फर्क है। बजरंग बली जहां अराध्य हैं और हिंदुओं की आस्था का प्रतीक तो बजरंग दल में हिंदु धर्म की रक्षा करने के नाम पर हुड़दंगियों का भी समावेश है। लेकिन फिर भी बजरंग दल की तुलना पीएफआई जैसे दल से कदापि नहीं की जा सकती।
शनिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी यह कहकर घ्ोरा कि बजरंग दल पर प्रतिबंध को लेकर हिंदू आस्था के साथ खिलवाड़ करना ही है। जबकि शनिवार को ही कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने कहा कि बजरंग दल और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया सहित नफरत को बढ़ावा देने वाले संगठनों के खिलाफ ‘निर्णायक कार्रवाई’ की जायेगी। दरअसल दोनों दलों को बजरंग दल के नाम पर सिवासी उर्वरा मिलती दिखायी दे रही है। जहां BJP बजरंग दल के नाम पर हिंदुओं को एकजुट करना चाहती है वहां कांग्रेस इस पर प्रतिबंध लगाने के नाम पर इसमें खाद-पानी मिलती हुई देख रही है। मालुम हो कि विश्व हिदू परिषद ने राष्ट्रवादी संगठन को बदनाम करने के लिए कांग्रेस की आलोचना की। बजरंग दल आरएसएस से संबद्ध विहिप की युवा शाखा है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने कांग्रेस पर कर्नाटक में बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का वादा करके भगवान हनुमान का अपमान करने का आरोप लगाया। पार्टी ने यह भी आरोप लगाया है कि कांग्रेस बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाकर अल्पसंख्यकों को खुश करने और मुस्लिम वोट हासिल करने की कोशिश कर रही है।
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, अमित शाह, प्रल्हाद जोशी और राजीव चंद्रशेखर भी तब से BJP और आरएसएस से जुड़े संगठन के बचाव में कूद पड़े हैं। देश भर के बीजेपी नेताओं ने ट्विटर पर भगवान हनुमान की एक तस्वीर को बदलने के लिए ट्विटर का सहारा लिया और इसे ‘मैं बजरंगजी हूं’ शीर्षक दिया। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भगवान हनुमान की तुलना बजरंग दल से करते हुए धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया और माफी की मांग की। एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए, पीएम मोदी ने कहा कि वह भाग्यशाली हैं कि उन्हें हनुमान की भूमि पर मत्था टेकने का अवसर मिला। लेकिन दुर्भाग्य देखिए कि जब मैं हनुमान की भूमि का सम्मान करने आया हूं, तो कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में भगवान हनुमान को बंद करने का फैसला किया है। कांग्रेस पार्टी पर तंज कसते हुए पीएम मोदी ने कर्नाटक चुनाव में 1० मई को वोट डालने के दौरान ’’जय बजरंग बली’’ का नारा लगाने का आग्रह किया।
मामला तब बढ़ गया जब BJP ने चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया, जिसके बाद चुनाव आयोग ने एक एडवाइजरी जारी कर राजनीतिक दलों और उनके स्टार प्रचारकों को अपने बयानों में संयम बरतने को कहा। यह मामला तब बढ़ा था जब कांग्रेस ने कर्नाटक चुनाव के घोषणा पत्र में पीएफआई की तर्ज पर बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। अब फिलहाल बजरंग दल के नाम पर कर्नाटक में लड़ाई तेज हो गयी है। सीएम योगी बजरंग दल पर प्रतिबंध का विरोध कर दरअसल अपनी उग्र हिंदुत्व की छवि को और निखारना चाहते हैं उन्हें लगता है कि बजरंग दल के बहाने वह कर्नाटक का चुनाव परिणाम बदलने में सक्षम हो सकते हैं जबकि कांग्रेस इस मुद्दे से बचना चाहती है। अब फिलहाल 13 मई को आने वाले परिणाम ही इसके असर को बतायेंगे।