भारत और नेपाल के बीच खत्‍म होगा कालापानी सीमा विवाद

PM मोदी से मिलकर प्रचंड ने दिया बड़ा संकेत


उमेश तिवारी


काठमांडू / नेपाल । भारत और नेपाल के बीच कालापानी सीमा विवाद लंबे समय से तनाव का केंद्र रहा है। अब नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्‍प कमल दहाल प्रचंड भारत के पहले आधिकारिक दौरे पर हैं। प्रचंड ने गुरुवार को पीएम मोदी से मुलाकात की थी। प्रचंड ने खुलासा किया है कि पीएम मोदी के साथ मुलाकात के बाद अब इस बात पर चर्चा शुरू हो गई है कि कालापानी सीमा विवाद को खत्‍म करने के लिए क्‍या विकल्‍प हो सकता है। प्रचंड ने संकेत दिया है कि इस सीमा विवाद को सुलझाने के लिए नेपाल भारत के साथ जमीन की अदला-बदली कर सकता है। इसके तहत कालापानी की जमीन देने के बदले नेपाल को भारत बांग्‍लादेश के लिए जमीनी रास्‍ता दे दे। यह जमीनी रास्‍ता नेपाल सिल‍िगुड़ी कॉरिडोर के तहत चाहता है जो भारत के लिए ‘चिकन नेक’ की तरह से है और चीन के खतरे को देखते हुए रणनीतिक रूप से बहुत अहम है। यही वजह है कि अभी यह निश्चित नहीं है कि भारत नेपाल की इस मांग को मानेगा। प्रचंड ने कहा कि उन्‍होंने पीएम मोदी के साथ सीमा विवाद के मुद्दे पर बातचीत की है। इसमें कालापानी का विवाद और जमीनों की अदला-बदली शामिल है ताकि नेपाल को सीधे समुद्र तक पहुंचने का रास्‍ता मिल जाए।

सीमा विवाद पर क्‍या बोले प्रचंड और PM मोदी

प्रचंड के साथ मुलाकात के बाद पीएम मोदी ने कहा था, ‘हम अपने संबंधों को हिमालय की तरह से ऊंचा बनाने के लिए काम करते रहेंगे। इसके लिए हम सभी मुद्दों चाहे वह सीमा विवाद हो या अन्‍य मुद्दे, उसे सुलझाएंगे।’ प्रचंड ने कहा कि मैंने पीएम मोदी के साथ सीमा विवाद के मुद्दे पर बातचीत की है। मैंने अनुरोध किया है कि इस विवाद का हल द्विपक्षीय राजनयिक तंत्र के जरिए किया जाए। नेपाल में अक्‍सर भारत विरोधी दल सीमा विवाद को मुद्दा बनाते रहते हैं और पीएम मोदी ने इसको लेकर स्थिति साफ कर दी है। नेपाल और भारत के बीच कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को लेकर साल 2020 में नया विवाद पैदा हो गया था। भारत ने नवंबर 2019 में अपने नए नक्‍शे को जारी किया था। इसमें इन तीनों ही इलाकों को भारत का हिस्‍सा बताया गया था। इस पर नेपाली भड़क गए थे और चीन के इशारे पर तत्‍कालीन पीएम केपी ओली ने नेपाल का भी एक नया राजनीतिक नक्‍शा जारी कर दिया था। इसमें कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को नेपाल का हिस्‍सा बताया गया था। ये तीनों ही इलाके दशकों से भारत के नियंत्रण में हैं और नेपाल अपना इन पर दावा करता रहता है। नक्‍शा विवाद के बाद दोनों के बीच संबंध रसातल में चले गए थे।

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