डाक्टर बाहर की दवाएं लिखना बंद करें अन्यथा होगी कड़ी कार्रवाई: नीना गुप्ता
उमेश तिवारी
महराजगंज। शासन की मंशा है कि सरकारी अस्पतालों में मरीजों का मुफ्त में इलाज किया जाए और दवा भी निशुल्क दी जाए। दवा खरीद के लिए शासन हर साल करोड़ों रूपया भी खर्च कर रही है, लेकिन कमीशन के खेल में अधिकांश चिकित्सक अस्पताल की जगह दूसरी पर्ची पर बाहर की महंगी दवा लिख रहे हैं। इससे मरीजों की जेब हल्की हो रही है। पर्ची पर दवा लिखवाने के होड़ में मेडिकल संचालकों के एजेंटों के बीच आए दिन विवाद भी हो रहा है। रतनपुर सीएचसी में एक चिकित्सक की तहरीर पर दर्ज केस को इसी मामले से जोड़ कर देखा जा रहा है। दूसरे पक्ष ने भी चिकित्सक के खिलाफ तहरीर दिया है। अधिकांश के पास वैध दस्तावेज भी मौजूद नहीं है। बावजूद धड़ल्ले से मेडिकल स्टोर संचालित किया जाता है।
मेडिकल स्टोर संचालकों की आपसी खींचतान का नतीजा है कि आए दिन डॉक्टरों के साथ विवाद होता रहता है। डॉक्टरों से अपने-अपने मेडिकल स्टोर के दवाओं की पर्ची लिखे जाने का दबाव बनाया जाता है। अधिकांश डॉक्टर कमीशन के चक्कर में बाहर की दवा दूसरी पर्ची पर लिखते भी रहते हैं। जिसकी पर्ची पर कम दवा लिखी जाती है उसके लोग विरोध पर आमादा हो जाते हैं। इससे अक्सर स्वास्थ्य केन्द्रों पर विवाद होता रहता है। कुछ मेडिकल स्टोर पर बोर्ड लगाकर उनके वहां चिकित्सक के बैठने व परामर्श को लेकर मरीजों को आकर्षित करते रहते हैं। अभी कुछ दिन पूर्व ही एक प्राइवेट अस्पताल में एक प्रेग्नेंट महिला का ऑपरेशन कर दिया गया और कुछ ही देर बाद महिला और उसके बच्चे की मौत हो गई। मामला जब जिलाधिकारी तक पहुंचा तो टीम गठित कर दी गई और अस्पताल को सील कर अभी तक जांच की जा रही है।
इस मामले में औषधि निरीक्षक शिव कुमार नायक का कहना है कि प्रशासन के साथ संयुक्त टीम बनाकर मेडिकल स्टोरों की जांच कराई जाएगी। CMO डॉ. नीना वर्मा का कहना है कि सरकारी अस्पताल में बाहरी पर्ची पर दवा लिखना प्रतिबंधित है। कई जगह से शिकायतें आ रही हैं कि अस्पताल में एजेंट बाहरी दवा लिखवाने को लेकर चिकित्सकों पर दबाव बनाते हैं। इसकी औचक जांच कराई जाएगी। अगर कोई चिकित्सक बाहरी दवा लिखते मिला तो उनके भी खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी और अस्पताल को सील कर दिया जाएगा।