महाराष्ट्र की राजनीति में आज एक बार फिर बड़ा सियासी उलटफेर हो गया है। पिछले काफी समय से एनसीपी में असहज महसूस कर रहे शरद पवार के भतीजे अजीत पवार ने आज बड़ी बगावत करते हुए शिंदे सरकार में शामिल हो गए। अजित पवार के इस बड़े फैसले के बाद महाराष्ट्र लेकर दिल्ली तक सियासी हलचल तेज है। इस पूरे सियासी घटनाक्रम में सबसे ज्यादा फायदा भाजपा को हुआ है। शरद पवार की एनसीपी को छोड़कर अजित पवार शिंदे-बीजेपी सरकार में शामिल हो गए। अजित पवार के साथ करीब 30 विधायकों के समर्थन का दावा किया जा रहा है।
हैरत की बात यह है कि शरद पवार के करीबी प्रफुल पटेल, दिलीप वलसे पाटिल, छगन भुजबल भी राजभवन में मौजूद थे। अजित पवार के इस बड़ी बगावत के बाद एनसीपी टूट गई है। रविवार दोपहर करीब 1 बजे एनसीपी नेता अजित पवार राजभवन पहुंचे और उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। बता दें कि अभी देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री हैं और अब उनके साथ अजित पवार भी उपमुख्यमंत्री पद संभालेंगे। अजित पवार के साथ 9 नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली है। अजित पवार के अलावा छगन भुजबल, धनंजय मुंडे, अनिल पाटिल, दिलीप वलसे पाटिल, धर्मराव अत्राम, सुनील वलसाड, अदिति तटकरे और हसन मुश्रीफ ने मंत्री पद की शपथ ली। बता दें कि अजित समेत बाकी विधायक शरद पवार के पटना में विपक्षी एकता बैठक में मंच साझा करने और राहुल गांधी के साथ सहयोग करने के एकतरफा फैसले से नाराज थे। राजभवन में शपथ ग्रहण समारोह के दौरान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी शामिल थे। इससे पहले अप्रैल 2023 में अजित पवार ने साफ शब्दों में मुख्यमंत्री बनने की चाहत दिखाई थी। उन्होंने कहा था कि मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं और 2024 में क्यों, अभी भी सीएम पद के दावेदार हैं। उसके साथ-साथ उन्होंने इस बात पर भी सवाल उठाए थे कि 2004 में जब एनसीपी की कांग्रेस से ज्यादा सीटें आई थीं, तब पार्टी ने उन्हें सीएम पद देने का मौका गंवा दिया था। हालांकि, सीएम पद को लेकर उनका अभी भी दावा कायम है। भाजपा के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष चन्द्रशेखर बावनकुले ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी की दृष्टि को समर्थन देने के लिए आज एनसीपी के अजीत पवार और उनके साथ के नेता आए हैं और शपथ ग्रहण भी करेंगे। महाराष्ट्र को मजबूती देने के लिए यह समीकरण बैठा है। यह समीकरण महाराष्ट्र को आगे लेकर जाएगा।
इससे पहले अजित पवार ने एनसीपी विधायकों की बैठक बुलाई थी। जिस पर एनसीपी चीफ शरद पवार ने कहा था कि मुझे ठीक से नहीं पता कि यह बैठक क्यों बुलाई गई है, लेकिन विपक्ष के नेता होने के नाते उन्हें (अजित पवार) विधायकों की बैठक बुलाने का अधिकार है। वह ऐसा नियमित रूप से करते हैं। मुझे इस बैठक के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। बता दें कि अजित पवार ने पहली बार बगावत नहीं की है। बल्कि जब से महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी का गठबंधन हुआ था। उसके बाद से ही खुश नहीं थे। 2019 में उन्होंने अचानक से बीजेपी को समर्थन दे दिया था। तब देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री और अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। लेकिन तब शरद पवार ने इस बगावत को रोक लिया था। उन्होंने 48 घंटे में ही सब विधायकों को एकजुट कर लिया था। जिसके बाद देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। आज हुए महाराष्ट्र में सियासी ड्रामे के बाद उद्धव गुट के नेता संजय राउत ने कहा है कि कुछ लोगों ने महाराष्ट्र की राजनीति को साफ करने का बीड़ा उठाया है। उन्हें अपने तरीके से चलने दो। मेरी अभी शरद पवार जी से बात हुई है। उन्होंने कहा, ‘मैं मजबूत हूं। हमें लोगों का समर्थन प्राप्त है। हम उद्धव ठाकरे के साथ फिर से सब कुछ पुनर्निर्माण करेंगे। जी हां, लोग इस गेम को ज्यादा दिनों तक बर्दाश्त नहीं करेंगे। महाराष्ट्र में इस सियासी घटनाक्रम पर राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने महाराष्ट्र के सियासी घटनाक्रम पर निशान साधा है। उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका में जिस लोकतंत्र की जननी के बारे में बात कर रहे थे, वह यही है। वहीं प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, जो विधायक भ्रष्ट थे अब मंत्री बन रहे हैं।