अगरतला। त्रिपुरा सरकार ने मंगलवार को राज्य सरकारों, सार्वजनिक उपक्रमों और सरकारी सहायता प्राप्त संगठनों में सभी प्रकार की नौकरियों के लिए त्रिपुरा का स्थायी निवासी प्रमाणपत्र (PRTC) को अनिवार्य कर दिया। यह जानकारी सूत्रों ने बुधवार को दी। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने सत्ता में आने के बाद 2018 में इस प्रावधान में छूट दी थी, जिससे राज्य में बड़ी संख्या में बेरोजगार लोगों को सरकारी नौकरियां प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त हुआ था।
PRTC के प्रावधानों में छूट देते हुए, देब के नेतृत्व वाली सरकार ने संयुक्त भर्ती बोर्ड परीक्षा (JRBT) का आयोजन किया था, जिसमें राज्य के अंतर्गत आने वाले समूह-ग और समूह-घ के पदों पर आवेदन करने के लिए अन्य राज्यों के उम्मीदवारों अनुमति प्रदान की गई थी। राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में लगभग 5,000 पदों के लिए 1.57 लाख से ज्यादा उम्मीदवारों ने परीक्षाएं दी थीं, जिसमें पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा के उम्मीदवार भी शामिल थे, जिससे स्थानीय लोगों के बीच असंतोष व्यापत हो गया था।
देब के बाद हालांकि, डॉ माणिक साहा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने सरकारी नौकरियों की सभी श्रेणियों में PRTC को फिर से शामिल करने तक भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी। राज्य मंत्रिमंडल के प्रवक्ता एवं पर्यटन मंत्री सुशांत चौधरी ने आज कहा कि आखिरकार, मंगलवार को, मंत्रिमंडल ने पहले से लागू अन्य आवश्यकताओं के अलावा त्रिपुरा के लोगों को ज्यादा अवसर प्रदान करने का निर्णय लिया है। (वार्ता)