नई दिल्ली। भारत के दिग्गज क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने कहा है कि विश्व कप 1983 जीतना उनके करियर का सबसे खास पल था और उसके बारे में सोचकर आज भी मेरी आंखें नम हो जाती है। गावस्कर ने स्टार स्पोर्ट्स के साथ विशेष बातचीत में कहा कि मैंने अपने क्रिकेट करियर में उससे (विश्व कप 1983 जीतने से) ज्यादा खास पल कभी महसूस नहीं किया। मैंने उस समय जो खुशी महसूस की थी, मैं आज भी जब उस क्षण के बारे में सोचता हूं तो मेरी आंखों में आंसू आ जाते हैं। भारत ने 40 साल पहले लंदन के लॉर्ड्स मैदान पर खेले गये फाइनल में वेस्ट इंडीज़ को हराकर पहली बार विश्व कप जीता था। उस टूर्नामेंट में गावस्कर ने भारत के लिये सलामी बल्लेबाज़ की भूमिका निभाई थी।
फाइनल में भारतीय टीम वेस्ट इंडीज़ के सामने 184 रन का लक्ष्य ही रख सकी थी, लेकिन मोहिंदर अमरनाथ (12/3) की शानदार गेंदबाजी के दम पर भारत ने वेस्ट इंडीज को 140 रन पर ऑलआउट कर दिया था। गावस्कर ने कहा कि इतने सालों बाद भी जब मुझे उस क्षण की याद आती है जहां कपिल देव ने ट्रॉफी उठाई थी, तो मेरी आंखें नम हो जाती हैं। आप क्रिकेट में कुछ भी कर सकते हैं, लेकिन जब आपकी टीम, आपका देश ऐसी महान ऊंचाइयों पर पहुंचता है तो आपको जो खुशी मिलती है उसे बयान नहीं किया जा सकता।
लिटिल मास्टर के नाम से प्रख्यात गावस्कर ने सोमवार को अपना 74वां जन्मदिन मनाया। उनका जन्म 10 जुलाई 1949 को मुंबई में हुआ था। क्रिकेट के सबसे महान सलामी बल्लेबाजों में से गावस्कर ने 1971 में भारत के लिये पदार्पण करने के बाद 125 टेस्ट मैच खेले और 51.12 की औसत से 10,122 रन बनाये। गावस्कर ने अपने सुसज्जित टेस्ट करियर में 35 शतक जड़े और 10 दिसंबर 2005 को सचिन तेंदुलकर द्वारा रिकॉर्ड तोड़े जाने से पहले तक वह सर्वाधिक टेस्ट शतक बनाने वाले बल्लेबाज़ रहे। गावस्कर ने एकदिवसीय क्रिकेट में भी 108 मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व किया जहां उन्होंने एक शतक और 27 अर्द्धशतकों के साथ 3,092 रन बनाये।