जयपुर से राजेंद्र गुप्ता
इस साल सावन का महीना बहुत ही खास होने जा रहा है। दरअसल, इस बार सावन एक नहीं बल्कि दो महीने का होगा। जैसे सावन के महीने में भगवान शिव की उपासना करना उत्तम फलदायी रहता है वैसा ही मंगलवार के दिन मंगला गौरी व्रत करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। भगवान शिव की उपासना के लिए सावन का महीना बहुत ही शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति सावन के महीने में भगवान शिव की सच्चे दिल से उपासना करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। सावन के महीने में माता पार्वती की उपासना करना भी उत्तम फलदायी रहता है। सावन में मंगलवार के दिन मां गौरी की पूजा अर्चना की जाती है। इसे मंगला गौरी व्रत के नाम से जाना जाता है। इस साल सावन महीने का आरंभ 4 जुलाई से हो गया है और इस साल सावन एक महीने का नहीं बल्कि पूरे 58 दिनों का होने जा रहा है। इस साल सावन 31 अगस्त को समाप्त होगा। इस बार अधिक मास होने के कारण सावन एक महीने से अधिक का रहेगा।
सावन मंगला गौरी व्रत की तारीख
पहला मंगला गौरी व्रत – 4 जुलाई 2023 को रखा जाएगा।
दूसरा मंगला गौरी व्रत – 11 जुलाई 2023
तीसरा मंगला गौरी व्रत – 18 जुलाई 2023
चौथा मंगला गौरी व्रत – 25 जुलाई 2023
पांचवा मंगला गौरी व्रत – 1 अगस्त 2023
छठा मंगला गौरी व्रत – 8 अगस्त 2023
सातवा मंगला गौरी व्रत- 15 अगस्त 2023
आठवा मंगला गौरी व्रत – 22 अगस्त 2023
नौवां मंगला गौरी व्रत – 29 अगस्त 2023
इस बार अधिक मास होने के कारण कुल 9 मंगला गौरी व्रत होने वाले हैं।
मंगला गौरी व्रत का महत्व
शास्त्रों के अनुसार, इस व्रत को करने से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन माता गौरी की पूजा करके मां गौरी की कथा जरूर सुननी चाहिए। अगर किसी महिला की कुंडली में वैवाहिक जीवन में कोई समस्या हो तो उन्हें मंगला गौरी व्रत जरूर रखना चाहिए।
मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि
सावन के महीने में मंगलवार के दिन सुबह जल्दी उठें। ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आदि के बाद गुलाबी, नारंगी, पीले और हरे रंग के स्वच्छ सुंदर वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूजा स्थान को अच्छे से साफ करके पूर्वोत्तर दिशा में चौकी स्थापित करें और उस पर लाल कपड़ा बिछआएं। माता पार्वती की तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद माता पार्वती को सोलह श्रृंगार का सामान अर्पित करें। साथ ही नारियल ,लौंग, सुपारी, मेवे, इलायची और मिठाइयां चढ़ाएं। इसके बाद मां गौरी की व्रत कथा पढ़ें और फिर उनकी आरती उतारें। साथ ही इस दिन सुहागिन महिलाओं को श्रृंगार का सामान भेट करें।
मंगला गौरी व्रत की कथा
एक समय की बात है एक शहर में धर्मपाल नाम का एक व्यापारी रहता था। उसकी पत्नी बहुत खूबसूरत थी और उसके पास काफी संपत्ति थी लेकिन, उनके कोई संतान नहीं होने के कारण वे काफी दुखी रहकरते थे। भगवान की कृपा से उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई लेकिन, वह अल्पायु था। उनके पुत्र को श्राप मिला था कि 16 वर्ष की आयु में सांप के काटने से उसकी मौत हो जाएगी। संयोग से उसकी शादी 16 वर्ष से पहले ही एक युवती से हुई। जो माता मंगला गौरी व्रत किया करती थी। परिणामस्वरुप उसने अपनी पुत्री के लिए एक ऐसे सुखी जीवन का आशीर्वाद प्राप्त किया था। जिसके कारण वह कभी भी विधवा नहीं हो सकती थी। इस कारण धर्मपाल के पुत्र की आयु 100 साल की हुई। सभी नवविवाहित महिलाएं इस पूजा को करती है और मंगला गौरी व्रत का पालन करती हैं और अपने लिए लंबे सुखी और स्थायी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं। उनकी मनोकामना पूरी होती है। जो महिलाएं उपवास नहीं कर सकती वह मां मंगला गौरी की पूजा कर सकती है।
कथा के बाद क्या करें
कथा सुनने के बाद विवाहित महिलाएं अपनी सास और ननद को लड्डू दिया जाता है। साथ ही ब्राह्मणों को भी प्रसाद दिया जाता है। इस विधि को करने के बाद 16 बाती का दिया जलाकर मां मंगला गौरी की आरती करें। अंत में मां गौरी के सामने हाथ जोड़कर पूजा में किसी भी भूल के लिए क्षमा मांगें। आप इस व्रत और परिवार की खुशी के लिए लगातार 5 वर्षों तक कर सकते हैं।