दूसरा ‘उर्मिल रंग महोत्सव’ 16 जुलाई से पांच दिन विविधता भरे रंग प्रयोग देख सकेंगे रंगप्रेमी

लखनऊ । सुप्रसिद्ध लेखक, रंगनिर्देशक, व्यंग्यकार उर्मिलकुमार थपलियाल की स्मृति में 16 जुलाई से प्रारम्भ हो रहे पांच दिवसीय ‘उर्मिल रंग महोत्सव’ सीज़न-दो में रंगप्रेमियों को लोक, नौटंकी शैली, आधुनिक रंगकर्म की सामाजिक और कॉमेडी प्रस्तुतियां देखने को मिलेंगी। डॉ.उर्मिलकुमार थपलियाल फाउण्डेशन द्वारा आयोजित 20 जुलाई तक संग गाडगेजी महाराज प्रेक्षागृह गोमतीनगर में चलने वाले इस नाट्योत्सव का आगाज़ 16 जुलाई को शाम सात बजे आयोजक फाउण्डेशन की ओर से आसिफ अली की लिखी मूल रचना की रितुन थपलियाल मिश्रा के निर्देशन में पुनर्चित प्रस्तुति ‘औरत की जंग’ से होगी।

रोज शाम सात बजे प्रारम्भ होने और निःशुल्क प्रवेश वाले इस रंग उत्सव के बारे में संयोजक द्वय सत्येन्द्र मिश्रा व रितुन ने बताया कि रेडियो और दूरदर्शन पर सक्रिय रहे डॉ.थपलियाल राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय और अन्य प्रतिष्ठित नाट्य प्रशिक्षण संस्थानों की विभिन्न समितियों के सदस्य रहे। उन्हें उ.प्र. संगीत नाटक अकादमी की रत्न सदस्यता सहित अकादमी सम्मान, दिल्ली का अकादमी सम्मान, उ.प्र. हिन्दी संस्थान के पुरस्कारों सहित अन्य अनेक सम्मान प्राप्त हुए। उनके द्वारा परिकल्पित और निर्देशित ‘औरत की जंग’ लोक नाट्य शैली नौटंकी में रची बसी एक महिला कलाकार के संघर्ष और उत्थान की कहानी है। इस नाटक की प्रस्तुति दुनिया के आठवें और भारत में मार्च 2018 में हुए पहले थियेटर ओलम्पिक में हो चुका है।

 

दूसरे दिन 17 जुलाई को रंगनाद संस्था रितेशकुमार अस्थाना के निर्देशन में विभांशु वैभव के लिखे कर्ण के चरित्र पर आधारित नाटक ‘महारथी’ का मंचन करेगी। इसी क्रम में फाउण्डेशन विकास गौतम की परिकल्पना और निर्देशन में धर्मवीर भारती सुप्रसिद्ध रचना ‘सूरज का सातवां घोड़ा’ को नाटक के रूप में 18 जुलाई को मंच पर उतारेगी। रंग उत्सव की चौथी शाम 19 जुलाई का स्ट्रेन्जर्स थियेटर रंगसंस्था की ओर से अनिलकुमार चौधरी के लेखन-निर्देशन में ‘थ्री स्ट्रेन्जर्स’ नाटक मंच पर होगा। अंतिम संध्या 20 जुलाई को निसर्ग रंगसंस्था की ओर से ललित सिंह पोखरिया के लिखे कॉमेडी नाटक ‘मॉडल विहार’ का मंचन किया जायेगा। इनमें से कुछ नाटकों के प्रायोजक विधि और रितेश थपलियाल हैं। इस अवसर फाउण्डेशन की ओर से गठित समिति द्वारा चयनित रंगकर्मियों को सम्मानित भी किया जायेगा।

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