- कारागार विभाग के निर्माण कार्य में हो रहा बड़ा खेल
- क्रॉसर: वित्तीय वर्ष के आखिर में बांट दिए 300 करोड़ के ठेके
- अफसरों ने उड़ाई मुख्यमंत्री की जीरो टॉलरेंस नीति की धज्जियां
आर के यादव
लखनऊ। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टॉलरेंस की शासन के अफसर जमकर धज्जियां उड़ा रहे है। कारागार विभाग के अफसरों ने बीते वित्तीय वर्ष के अंतिम दिनों में करीब 300 करोड़ के टेंडर जारी कर करोड़ों का कमीशन जेल अफसर डकार गए। यह बात सुनने में भले ही अटपटी लगे लेकिन विभाग के दस्तावेज इस तथ्य की पुष्टि करते नजर आ रहे हैं। मजे की बात यह है कि करोड़ों के इस खेल पर विभागीय अधिकारी एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाकर इस गंभीर मसले पर कोई भी टिप्पणी करने से बच रहे है। मिली जानकारी के मुताबिक प्रदेश के कारागार विभाग को नई जेलों के निर्माण, जेलों के मेंटीनेंस, बाउंड्री वॉल ऊंची करने, नई बैरकों के निर्माण समेत अन्य कार्यों के लिए शासन से प्रतिवर्ष कई सौ करोड़ का बजट आवंटित किया जाता है। शासन और विभाग के अधिकारी इस बजट को साल भर खर्च करने के बजाए बचाए रखे रहते है। कमीशन की खातिर बजट सरेंडर नहीं होने पाए इसके लिए वित्तीय वर्ष के अंतिम दिनों में अनाप शनाप तरीके से टेंडर और वर्क ऑर्डर जारी कर सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व का चूना लगा रहे है।
सूत्रों का कहना वित्तीय वर्ष 2022=2023 के अंत में विभाग के पास करीब 300 करोड़ का बजट शेष बचा हुआ था। आवंटित बजट से कार्य की स्वीकृत प्रमुख सचिव कारागार द्वारा प्रदान की जाती है। वर्क ऑर्डर विभागाध्यक्ष द्वारा जारी किये जाते है। सूत्र बताते है कि वित्तीय वर्ष के अंत में 60 करोड़ की धनराशि युपीपीसीएल को और 30 करोड़ की धनराशि पैक्सपेड की कार्यदाई संस्थाओं को आनन फानन में आवंटित कर दी गई। धनराशि की स्वीकृत मिलने और आवंटन के कुछ घंटों बाद ही कार्यदायी संस्था ने ठेकेदारों को कार्य भी आवंटित कर दिए। जेल मुख्यालय ने इसके लिए वर्क ऑर्डर जारी कर दिए गए।
सूत्र बताते हैं कि कार्यदाई संस्था के ठेकेदारों को भुगतान होने के बाद कमीशन मिल जाने के बाद ही वर्क ऑर्डर जारी किए जाते है। शासन, कार्यदायी संस्था से लेकर जेल मुख्यालय के निर्माण से जुड़े सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के कमीशन का प्रतिशत पहले से निर्धारित होता है। वित्तीय वर्ष के अंतिम दिनों में हुए करोड़ों के ठेके के काम कब शुरू और कब खत्म होंगे के सवाल पर निर्माण के प्रभारी डीआईजी एके सिंह से बात की गई तो उन्होंने इसे शासन और कार्यदायी संस्था का मामला बताते हुए और कोई भी टिप्पणी करने से साफ इंकार कर दिया।
जेल मुख्यालय में तैनात नहीं कोई इंजीनियर
जेल मुख्यालय में प्रदेश की जेलों के निर्माण, मेंटीनेंस, मेनवॉल की ऊंचाई बढ़ाने, नई बैरकों का निर्माण का कार्य देख रहे अवर अभियंता (कथित सहायक अभियंता) राकेश बालियान जनवरी 2023 में रिटायर हो गए। सूत्रों की माने तो रिटायरमेंट के बाद भी इनसे काम कराया जा रहा है। एक बार बर्खास्त और कई बार निलंबित हुए इस अभियंता को शासन में बैठ अफसर इन्हे संविदा पर नियुक्त करने का जेल मुख्यालय पर दबाव तक बना रहे है। वित्तीय वर्ष के अंतिम दिनो में हुई टेंडर प्रक्रिया में भी इनका अहम रोल होना बताया जा रहा है। मजे की बात यह है की वर्तमान समय में जेल विभाग में कोई इंजीनियर तैनात ही नहीं है। इस संबंध में जब प्रमुख सचिव कारागार राजेश कुमार सिंह से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उनसे बात नहीं हो पाई।