लखनऊ। मंगल मेष और व्रश्चिक राशियों का स्वामी, मकर का उच्च और कर्क राशि में नीचस्थ होता है। इस ग्रह की सातवीं दृष्टि की अपेक्षा चौथी और आठवीं दृष्टि भी महत्वपूर्ण है। व्यक्ति की जन्म कुंडली मे मंगल का योग उसके जीवन की दशा बदलने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी अच्छी दशा उसे बेहद कामयाब बनाती है। वहीं बुरी दशा उससे सब कुछ छीन भी सकती है। इसके बहुत से शुभ और अशुभ भी योग हैं। जन्म कुंडली के 1,4,7,8,12 भावों में पाप प्रभाव में इसकी उपस्थिति जातक को मांगलिक घोषित करती तो है, लेकिन कई स्थितियां ऐसी भी होती हैं जिनके कारण जातक का मंगल दोष भंग भी होती है।
आज कल मांगलिक होने,एवम मांगलिक होते हुए भी मांगलिक न होने बारे बहुत अधिक मत बना दिए गए हैं। विभिन्न प्रदेशों में इसके भिन्न भिन्न पैमाने हैं। कुंडली मिलान के समय सप्तम भाव के साथ धन, वाणी, कुटुम्ब, सुख,संतान, भाग्य, लाभ और शयन सुख भाव देखने और दोनों की कुंडलियों का इसी परिप्रेक्ष्य में मिलान करना और तुलनात्मक अध्ययन अति आवश्यक है। केवल मात्र कम्पयूटर अथवा मोबाइल में उपलब्ध कुंडली मिलान साफ्टवेयर से काम चलाना विवाह और दाम्पत्य जीवन में तनाव को दावत देना है।
सातवें घर पर मंगल की पाप दृष्टि या उपस्थिति वैवाहिक जीवन को उथल पुथल कर सकती है। जैसा कि भगवान राम की कुंडली दृष्टब्य है। यदि मंगल शुभ ग्रहों के साथ हो, शुभ भाव में हो, शुभ ग्रहों से दृष्ट हो तो जातक के जीवन को असीमित ऊचांई तक ले जाता है।
इस प्रकार केवल मंगल से ही सारी कुंडली की व्याख्या नहीं हो सकती, इसके साथ साथ दूसरे ग्रह, भाव, दृष्टि, शुभ, अशुभ, महादशा, दशा, गोचर सब कुछ देखने के बाद ही कुंडली की व्याख्या की जानी चाहिए।
मंगल से बनने वाला अशुभ योग
कुंडली में मंगल और राहु एक साथ हों तो अंगारक योग बनता है।यह योग बड़ी दुर्घटना का कारण बनता है,इसके चलते लोगों को सर्जरी और रक्त से जुड़ी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इंसान का स्वभाव बहुत क्रूर होता है,एवम परिवार के साथ रिश्ते बिगड़ने लगते हैं।
कुंडली के पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें स्थान में मंगल पाप प्रभाव में होकर मंगलदोष का योग बनात है।
मंगल का यह योग बहुत खतरनाक है। इसे शनि मंगल (अग्नि योग) कहा जाता है। इसके कारण इंसान की जिंदगी में बड़ी और जानलेवा घटनाओं का योग बनता है। ज्योतिष में शनि को हवा और मंगल को आग माना जाता है। जिनकी कुंडली में शनि मंगल (अग्नि योग) होता है उन्हें हथियार, हवाई हादसों और बड़ी दुर्घटनाओं से सावधान रहना चाहिए।हालांकि यह योग कभी–कभी बड़ी कामयाबी भी दिलाता है।
मंगल से बनने वाले शुभ योग
चंद्रम,मंगल के संयोग से लक्ष्मी योग बनता है।यह योग इंसान को धनवान बनाता है।जिनकी कुंडली में लक्ष्मी योग है, उन्हें नियमित दान करना चाहिए।
मंगल से बनने वाले पंच-महापुरुष योग को रूचक योग कहते हैं।मंगल मजबूत स्थिति के साथ स्व या उच्च राशि में केंद्रस्थ हो तो रूचक योग बनता है।यह योग इंसान को राजा,भू-स्वामी,सेनाध्यक्ष और प्रशासक जैसे बड़े पद दिलाता है। इस योग वाले व्यक्ति को कमजोर और गरीब लोगों की मदद करनी चाहिए।
इस लिए मंगल से परेशान न हो।
मंगल को मंगल रहने दें,मंगल की कामना करें एवमअपने और जीवन साथी के जीवन में अमंगल न बनने दें।सिर्फ इसका उपाय करें।