- मनुष्य जीवन को दिशा देता है मानस: अवधेश
- तुलसी ने राम नाम की महिमा बताई
- भरत और राम का प्रेम और त्याग था अद्वितीय
- लोकमानस को जगाने मे तुलसी का अमूल्य योगगदान
मानस कथा एक अंश ही जीवन सुधार सकता है, सम्पूर्ण मानस ज्ञान का सागर है। गोस्वामी जी ने अनेक ग्रंथ लिखे पर सर्वाधिक रुप से प्रसारित रामचरितमानस है ,जिसमें मानव जीवन के प्रत्येक विंदु पर प्रकाश डाला गया। उक्त आशय का उद्गार श्रीअवधेश पाण्डेय ने ‘अंकुर संस्था’ द्वारा आयोजित तुलसी जयंती के अवसर पर अपना अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए व्यक्त किया। उन्होंने भरत प्रसंग की चर्चा करते हुए भक्त और भगवान का संबंध तथा राम और भरत की त्यागमय भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने ‘सेवक सुमिरत नाम प्रतीती ‘ की व्याख्या करते हुए नाम की महिमा प्रतिपादित किया।
बतादें कि गोस्वामी तुलसीदास जयंती पर विचार गोष्ठी एवं काव्यपाठ ‘अंकुर:साहित्यिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था’ द्वारा स्टेशन पुरवा स्थित सरस्वती पुरम खलीलाबाद में बुधवार को आयोजित हुई। जिसमें विचारगोष्ठी के बाद कवियो ने कविता पाठ कर गोस्वामी तुलसी दास के जीवन प्रसंग और उनकी रचनाओ पर विस्तार से प्रकाश डाला।संयोजक डॉ सूर्य नाथ पांडेय ने ‘राम से बड़ों है कौन मोसो कौन छोटो ‘ पर चर्चा करते हुए अहंकार से उबरने पर जोर दिया। डॉ ऋषि कुमार मणि त्रिपाठी ने ‘तुलसी का रामराज्य’ शीर्षक काव्य पाठ किया।
इस अवसर पर उपस्थित नगर के वरिष्ठ विद्वज्जन हीरालाल त्रिपाठी, दिनेश प्रसाद नायक , लक्ष्मण प्रसाद वर्मा ने अपने विचार व्यक्त किये। डॉ सुधाशु अरुणाभ मिश्र ने डॉ प्रमोद त्रिपाठी,वशिष्ठ मुनि पाण्डेय ने काव्यपाठ किये। विजयपाल चौधरी, अनिरूद्ध राय, राजेश मिश्र, कमलापति यादव डॉ के एन त्रिपाठी शहर के प्रतिष्ठित बाल रोग विशेषज्ञ डॉ के सी पाण्डेय ने भाग लिया। अध्यक्षता अवधेश पाण्डेय ने किया। कार्यक्रम का संचालन एवं संयोजन डॉ सूर्य नाथ पांडेय ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ प्रमोद त्रिपाठी ने किया।