लखनऊ। भगवान सूर्य को सभी ग्रहों का स्वामी माना जाता है। अगर सूर्यदेव प्रसन्न हो जाएं तो बाकी के ग्रह अपने आप कृपा बरसाते हैं। पुराणों में सूर्य को सभी रोगों को दूर करने वाला बताया गया है। कहा जाता है कि सूर्य को जल अर्पित करने से जीवन में संतुलन बना रहता है। भगवान सूर्य के 21 नामों का पाठ करने से मनुष्य को सहस्त्र नाम के पाठ का फल प्राप्त होता है। यह नाम अतिशय पवित्र माने गए हैं।
भगवान सूर्य द्वारा दिन, रात्रि, मास, ऋतु, वर्ष आदि का विभाजन होता है। वह दिशाओं के भी विभाजक हैं। पृथ्वी पर जीवन तभी तक है जब तक सूर्य है। जीवन की सार्थकता सूर्य की किरणों में ही समाहित है। सूर्य को जल अर्पित कर पानी की धारा के बीच उगते हुए सूरज को देखना चाहिए। ऐसा करने से नेत्र ज्योति में वृद्धि होती है। अगर आर्थिक तंगी से परेशान हैं और बीमारियों ने घर में डेरा डाल लिया है तो सूर्य को जल अर्पित करें।
पुराणों में कहा गया है कि सूर्य को अर्घ्य दिए बिना भोजन करना पाप है। सूर्य उपासना में रविवार का व्रत अनिवार्य है। व्रत के दिन भोजन में नमक का उपयोग न करें। भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश आदि का बिना साधना से दर्शन होना संभव नहीं। भगवान सूर्य नित्य सभी को प्रत्यक्ष दर्शन देते हैं। इसलिए प्रत्यक्ष देव भगवान सूर्य की नित्य उपासना करनी चाहिए।