- मथुरा जेल प्रशासन की सराहनीय पहल
- जेल के बाहर काउंटर लगाकर बेंची जा रही राखियां
आरके यादव
लखनऊ। महिला बंदियों की हस्तनिर्मित राखियों भाइयों की कलाईयों को गुलजार करेंगी। यह बात सुनने में भले ही अटपटी लगे लेकिन मथुरा जेल प्रशासन के अधिकारियों ने ऐसी एक सार्थक पहल की है। जेल के अधिकारियों ने जेल में बंद महिला बंदियों से राखियां बनवाकर उन्हें आम जनता को बेचने का निर्णय लिया। जेल में बंद करीब एक दर्जन महिला बंदियों से जेल प्रशासन के अधिकरियों ने करीब पांच हजार रंग बिरगी राखियां बनवाई है। इन राखियों को जेल के बाहर बिक्री के लिए लगाया गया है। एक राखी की कीमत सिर्फ दस रुपय रखी गई है।
भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा में जेल अधीक्षक ब्रजेश कुमार ने भाई-बहन के रक्षाबंधन पर्व के लिए जेल में बंद महिला बंदियों से राखी बनवाए जाने का निर्णय लिया। राखी बनवाने के लिए जेल की महिला बंदी पूजा, नेहा, ममता, मोनिका, ओमवती समेत करीब एक दर्जन महिलाओं को चयन किया। इन महिलाओं को जेल प्रशासन की ओर से रॉ मैटेरियल उपलब्ध कराया। इस मैटेरियल से जेल में करीब पांच हजार राखियां तैयार की गई है।
जेल अधीक्षक ने बताया कि महिला बंदियों की ओर से तैयार की गई इन राखियों के पैकिंग की जिम्मेदारी जेल के पुरुष बंदी किशन और धीरज को सौंपी गई। इन बंदियों ने महिला बंदियों की हस्तनिर्मित राखियों की शानदार पैकिंग कर उसमें और निखार ला दिया। महिला बंदियों के द्वारा तैयार की गई राखी की कीमत दस रुपये प्रति राखी रखी गई है। इन हस्तनिर्मित राखियों को जेल के मुख्य गेट के बाहर बिक्री के लिए लगाया गया है। जेल अधीक्षक ने बताया कि महिला बंदियों को तनाव से मुक्त रखने और उनके अंदर की छिपी हुई प्रतिभा को उभारने के लिए यह निर्णय लिया गया है। उन्होंने बताया कि महिला बंदियों की हस्तनिर्मित राखियां आम जनमानस में खूब पसंद भी की जा रही है।
भगवान कृष्ण की वेशभूषा तैयार कर रहे बंदी
वन डिस्टिक, वन प्रोडेक्ट के तहत प्रदेश की मथुरा जेल में बंदियों की ओर से कन्हैया के वस्त्र भी तैयार किए जाते है। बंदियों के इन हस्तनिर्मित कपड़ों की खासी मांग भी है। बताया गया है कि जेल के बंदियों ने भगवान कृष्ण के लिए विभिन्न तरह की पोषाकें बनाई है। इस पहल से जेल के बंदियों को रोजगार मिलने के साथ आमदनी भी होने लगी है। बंदी वस्त्रों को बेहतर स्वरूप देने में कोई कोर कसर बाकि नहीं रख रहे है।