- कई आरोपी पुलिसकर्मियों पर गिर चुकी है गाज
- छेड़छाड़ के आरोप में लाइन तक पहुंचा आरोपी सिपाही
ए अहमद सौदागर
लखनऊ। जिन पुलिसकर्मियों के कंधों पर बहू – बेटियों की सुरक्षा का जिम्मा है, खुद उनकी हरकतें ही महकमे को शर्मसार कर रही है। रंगीनियों का चढ़ता बुखार खाकी की मर्यादा को भी तार-तार कर रहा है। इससे पहले कई दागी पुलिसकर्मियों की भूमिका सामने आने के बाद राजधानी पुलिस पहले ही खूब किरकिरी झेल चुकी है। अब पुलिस आयुक्त कार्यालय में महिला सिपाही से छेड़छाड़ के आरोप में लाइन हाजिर हुए सिपाही मोहम्मद जावेद के प्रकरण ने नए सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस पर चढ़ता इश्क का बुखार अधिकारियों के लिए मुसीबत का सबब बनता जा रहा है।
नए नहीं खाकी के दामन पर दाग़…
,,, रंगीनियों से मुसीबत में फंसते रहे हैं पुलिसकर्मी,,,
खाकी पर रंगीनियों का साया नया नहीं है। जिन गंभीर आरोपों की जांच के दौरान पुलिसकर्मी आरोपितों से ढेरों सवाल करते हैं, उन्हीं धाराओं में अब उनके खिलाफ भी जांच-पड़ताल और मुकदमे दर्ज हो रहे हैं। उनकी धूमिल होती प्रतिष्ठा से महकमे की छवि भी लगातार धूमिल हो रही है। वास्तव में जिस खाकी को देखकर महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों में सुरक्षा का भाव पैदा होता है उसी वर्दी को पहनने वाली महिलाएं खुद अपने कार्यालयों में ही सुरक्षित नहीं हैं। वहीं ऐसे मामले पुलिस अफसरों के लिए किसी मुसीबत से कम नहीं। पूर्व में हुई घटनाओं के बाद अब पुलिस आयुक्त कार्यालय में ऐसी घटना के बाद खुद पुलिस की ही सुरक्षा-व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
,,, पूर्व में हुए कांड पर एक नजर,,,
वर्ष 2013: अलीगंज थाने में महिला आरक्षी से छेड़छाड़।
नौ जून 2013 : माज हत्याकांड का राजफाश होने पर पता चला कि अपनी प्रेमिका की जाहत में बर्खास्त इंस्पेक्टर ने मासूम को उतरवाया था मौत के घाट।
11 जुलाई 2013 : मार थाने में तैनात एक दरोगा ने एक मामले में पीड़ित परिवार की महिला को मिलने के लिए थाना परिसर स्थित अपने कमरे में बुलाया और पीड़ित महिला के साथ दुष्कर्म का प्रयास किया।
यह तो बानगी भर है और भी कई दागी पुलिसकर्मियों ने खाकी के दामन पर दाग़ लगा चुके हैं।