डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
विपक्षी गठबंधन को प्रेसिडेंट ऑफ भारत शब्द पर आपत्ति थी। यह अच्छा रहा कि नरेंद्र मोदी ने उनके विरोध को नजरंदाज किया। उन्होंने G20 के मंच पर भारत का गौरव बढ़ाया। दुनिया को बताया कि वैश्विक समस्याओं का समाधान भारत के सनातन चिंतन से ही सम्भवत है। G20 सदस्य देशों ने इस विचार को ध्यान से सुना।
वन अर्थ,’वन फैमिली‘
वन फ्यूचर के भारतीय संदेश से इस संगठन को मोदी ने अवगत कराया। इन पर अलग अलग सत्र में विचार-विमर्श किया गया। जी-20 के लोगो भी सनातन संस्कृति के अनुरूप है। इसमें कमल का फूल और पृथ्वी है। कमल का फूल हमारी संस्कृति में समृद्धि का प्रतीक है। भारत पूरी पृथ्वी को समृद्ध देखने की कामना करता है। लोगो तिरंगा है। नीचे देवनागरी लिपि में ‘भारत’ लिखा हुआ है। G20 लोगो में भारत के राष्ट्रीय पुष्प कमल को पृथ्वी ग्रह के साथ प्रस्तुत किया गया है जो चुनौतियों के बीच विकास को दर्शाता है। पृथ्वी जीवन के प्रति भारत के पर्यावरण अनुकूल दृष्टिकोण को दर्शाती है, जिसका प्रकृति के साथ पूर्ण सामंजस्य है।
G20 लोगो के नीचे देवनागरी लिपि में “भारत” लिखा है,
नरेंद्र मोदी ने पहले सत्र में कहा कि यह वैश्विक कल्याण के लिए हम सबके साथ मिलकर चलने का समय है।उन्होंने यूक्रेन युद्ध के कारण पैदा हुए गहरे मतभेदों का उल्लेख किया। विश्वास में आई कमी को एक-दूसरे पर भरोसे में तब्दील करने और पुरानी चुनौतियों के नए समाधान खोजने की मिलकर कोशिश करनी चाहिए। दुनिया कोविड-19 को हरा सकती है, तो वह युद्ध के कारण आई विश्वास में कमी पर भी विजय प्राप्त कर सकती है।
भारत में यह लोगों का जी 20 बन गया है और 60 से अधिक शहरों में 200 से अधिक कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल से लेकर उत्तर-दक्षिण विभाजन तक, खाद्य प्रबंधन से लेकर ईंधन और उर्वरक प्रबंधन तक, आतंकवाद से लेकर साइबर सुरक्षा तक, स्वास्थ्य से लेकर ऊर्जा और जल सुरक्षा तक, सभी चुनौतियों के समाधान के लिए हमें मिलकर ठोस कदम उठाने होंगे। G20 के सदस्य देश वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग पचासी प्रतिशत, वैश्विक व्यापार का पचहत्तर प्रतिशत से अधिक और विश्व जनसंख्या का लगभग दो-तिहाई प्रतिनिधित्व करते हैं। इस समूह को ग्लोबल साउथ की आवाज भी सुननी चाहिए।