क्यों मनाया जाता है विश्व शांति दिवस?

जयपुर से राजेंद्र गुप्ता

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हर साल 21 सितंबर को विश्व शांति दिवस मनाया जाता है इसका मकसद दुनिया भर में युद्ध और शत्रुता को कम करते हुए शांति का विस्तार करना है। इस दिन की स्थापना वर्ष 1981 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई थी। पहला शांति दिवस कई देशों द्वारा राजनीतिक दलों, सैन्य समूहों और लोगों की मदद से 1982 में मनाया गया था। इस साल 41वां अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस 21 सितंबर 2023 को गुरूवार के दिन मनाया जा रहा है, जिसकी थीम ‘शांति के लिए कार्रवाई: वैश्विक लक्ष्य के लिए हमारी महत्वाकांक्षा‘ है।

इंटरनेशनल डे ऑफ़ पीस के बारे में जानकारी

नाम:                     अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस

शुरूआत:             वर्ष 1981 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा

पहली बार:            वर्ष 1982 में

तिथि:                    21 सितंबर (वार्षिक)

उद्देश्य: देशों और लोगों को शत्रुता रोकने के लिए आमंत्रित करना तथा शांति से संबंधित मुद्दों पर जागरूकता फैलाना।

अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस का इतिहास

प्रतिवर्ष 21 सितम्बर को मनाए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस की स्थापना मूल रूप से 1981 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई थी। इसके लगभग 20 साल बाद, 2001 में, UN द्वारा सर्वसम्मति से मतदान करके अहिंसा एवं संघर्ष विराम काल के रूप में इस दिन को नामित किया गया। शुरुआत में यह दिन सितंबर के तीसरे मंगलवार को मनाया जाता था, लेकिन साल 2001 के बाद इसे बदलकर 21 सितंबर तय कर दिया गया। तभी से हर साल 21 सितम्बर को विश्व शांति दिवस मनाया जाता है। आपको बता दें कि साल 2019 में मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा की 71वीं सालगिरह थी जिससे यह दिन और भी खास बन जाता है। यह दिन लोगों को शांति और सम्मान से जीने का अधिकार देता है।

 विश्व शांति दिवस क्यों मनाया जाता है?

इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य अहिंसा और संघर्ष विराम के माध्यम से विश्व में शांति कायम करना है। इसके साथ ही मानवता के लिए सभी मतभेदों से ऊपर उठकर शांति के लिए प्रतिबद्ध होने और शांति की संस्कृति के निर्माण में योगदान करना भी इसका मुख्य मकसद है। दुनिया भर के सभी देशों और लोगों के भीतर शांति के आदर्शों को मजबूत करने और युद्ध को कम करने लिए यह ख़ास तौर पर समर्पित है।

विश्व शांति पर स्लोगन और विचार

यहाँ अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस के मौके पर अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ ही दुनिया को शान्ति का संदेश देने के लिए कुछ सुविचार और मोटिवेशनल कोट्स (उद्धरण) और शुभकामना शायरी दी गयी है।

शांति भीतर से आती है…

इसकी तलाश बाहर मत करो।

गौतम बुद्ध

शांति अपने आप में ही, एक पुरस्कार है।

महात्मा गाँधी

शांति, राजनीतिक या आर्थिक बदलाव से नहीं मिल सकती,

बल्कि मानवीय स्वभाव में बदलाव से मिल सकती है।

सर्वपल्ली राधाकृष्णन

ह्रदय के अन्दर शांति की शुरुआत एक मुस्कराहट से होती है।

मदर टेरेसा

साहसी लोग शांति की लिए, क्षमा करने से भी घबराते नहीं है।

नेल्सन मंडेला

हम केवल अपने लिए ही नहीं, बल्कि समस्त विश्व के लिए शांति और शांतिपूर्ण विकास में ही विश्वास रखते हैं।

लाल बहादुर शास्त्री

वह जो सभी इच्छाएं त्याग देता है और “मैं” और “मेरा” की लालसा और भावना से मुक्त हो जाता है उसे शान्ति प्राप्त होती है।

भगवत गीता

 

जो व्यक्ति द्वेषपूर्ण विचारों से मुक्त रहता हैं, वह निश्चित रूप से शांति को प्राप्त करता हैं।

गौतम बुद्ध

 विश्व शांति दिवस कैसे मनाया जाता है?

संयुक्त राष्ट्र सभी देशों को इस ख़ास दिन पर शत्रुता को रोकने के लिए आमंत्रित करता है, और शांति से संबंधित मुद्दों पर जागरूकता फैलाते हुए इस दिन को मनाता है।

सफेद कबूतर: सफेद रंग को शान्ति का प्रतीक माना जाता है इसलिए Peace Day मनाने के लिए इस दिन शान्ति के दूत सफेद कबूतरों को उड़ाकर विश्वभर में शांति का संदेश दिया जाता है।

शांति की घंटी: America के Newyork शहर में स्थित संयुक्त राष्ट्र (UN) के मुख्यालय में संयुक्त राष्ट्र शांति घंटी बजा कर यह दिन मनाया जाता है। इसके एक ओर ‘विश्व में शांति हमेशा बनी रहे’ लिखा है। यह घंटी सभी महाद्वीपों (अफ्रीका को छोड़कर) के बच्चों द्वारा दान किए गए सिक्कों को मिला कर बनाई गई है, जिसे Japan के United National Association ने Gift में दिया था। ऐसा कहा जाता है की यह घंटी युद्ध में मनुष्य की कीमत की याद दिलाती है।

विश्व शांति की स्थापना के उपाय

पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने दुनियाभर में शान्ति एवं अमन की स्थापना हेतु पांच मूल मंत्र दिए, जिन्हें ‘पंचशील का सिद्धांत‘ भी कहा जाता है। यदि हर कोई इन पांच मूल मंत्रो को अमल लाये तो विश्व में कभी अशांति नहीं होगी।

  • सभी देश समानता और आपस में फायदे की नीति का पालन करें।
  • एक दूसरे के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप न करें।
  • देश एक दूसरे के खिलाफ कोई भी आक्रामक कार्यवाही न करें।
  • एक दूसरे की प्रादेशिक अखंडता और प्रभुसत्ता का सम्मान करें।
  • शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की नीति में विश्वास रखे।

 

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