
डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
नरेंद्र मोदी सरकार ने दशको से लंबित अनेक योजनाओं को पूर्णता तक पहुंचाया। इसमें एक नया अध्याय जुड़ा। नई संसद का निर्माण मोदी सरकार का एतिहासिक कार्य है। इसके प्रथम सत्र में भी इतिहास बना। लोकसभा में नारी शक्ति वंदन अधिनियम 454 वोट से पारित हो गया। विरोध में मात्र दो मत पड़े। महिला आरक्षण बिल लाने का यह पांचवां प्रयास था। देवेगौड़ा से लेकर मनमोहन सिंह के कार्यकाल तक चार बार इस विधेयक को लाने का प्रयास किया गया। हंगामा हुआ, मारपीट हुई,इसी के साथ यह ओझल हो गया।
नरेंद्र मोदी के प्रयासों से यह अंजाम तक पहुंचा। वस्तुतः अभी तक जो प्रयास हुए उनमें नेकनियत का अभाव था। अनेक नेताओ ने इसे अपनी राजनीति का माध्यम बना लिया था। उनकी रुचि महिला आरक्षण में नहीं थी। इसके नाम पर अनेक नेता अपने को पिछड़ों का हितैषी साबित करना चाहते थे। इस बार भी ऐसे प्रयास हुए। जो लोग पहले बिल पारित कराने में विफल रहे थे, वह भी आज बेकरार दिखाई दिए कोई इसे जल्दी लागू करने के लिए बेचैन दिखा,कोई पिछड़ों, दलितों के प्रति हमदर्दी दिखा रहा था। मतलब इस बार भी पिछला इतिहास दोहराने का प्रयास हुआ। लेकिन सत्ता पक्ष के तर्कों ने ऐसे सभी प्रयासों को बेमानी साबित कर दिया।
वर्तमान में सांसद सामान्य, एससी, एसटी की तीन श्रेणियों में चुने जाते हैं। हमने उनमें से प्रत्येक में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित की हैं। अमित शाह ने ठीक कहा कि परिसीमन आयोग देश की चुनावी प्रक्रिया को निर्धारित करने वाली एक महत्वपूर्ण कानूनी इकाई है। पारदर्शिता के लिए जरूरी है कि परिसीमन आयोग यह काम करे। इसके पीछे की वजह सिर्फ पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। OBC के लिए बोलने का दावा करने वालों को पता होना चाहिए। कि यह BJP ही है जिसने देश को OBC प्रधानमंत्री दिया है। सोनिया गांधी ने महिला बिल का पूरा श्रेय लेने की कोशिश की और बिल के पास होने से पहले जाति जनगणना, SC, ST और OBC महिलाओं को कोटे में कोटा देने की मांग की। लोकसभा में BJP सांसद निशिकांत दुबे ने उनकी सभी दलीलों को खारिज कर दिया।
उन्होंने कहा कि 2010 में जब ये बिल राज्यसभा से पारित हो गया था। 2011 में लोकसभा में बिल लाया गया। जिसको यूपीए सरकार पारित ही नहीं कराना चाहती थी। जब बिल इंट्रोड्यूस हो रहा था- तब इन्हीं के सहयोगी दल के सांसदों को इसी कांग्रेस ने पीटा था। वर्तमान सरकार इच्छाशक्ति से यह पारित हुआ है। OBC दलितों के नाम पर राजनीति करने वालों को अमित शाह ने जबाब दिया। बताया कि पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति जनजाति के सर्वाधिक प्रतिशत विधायक सांसद मंत्री भाजपा के हैं। वैसे पिछड़े दलितों के लिए लोकसभा में दहाड़ने वालों को यह बताना चाहिए। कि उन्हें इस वर्ग की महिलाओं को तीस प्रतिशत टिकट देने में क्या कठिनाई रही है।