जयपुर से राजेंद्र गुप्ता
भाद्रपद माह में अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। इसमें भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा होती है और बाजू में 14 गांठ वाले अनंत सूत्र बांधने का विधान है। भाद्रपद महीने की शुक्लपक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी मनाई जाती है। इसे अनंत चौदस भी कहा जाता है। इस दिन श्रीहरि नारायण भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। साथ ही इसी दिन गणपति विसर्जन भी किया जाता है। इसलिए हिंदू धर्म में इस पर्व का काफी महत्व है। हिंदू धर्म में भगवान विष्णु को सृष्टि का संचालक माना गया है तो वहीं भगवान गणेश सभी देवताओं में प्रथम पूज्य है। इसलिए अनंत चतुर्दशी की पूजा और व्रत बहुत फलदायी मानी जाती है। मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी की पूजा और व्रत से जीवन में शुभता आती है और दुखों का नाश होता है।
कब है अनंत चतुर्दशी
अनंत चतुर्दशी तिथि: गुरुवार 28 सितंबर 2023
चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 27 सितंबर 2023 रात 10 बजकर 18 मिनट से
चतुर्दशी तिथि समाप्त: 28 सितंबर 2023 शाम 06 बजकर 49 मिनट तक
अनंत चतुर्दशी पूजा मुहूर्त: सुबह 06 बजकर 12 मिनट से शाम 06 बजकर 49 मिनट तक।
अनंत चतुर्दशी पूजा विधि
अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है। अनंत चतुर्दशी के दिन आप सुबह उठकर स्नानादि करें और फिर व्रत का संकल्प लें। आप घर या मंदिर में अनंत चतुर्दशी की पूजा कर सकते हैं। घर पर पूजा करने के लिए पूजाघर की अच्छे से सफाई कर गंगाजल का छिड़काव करें और कलश स्थापना करें। कलश में एक बर्तन रखकर इसमें कुश से निर्मित अनंत की स्थापना करें। यदि कुश से अनंत बनाना संभव न हो तो आप भगवान विष्णु की तस्वीर भी रख सकते हैं।
इसके बाद अनंत सूत्र तैयार करने के लिए एक धागे को कुमकुम, केसर और हल्दी से रंगकर इसमें चौदह गांठ लगा दें और इसे भगवान विष्णु की तस्वीर के सामने चढ़ा दीजिए. अब हल्दी, अक्षत, फूल, फल, नेवैद्य, पंचोपचार आदि से भगवान की पूजा करें और पूजा में अनंत चतुर्दशी की व्रत कथा पढ़ें और भगवान की आरती करें। पूजा समाप्त होने के बाद अनंत सूत्र को बाजू में बांध लें। अगर आप पुरुष हैं को अनंत सूत्र को दांए हाथ में और महिला हैं तो बाएं हाथ में अंनत सूत्र बांधे। इसके बाद सामर्थ्यनुसार ब्राह्मण को भोजन कराने या दान देने के बाद ही प्रसाद ग्रहण करें।
अनंत चतुर्दशी का महत्व
अनंत चतुर्दशी का व्रत भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन किए पूजा-व्रत से भगवान प्रसन्न होते हैं और अनंत फल देते हैं। अनंत चतुर्दशी व्रत के दिन अगर आप श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करते हैं तो इससे सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। साथ ही यह व्रत धन-संपति, सुख-संपदा और संतान की कामना के लिए भी किया जाता है।